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नहीं रहे सीडीएस जनरल बिपिन रावत, हादसा या साजिश! वो क्या बोले.. जिन्होंने हादसा अपनी आंख से देखा..



देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, सीडीएस जनरल बिपिन रावत हेलीकॉप्टर क्रैश में हुए निधन से देश हिल गया। देश के सबसे बड़े सैन्य अधिकारी यूं अचानक चले जाना सबको सदमा दे गया। हादसा 8 दिसंबर को दोपहर 12.20 मिनट पर हुआ। डेढ़ बजे के आसपास भारतीय वायुसेना का ट्वीट आया और तीन बजे देश की राजधानी दिल्ली हिल गई। प्रधानमंत्री की अगुवाई में चल रही कैबिनेट बैठक छोड़कर रक्षामंत्री एक्टिव हुए। कुछ ही देर में वो जनरल बिपिन रावत के घर गए और परिवार से मिले उनके ठीक बाद भारतीय थल सेना प्रमुख नरवणे सीडीएस के घर पहुंचे। ये इशारा था किसी अनहोनी का।


हेलीकाप्‍टर खराब मौसम की वजह से कुन्‍नून में नीलगिरी की पहाडि़यों में क्रैश हो गया था। इसमें सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्‍नी समेत कुल 14 लोग सवार थे। इनमें से अधिकतर इस हादसे में मारे गए हैं।



कौन थे सीडीएस बिपिन रावत


सीडीएस बिपिन रावत का जन्‍म 16 मार्च 1958 को उत्तराखंड में एक हिंदू गढ़वाली राजपूत परिवार में हुआ था। उनका परिवार कई पीढि़यों से भारतीय सेना में सेवा देता रहा है। उनके पिता लक्ष्मण सिंह रावत पौड़ी गढ़वाल जिले के सैंज गांव से थे और लेफ्टिनेंट जनरल के पद तक पहुंचे थे। उन्‍हें देश का पहला चीफ आफ डिफेंस स्‍टाफ नियुक्‍त किया गया था। मोदी सरकार ने उनकी सेनाध्‍यक्ष के रूप में नियुक्ति भी आउट आफ टर्न की थी। उनके ही कार्यकाल में भारत ने पाकिस्‍तान को दो बार करारा जवाब दिया था।


16 दिसंबर 1978 को बिपिन रावत ने 11 गोरखा राइफल्स की 5वीं बटालियन में नियुक्ति के साथ सेना में अपनी सेवा शुरू की थी।


जनरल को उच्च ऊंचाई वाले युद्ध का जबरदस्‍त अनुभव था।


उन्हें आतंकवाद विरोधी अभियानों के संचालन का भी अच्‍छा अनुभव था।


सेना में मेजर के रूप में उन्‍होंने उरी, जम्मू और कश्मीर में एक कंपनी की कमान संभाली।


कर्नल के तौर पर उन्होंने किबिथू में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ पूर्वी सेक्टर में 5वीं बटालियन 11 गोरखा राइफल्स की कमान संभाली।


ब्रिगेडियर के रूप में उन्होंने सोपोर में राष्ट्रीय राइफल्स के 5 सेक्टर की कमान संभाली।


रावत ने यूएन मिशन के तहत कांगो में भी अपनी सेवाएं दी थी।


उनकी उत्‍कृष्‍ठ सेवा को देखते हुए उन्हें दो बार फोर्स कमांडर के प्रशस्ति से सम्मानित किया गया।

मेजर जनरल के पद पर रहते हुए उन्‍होंने 19वीं इन्फैंट्री डिवीजन (उरी) के जनरल ऑफिसर कमांडिंग के रूप में अपनी सेवाएं दी।


इसके बाद लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में, उन्होंने पुणे में दक्षिणी सेना को संभालने से पहले दीमापुर में मुख्यालय वाली III कोर की कमान संभाली।


सेना कमांडर ग्रेड में पदोन्नत होने के बाद, रावत ने 1 जनवरी 2016 को जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-इन-सी) दक्षिणी कमान का पद ग्रहण किया।


इसके बाद उन्होंने थल सेना के उप प्रमुख का पद ग्रहण किया।


17 दिसंबर 2016 को उन्‍हें 27 वें थल सेनाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था।


सीडीएस जनरल रावत फील्ड मार्शल सैम मानेकशा और जनरल दलबीर सिंह सुहाग के बाद गोरखा ब्रिगेड के थल सेनाध्यक्ष बनने वाले तीसरे अधिकारी हैं।


2019 में अमेरिका की अपनी यात्रा पर जनरल रावत को यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी कमांड और जनरल स्टाफ कालेज इंटरनेशनल हाल आफ हेम में शामिल किया गया था।


वह नेपाली सेना के मानद जनरल भी थे।


दिसंबर 2019 में जनरल बिपिन रावत को देश के पहले चीफ सीडीएस नियुक्त किया गया था।


रावत ने देहरादून में कैम्ब्रियन हाल स्कूल और शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल से पढ़ाई की।


राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) खडकवासला और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून में प्रवेश लिया।


यहां पर उन्हें 'स्वार्ड आफ आनर से सम्‍मानित किया गया था।


रावत ने डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज (डीएसएससी), वेलिंगटन और यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी कमांड के हायर कमांड कोर्स और फोर्ट लीवेनवर्थ, कंसास में जनरल स्टाफ कालेज से भी स्नातक किया है।


उन्हें चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ द्वारा सैन्य-मीडिया रणनीतिक अध्ययन पर उनके शोध के लिए पीएचडी से भी सम्मानित किया गया था।



क्या बताया प्रत्यक्षदर्शियों ने


तमिलनाडु के नीलगिरी जिले के पश्चिमी घाट वाले इलाके में स्थित गांव में बुधवार की दोपहर जो कुछ हुआ वैसी अनहोनी की किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। इस इलाके में ज्यादातर चाय बागान के श्रमिक रहते हैं। लोगों ने सबसे पहले जब तेज चमकती, लेकिन डराने वाली लपटों वाली रोशनी देखे तो उन्हें कुछ समझ में नहीं आया कि यह क्या हो रहा है।


चाय बागान में श्रमिकों ने देखा हादसा


पश्चिमी घाट वाले इलाके में दोपहर बाद पहाड़ी वाले इलाके में कोहरे की चादर बिखरी हुई थी। आसमान में तेज आवाज हुई और एक हेलीकाप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इसी में सीडीएस बिपिन रावत उनकी पत्नी सहित 14 लोग सवार थे।


प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि धमाका तेज था और चीजों के टूटने की आवाज आई। आग एक घंटे से ज्यादा समय तक जलती रही, जिसमें हे