लखनऊ, 21 जुलाई 2022 : पिछले कई माह से शांत पड़े लखनऊ छावनी परिषद कार्यालय में इन दिनों खासी अफरातफरी मची हुई है। यहां सुबह से लोग हाथ में नोटिस लेकर पहुंच रहे हैं। यह नोटिस छावनी परिषद की ओर से अवैध निर्माण को तोड़ने के लिए जारी की गई है। अब तक 250 से अधिक नोटिस जारी कर दी गई हैं।
छावनी परिषद ने उसकी भूमि पर हुए अवैध निर्माण और अतिक्रमण को लेकर जो 250 नोटिसें जारी की हैं, उनमें अधिकांश सदर बाजार के लोगों को दी गई हैं। छावनी परिषद के आठ में से पांच वार्ड सदर बाजार में ही आते हैं। इन नोटिस का विरोध स्थानीय प्रतिनिधि भी कर रहे हैं। पूर्व उपाध्यक्ष रतन सिंघानिया का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है कि किसी को विस्थापित करने से पहले उनकी व्यवस्था होना चाहिए।
छावनी परिषद में पिछले डेढ़ साल से निर्वाचित सदन ही नहीं है। यहां पांच साल के सदन का कार्यकाल फरवरी 2020 में पूरा हो गया था। जबकि छह-छह माह का दो बार का विस्तार सदन को रक्षा मंत्रालय ने दिया था। यह दोनों विस्तार फरवरी 2021 में समाप्त होने के बाद निर्वाचित सदन को भंग करके वैरी बोर्ड लागू कर दिया गया। वैरी बोर्ड में मध्य यूपी सब एरिया के जनरल आफिसर कमांडिंग व परिषद अध्यक्ष मेजर जनरल राजीव शर्मा और परिषद के सीईओ विलास एच पवार सदस्य हैं।
यहां परिषद के आम चुनाव को कराने से पहले छावनी परिषद अधिनियम में भी बदलाव किया जाना है। इसका बिल राज्यसभा में लंबित है। वहीं मानसून सत्र में बिल पास कराने के लिए अखिल भारतीय छावनी परिषद महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री रतन सिंघानियां के साथ अन्य लोगों ने पिछले दिनों कानपुर के सांसद सत्यदेव पचौरी से मुलाकात की थी। सत्यदेव पचौरी ने रक्षा मंत्री को चुनाव कराने के लिए पत्र भी लिखा है।
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