डाक्टर के.के.अग्रवाल नहीं रहे। हो सकता है आप डॉक्टर अग्रवाल से परिचित ना हों लेकिन मेरे लिए डाक्टर अग्रवाल से परिचय सिर्फ परिचय तक नहीं था। 2006 में एस वन न्यूज़ चैनल में एक चर्चा के दौरान डॉ. के.के. अग्रवाल जी हमारे पैनलिस्ट थे। चर्चा के बाद अनौपचारिक मुलाकात में हमारा परिचय प्रगाढ़ हुआ। हम दोनों लोग एक दूसरे के काम के प्रति समर्पण से करीब आए। इसके बाद जो सिलसिला बना वो अनवरत चलता रहा। सुबह सूरज निकलने से पहले डॉ. अग्रवाल का स्वास्थ्य संबंधी जानकारियों की कोई ना कोई मेल मेरे मेलबॉक्स में आना नियमित प्रक्रिया का हिस्सा था।
डॉक्टर के.के.अग्रवाल भारत के जाने माने ह्रदय रोग विशेषज्ञ थे। वो कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण का शिकार हुए और उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था। अंतिम समय में उन्हें बचाने की कोशिशों के तहत उन्हें वेंटिलेटर के सपोर्ट पर रखा गया था, लेकिन डॉक्टर उन्हें बचा नहीं सके। चिकित्सीय क्षेत्र में योगदान के लिए डॉक्टर अग्रवाल को हमेशा याद किया जाएगा।
कोरोना काल में वो लगातार लोगों को इस महामारी से बचने के लिए अपनी वीडियो के माध्यम से तरह-तरह की जानकारियां दे रहे थे। इसके माध्यम ये वो करोड़ों लोगों तक अपना संदेश पहुंचा रहे थे।
62 वर्षीय डॉक्टर अग्रवाल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके थे।
वो हार्ट केयर फाउंडेशन के भी प्रमुख रहे थे।
चिकित्सीय क्षेत्र में दिए गए योगदान की वजह से ही उन्हें वर्ष 2005 में बीसी रॉय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। ये भारतीय चिकित्सा के क्षेत्र में दिया जाने वाला सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है।
वर्ष 2005 में उन्हें विश्व हिंदी सम्मान, नेशनल साइंस कम्युनिकेशन अवॉर्ड, फिक्की हेल्थकेयर पर्सनालिटी ऑफ द ईयर अवॉर्ड, डॉक्टर डीएस मुंगेकर नेशनल आईएमए अवॉर्ड और राजीव गांधी एक्सीलेंस अवॉर्ड से से नवाजा गया।
भारत सरकार ने वर्ष 2010 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया था।
डॉक्टर अग्रवाल की स्कूली शिक्षा दिल्ली से हुई थी और नागपुर यूनिवर्सिटी से उन्होंने 1979 में एमबीबीएस की डिग्री हासिल की थी।
इसके बाद यहीं से ही वर्ष 1983 में उन्होंने एमडी भी की थी।
उन्होंने अपने जीवन में यूं तो कई किताब लिखीं, लेकिन उनकी लिखी एलोवेदा सबसे लोकप्रिय और भारतीय प्राचीन चिकित्सा पद्यति का आधुनिक चिकित्सा का ऐसा सामन्जस्य था जिसका दूसरा कोई उदाहरण नहीं हैं।
ऐलोवेदा में भारत की प्राचीनतम चिकित्सीय पद्धति आयुर्वेद और मॉर्डन चिकित्सा पद्धति का समावेश किया गया था।
ऐलोवेदा के कई चैप्टर इंटरनेशनल प्रेस में भी पब्लिश हुए।
डॉक्टर के के अग्रवाल के मुताबिक महाभारत के श्री कृष्ण विश्व के सबसे पहले काउंसलर थे।
डॉक्टर अग्रवाल streptokinase therapy के एक पायोनियर भी थे।
इसके अलावा उन्होंने ही कलर डॉपलर इकोकार्डियोग्राफी तकनीक को भारत में पहली बार शामिल किया।
टीम स्टेट टुडे
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