सीडीएस जनरल बिपिन रावत जिस MI-17V5 हेलीकॉप्टर में सवार थे, उसके क्रैश होने के कारणों की जांच शुरु हो गई है। हेलीकॉप्टर का ब्लैक बॉक्स बरामद कर लिया गया है।
इस हादसे में 14 लोगों में से केवल ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ही जीवित बचे हैं। हालांकि वरुण सिंह की हालत बेहद नाजुक है और उन्हें लाइफ स्पोर्ट सिस्टम पर रखा गया है। जो कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व विधायक अखिलेश प्रताप सिंह के भतीजे हैं।
स्टेट टुडे टीवी को गुरुवार को हेलीकाप्टर क्रैश से ठीक पहले का एक वीडियो मिला है। यह वीडियो स्थानीय लोगों द्वारा बनाए जाने का दावा है। इस वीडियो को देखने और गौर से हेलीकाप्टर की आवाज सुनने पर समझ में आता है कि सिर्फ 12 सेकेंड में यह घटना हुई।
वीडियो में सीडीएस बिपिन रावत का हेलीकाप्टर आसमान में उड़ता दिखाई दे रहा है। लगभग तीन सेकेंड बाद ये हेलीकाप्टर धुंध में चला जाता है और वीडियो में दिखना बंद हो जाता है। परंतु हेलीकाप्टर की आवाज अगले नौ सेकेंड तक सुनाई देती है।
धुंध में घिरने के छ सेकेंड तक हेलीकाप्टर की आवाज सामान्य रहती है। परंतु इसके बाद अगले तीन सेकेंड में किसी बड़े टकराव और धमाके की आवाज सुनाई देती है। इसी समय हेलीकॉप्टर के पंखों का शोर भी थम जाता है।
वीडियो बनाने वाले ने इसी समय कैमरे को घुमाया और पहाड़ी काट कर रेल की पटरियों से आ रहे स्थानीय लोगों की तरफ कर दिया। धमाके की आवाज सुन कर स्थानीय व्यक्ति ने अपने साथ आ रहे लोगों से कहा कि धमाका हुआ है।
हेलीकाप्टर क्रैश होते हुए वीडियो में भले ना दिख रहा हो और आवाज के आधार पर ही अनुमान लगाया जा रहा है लेकिन क्रैश होने के बाद विमान के मलबे के पास खींची गई तस्वीरों से स्थिति को भांपने में मदद मिलती है।
तस्वीरों में स्पष्ट रुप से दिख रहा है कि जिस जगह विमान का मलबा पड़ा है वहीं पर कटा हुआ पेड़ भी दिखाई दे रहा है।
ऐसा लगता है जैसे धुंध में घिरने के बाद कुछ ऐसा हुआ जिससे हेलीकाप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुआ।
तस्वीरों से यह भी स्पष्ट है कि नीचे गिरते समय हेलीकाप्टर कटहल के पेड़ से टकराया जिसका तना और डालियां हेलीकाप्टर के पंखे से कट गए। इस समय विमान में आग लगी चुकी थी और जमीन पर गिरते हुए सिर्फ हेलीकाप्टर ही नहीं जल रहा था बल्कि आस पास भी आग लगी हुई थी। जिसे स्थानीय लोगों ने स्थानीय साधनों के जरिए पानी डाल कर बुझाने की कोशिश की।
इस दौरान कुन्नूर में सैन्य हेलीकॉप्टर हादसे के बाद जब बुरी तरह घायल सेना के एक अधिकारी ने घटनास्थल पर पहुंचे शिवकुमार से थोड़ा पानी मांगा तो उसे पता नहीं था कि यह शख्स देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत थे। ऐसा दावा किया है सामाजिक कार्यकर्ता शिवकुमार ने जो दुर्घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचने वाले लोगों में से एक थे।
शिवकुमार ने कहा कि हादसे के बाद उनके एक रिश्तेदार का फोन आने के बाद वह तुरंत मौके पर पहुंचे। हेलिकॉप्टर पहले ही आग पकड़ चुका था जिसका मतलब था कि किसी को भी बचाया नहीं जा सकता। शिवकुमार ने दावा किया कि हेलिकॉप्टर से तीन लोग कूदे, यहां पहुंचे लोग हादसे में घायल लोगों को बचाने के लिए संसाधन ढूंढ़ने लगे।
शिवकुमार ने दावा किया, हमने देखा कि उनमें से तीन जीवित थे। हमने उन्हें ले जाने के लिए कंबल और अन्य उपलब्ध चीजों इस्तेमाल किया, वहां एक पुलिस निरीक्षक भी आया। जब हम घायलों को वहां से ले जाने की कोशिश में लगे थे, मैंने दूसरे व्यक्ति को शांत और आराम से रहने के लिए कहा। फिर उन्होंने मुझसे कुछ पानी मांगा। लेकिन मुझे लगा कि जब तक मैं उनके लिए पानी लाता, उतने समय में हम उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जा सकते थे।
बाद में सेना के एक अधिकारी ने शिवकुमार को जनरल रावत की एक तस्वीर दिखाई और बताया कि वह कौन थे। शिवकुमार ने कहा कि तब मैं परेशान हो गया कि मैं देश के इतने अहम व्यक्ति को तुरंत पानी नहीं दे सका।
सीडीएस जनरल बिपिन रावत जिस MI-17V5 हेलीकॉप्टर में सवार थे, उसके क्रैश होने के कारणों की जांच शुरु हो गई है। हेलीकॉप्टर का ब्लैक बॉक्स बरामद कर लिया गया है।
वैसे आपको बताते चलें कि इस मामले की जांच में कई पहलुओं का ध्यान रखना होगा। कई सवाल ऐसे भी हैं जो तकनीकी जांच से परे हैं। जैसे, जनरल बिपिन रावत से कौन डरा हुआ था, कौन नाराज था। अमूमन चीन और पाकिस्तान को लेकर, सीडीएस की नीति व बयान आक्रामक रहे हैं। प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि हेलीकॉप्टर कम ऊंचाई पर था। उसके नीचे गिरने के बाद आग नहीं लगी, बल्कि ऊंचाई पर ही लपटें नजर आ रही थी। ब्लैक बॉक्स, एफडीआर और एटीसी के साथ बातचीत में 'मिड ब्लास्ट', आगजनी, डर या नाराजगी जैसे कारणों का पता लग सकेगा। जांच टीम को कम ऊंचाई के बादलों पर गौर करना होगा।
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीरवार को लोकसभा में बताया कि हेलीकॉप्टर हादसे की जांच, एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (ट्रेनिंग कमांड) एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह करेंगे। जांच टीम, घटना स्थल पर पहुंच चुकी है।
प्रत्यक्षदर्शियों में से एक ने मीडिया को बताया कि उसने आसमान से लोगों को गिरते हुए देखा था। दूसरे लोगों का कहना है कि हेलीकॉप्टर से जो लोग गिरे थे, वे आग की लपटों से जूझ रहे थे। जिस जगह पर जनरल रावत का हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ है, वहां से 10-12 किलोमीटर की दूरी पर वेलिंगटन में हेलीपैड बना था। ये हेलीपैड बॉल टाइप का है। इसके तीन तरफ पहाड़ी है। वहां मौसम का मिजाज हर पल बदलता रहता है। विंटर मानसून में कहां, किस ओर से कब बादल आ जाए, कुछ नहीं पता होता। कम ऊंचाई पर बादल बहुत तेज गति से आते हैं। कई बार तो तीन-चार मीटर की दूरी पर कुछ नजर नहीं आता। इसमें साजिश या शरारत, ये एंगल भी जांचा जाएगा।
वैसे ब्लैक बॉक्स से सौ फीसदी जानकारी मिल जाती है। एयर कमोडोर बीएस सिवाच (रिटायर्ड) ने कहा, इसमें पायलट की पूरी बातचीत रिकॉर्ड रहती है। एटीसी के साथ हेलीकॉप्टर को लेकर क्या बात हुई, कोई सिग्नल भेजा गया, हेलीपैड पर कोई दिक्कत रही, क्या कम ऊंचाई को लेकर कोई समस्या आई, हेलीकॉप्टर का बैक एंगल, चौपर की स्पीड, ऊंचाई, पावर, आरपीएम, ये सब जानकारी ब्लैक बॉक्स व दूसरे रिकॉर्डिंग उपकरण एफडीआर रिपोर्ट, डेटा रिकॉर्डर व वायस रिकॉर्डर की मदद से मिल सकती हैं।
अगर कोई पहाड़ी दो हजार फुट ऊंची है और हेलीकॉप्टर 18 सौ फुट की ऊंचाई पर उड़ रहा है तो टकराने के चांस बने रहते हैं। यदि उस स्थिति में तेज गति वाला बादल आ जाए तो हादसे की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि जांच टीम यह देखेगी कि हेलीकॉप्टर में आग कैसे लगी है। क्या कोई भारी वस्तु हेलीकॉप्टर से टकराई थी, लो फ्लाई, मिड ब्लास्ट, आगजनी और किसी दूसरी साजिश की आशंका, इन सब पहलुओं को जांच के दौरान देखा जाएगा।
हेलीकॉप्टर फुल अथॉरिटी डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल प्रणाली से लैस था। पायलट, अपनी मर्जी से कम ऊंचाई के दौरान यदि इंजन पर अधिक भार डालने की कोशिश करता तो डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल उसे रोक देता है। हालांकि ब्लैक बॉक्स से बहुत कुछ पता चलता है, लेकिन वे बातें सार्वजनिक तौर कभी बाहर नहीं आती।
ऐसी स्थिति में आम आदमी के सामने जो तस्वीरें और वीडियो आते हैं उन्हीं को देखकर वो अपनी एनालिसिस करता है। वर्तमान में जो वीडियो और तस्वीरें मिली हैं उसे गौर से देखने और गंभीरता से वीडियो की आवाज सुनने पर बहुत हद तक हादसे की सामान्य समझ मिल जाती है।
टीम स्टेट टुडे
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