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बड़ी खबर, अकबर किले में स्थित पवित्र स्थल की परिक्रमा कर सकेंगे श्रद्धालु


प्रयागराज, 1 मई 2022 : लाखों, करोड़ों लोगों कीआस्‍था काकेंद्र है अक्षयवट।ऐतिहासिक और धार्मिकमहत्‍व सेजुड़ा अक्षयवट प्रयागराजमें गंगा, यमुनाव अदृश्‍यसरस्‍वती केपावन संगम केनिकट स्थित है।यह अकबर केकिले के अंदरहै, जहां सेनाके जवानों कीकड़ी सुरक्षा रहतीहै। अक्षयवट सेजुड़ी महत्‍वपूर्णखबर है किअब इस पवित्रस्‍थल केदर्शन के साथही श्रद्धालु परिक्रमाभी कर सकेंगे।इसके लिए प्रयागराजविकास प्राधिकरण सुंदरीकरणकराएगा।

पीडीए की ओरसे अक्षयवट सुंदरीकरणकार्य शीघ्र शुरूहोगा

तीर्थराज प्रयाग मेंसंगम तट परअकबर के किलेमें अक्षयवट केदर्शन के साथअब परिक्रमा काभी सौभाग्य श्रद्धालुओंको प्राप्त होगा।इसके पहले श्रद्धालुओंको अक्षयवट केदर्शन की करनेकी छूट मिलीहुई थी। प्रयागराजविकास प्राधिकरण कीओर से जल्दही अक्षयवट स्थलको संवाराने काकाम शुरू कियाजाएगा। एक करोड़ 80 लाख रुपये की लागतसे अक्षयवट केचारों तरफ एकघेरा तैयार कियाजाएगा। किले मेंप्रवेश द्वार से लेकरअक्षयवट तक केरास्ते की चौड़ाईके साथ सुदरीकरणकिया जाएगा। रास्तेमें पौराणिक पौधेभी लगाए जाएंगे।निर्माण कार्य एक सप्ताहके भीतर शुरूहो सकता है।

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदीने 2019 के कुंभमें की थीघोषणा

कुंभ 2019 के दौरानप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नेअक्षयवट का दर्शनसभी के लिएसुलभ करने कीघोषणा की थी।पौराणिक और धार्मिकमान्यता है किइसके दर्शन मात्रसे मानव कोअक्षय पुण्य कीप्राप्ति होती है।इसी के चलतेवर्तमान समय मेंअकबर के किलेमें स्थित इसवट वृक्ष कीपूजा-अर्चना करनायहां आने वालेतीर्थ यात्री नहींभूलते हैं। अकबरके किले मेंसेना के अधिकारक्षेत्र में होनेके चलते लोगोंको इस वटके दर्शन नहींहो पाते थे, लेकिन वर्तमान समयमें अक्षयवट कादर्शन सबके लिएसुलभ हो गयाहै।

प्रधानमंत्री व मुख्‍यमंत्री भी अक्षयवटका कर चुकेहैं दर्शन

संगम तटपर अक्षयवट कादर्शन 2019 कुंभ केदौरान प्रधानंमत्री नरेन्द्रमोदी और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्रीयोगी आदित्‍यनाथभी कर चुकेहैँ। इनके अलावाकेंद्र और प्रदेशसरकार के कईमंत्रियों ने भीअक्षयवट का दर्शनकिया है।

सृष्टि के विकासऔर प्रलय कासाक्षी है अक्षयवट

तीर्थ पुरोहितों कामानना है किअक्षयवट का उल्लेखपुराणों में भीमिलता है। यहसृष्टि के विकासऔर प्रलय कासाक्षी रहा है।नाम से हीजाहिर है किइसका कभी नाशनहीं होता है।बताया जाता हैकि इस वृक्षको माता सीताने आशीर्वाद दियाथा कि प्रलयकाल में जबधरती जलमग्न होजाएगी और सबकुछ नष्ट होजाएगा तब भीअक्षयवट हरा-भरारहेगा। एक मान्यताऔर भी हैकि बालरूप मेंश्रीकृष्ण इसी वटवृक्ष पर विराजमानहुए थे। बालमुकुंद रूप धारणकरके श्रीहरि भीइसके पत्ते परशयन करते हैं।पद्म पुराण मेंअक्षयवट को तीर्थराजप्रयाग का छत्रकहा गया है।

चीनी यात्रीह्वेनसांग ने भीअपने यात्रा वृतांतमें किया हैअक्षयवट का वर्णन

चीनी यात्रीह्वेनसांग प्रयागराज में आयाथा। उसने अक्षयवटके बारे मेंलिखा है किनगर में एकदेव मंदिर स्थितहै। मंदिर केआंगन में एकविशाल वट वृक्षहै, जिसकी शाखाएंऔर पत्तियां दूरदूर तक फैलीहुई हैं। पौराणिकऔर ऐतिहासिक प्रमाणोंके अनुसार मुक्तिकी इच्छा सेतमाम श्रद्धालु इसवट की ऊंचीडालों पर चढ़करकूद जाते थे।कालांतर में अक्षयवटको क्षति पहुंचानेके विवरण भीमिलते हैं।

प्रयागराज विकास प्राधिकरणके उपाध्‍यक्षबोले

प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) के उपाध्‍यक्ष अरविंदचौहान ने कहाकि अक्षयवट कादर्शन के साथपरिक्रमा भी आसानीसे श्रद्धालु करसकें, इसके लिएप्रयास किया जारहा है। अक्षयवटकी ओर जानेवाले रास्ते कोदुरुस्त करने केसाथ वट वृक्षके चारों तरफसुंदरीकरण किया जाएगा।इसके लिए 1.80 करोड़रुपये खर्च किएजाएंगे। निर्माण कार्य जल्दशुरू हो जाएगी।

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