लखनऊ, 24 अप्रैल 2023 : कोरोना वायरस वर्ष 2020 से कहर बरपा रहा है। देश में बड़ी संख्या में लोग संक्रमण की चपेट में आए, जबकि हजारों लोगों को जान भी गंवानी पड़ी थी। कोरोना वायरस लगातार रूप बदलता रहा, उसमें सबसे अधिक घातक डेल्टा वैरिएंट रहा। वर्तमान समय में कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट के सब वैरिएंट का संक्रमण फैल रहा है। वहीं, कोरोना वायरस के संक्रमण से उबरने वालों के फेफड़े पर प्रभाव और प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से किडनी, लिवर और ब्रेन पर असर पड़ रहा है। ऐसे मरीज एलएलआर अस्पताल और मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल पहुंच रहे हैं।
सुरक्षा तंत्र फेल, कार्य क्षमता पर असर
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. जेएस कुशवाहा का कहना है कि कोरोना का संक्रमण श्वसन तंत्र के ऊपरी व नीचले हिस्से और फेफड़ों में होने से निमोनिया हो जाता है। इस वजह से प्रतिरोधक क्षमता गड़बड़ाने से शरीर के सुरक्षा तंत्र फेल होने पर वायरस खून के साथ किडनी, लिवर और मस्तिष्क में पहुंच जाता है। इन अंगों में खून की आपूर्ति प्रभावित होने से कार्यक्षमता गड़बड़ाने लगती है। इसलिए कोरोना से उबरे मरीज मल्टी आर्गन की समस्या लेकर आने लगे हैं, जिनकी संख्या पांच प्रतिशत है।
सूजन बढ़ने से कोशिकाएं होती क्षतिग्रस्त
मेडिकल कॉलेज के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मनोज पांडेय का कहना है कि कोरोना वायरस फेफड़ों में संक्रमण करता है। संक्रमण की वजह से खून में साइटोकाइन, इंटरल्युकिन तत्व बढ़ने लगते हैं, जिससे शरीर में सूजन होने लगती हैं। इस वजह से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगती है। सूजन करने वाले तत्व खून के जरिये किडनी, लिवर, मस्तिष्क व हार्ट में पहुंच जाते हैं। मांसपेशियों और इन अंगों की कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त करते हैं। इसलिए कोरोना से उबरने वालों को दिक्कत होती है।
मरीज इन बातों का जरूर रखें ध्यान
कोरोना से उबरने वाले मास्क जरूर लगाएं।
भीड़भाड़ में जाने से बचें, साफ-सफाई रखें।
हरी सब्जियां और मौसमी फल जरूर खाएं।
सुबह स्वच्छ हवा में जरूर टहलें।
फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने का व्यायाम करें।
बाहर जाएं तो सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें।
कहीं बाहर से घर लौटने पर साबुन और पानी से अच्छी तरह हाथ धोएं।
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