लखनऊ, 7 अक्टूबर 2023 : देवरिया के फतेहपुर गांव में जमीन विवाद में छह लोगों की हत्या के मामले में स्थानीय पुलिस की कई लापरवाही सामने आई हैं। सूत्रों का कहना है कि जांच में सामने आया कि आइजीआरएस (समन्वित शिकायत निवारण प्रणाली) पर एक पक्ष के सत्य प्रकाश दुबे ने बार-बार अपनी जान को खतरा जताया था पर पुलिस ने संज्ञान नहीं लिया।
क्षेत्र के उपनिरीक्षक ने जान को कोई खतरा न होने की रिपोर्ट दे दी थी, जिसे तत्कालीन क्षेत्राधिकारी ने भी आगे बढ़ा दिया था। यह भी सामने आया कि दूसरे पक्ष के प्रेम चन्द्र यादव के विरुद्ध मारपीट के एक मामले में आरोपपत्र भी दाखिल हुआ था। इसके बाद भी प्रेम चन्द्र व उसके परिवार के नाम जारी शस्त्र लाइसेंस निरस्त कराए जाने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई। दोनों पक्षों के बीच तनाव की जानकारी होने के बाद भी उन्हें पाबंद भी नहीं कराया गया था।
देवरिया के फतेहपुर गांव में गत दो अक्टूबर को हुई इस जघन्य घटना की जांच में राजस्व व पुलिस के अधिकारियों व कर्मियों की लापरवाही सामने आई थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को मामले की गहन समीक्षा की थी। लापरवाही व दायित्वों के निर्वहन में शिथिलता के दोषी एसडीएम योगेश कुमार गौड़ व क्षेत्राधिकारी रुद्रपुर जिलाजीत समेत 15 कर्मियों को निलंबित कर दिया गया था।
पांचवे दिन भी गांव में नहीं दिख रहे पुरुष
दो अक्टूबर की घटना के पांच दिन बाद भी कई घरों में ताले हैं। पुरुष सदस्य घरों से मुकदमें में फंसने के भय से फरार हैं। घरों में सिर्फ महिलाएं हैं। गांव को जाने वाले संपर्क मार्ग के अलावे आंतरिक गलियों सूनी पड़ी हैं। वहीं सत्यप्रकाश दूबे के घर के समीप पुलिस का कड़ा पहरा है । अन्य दिनों की अपेक्षाकृत पुलिस की आवाजाही कम दिखी।
पुलिस कर रही 24 घंटे निगरानी, हर आने जाने वाले पर नजर
एक दर्जन से अधिक स्थानों में पुलिस की टीमें 24 घंटे निगरानी कर रही हैं। हर गुजरने वाले व्यक्ति को जांच के बाद से ही उन्हें अंदर जाने दिया जा रहा है। गांव में पहुंचने के लिए मार्गो के चप्पे-चप्पे पर पुलिसबल का कड़ा पहरा है।वहीं बैरियाघाट के समीप एक विद्यालय पर घटना के बाद से पीएसी कैप कर रही है। गांव के आसपास की दुकानों पर लोगों की जुबां पर सिर्फ घटना की चर्चा है। हर कोई घटना को लेकर काफी गमगीन हैं।
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