लखनऊ, 15 नवंबर 2022 : इलाहाबाद हाई कोर्टकी लखनऊ खंडपीठने कानपुर विश्वविद्यालयके कुलपति प्रो. विनय पाठक केखिलाफ भ्रष्टाचार केमामले में दर्जप्राथमिकी को रदकरने और उनकीगिरफ्तारी पर रोकलगाने की मांगको खारिज करदिया है। यहआदेश जस्टिस राजेशसिंह चौहान एवंजस्टिस विवेक कुमार सिंहकी पीठ नेपाठक की ओरसे दाखिल याचिकापर पारित किया।इससे पहले कोर्टने याचिका परसुनवाई पूरी करकेगुरुवार को फैसलासुरक्षित कर लियाथा।
कानपुर विश्वविद्यालय केकुलपति प्रो. विनय पाठककी उस याचिकाको हाई कोर्टमे खारिज करदिया है जिसमेंउन्होंने अपने खिलाफदर्ज एफआइआर कोचुनौती दी थी।न्यायालय ने कहाहै कि याचीकी ओर सेऐसा कोई तथ्यनहीं बताया जासका जिसके आधारपर उसके खिलाफदर्ज एफआइआर कोखारिज किया जासके। न्यायालय नेकहा कि चूंकिएफआइआर नहीं खारिजहो सकती लिहाजायाची को गिरफ्तारीसे भी कोईराहत नहीं प्रदानकी जा सकतीहै।
प्रो. विनय पाठकके खिलाफ रिपोर्टदर्ज कराकर वादीडेविड मारियो डेनिसने कहा थाकि उन्होंने उनकेबिल पास करनेके एवज में 1 करोड़ 41 लाख रुपयेऐंठे हैं। विनयपाठक की ओरसे पेश अधिवक्ताएलपी मिश्रा कातर्क था किभ्रष्टाचार के केसमें पाठक कोबिना अभियोजन स्वीकृतिके गिरफ्तार नहींकिया जा सकताहै।
राज्य सरकार कीओर से वरिष्ठअधिवक्ता जेएन माथुरएवं वादी केवरिष्ठ अधिवक्ता आइबी सिंहने कहा थाकि प्राथमिकी कोपढ़ने से प्रथमदृष्टयासंज्ञेय अपराध का बननास्पष्ट होता है, लिहाजा प्राथमिकी को खारिजनहीं किया जासकता। इन परिस्थितियोंमें पाठक कीगिरफ्तारी पर भीरोक नहीं लगाईजा सकती है।
दोनों पक्षों कीबहस सुनने केबाद पीठ नेअपना फैसला सुरक्षितकर लिया था।इससे पहले भीपीठ ने एकनवंबर को सुनवाईपूरी कर अपनाफैसला सुरक्षित कियाथा किंतु अगलेदिन फैसला आनेसे पहले हीपाठक के अधिवक्ताके अनुरोध परउन्हें और बहसकरने का समयदे दिया था।
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