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मत पूछ कि इसने तुझको क्या दिया, ये सोच कि क्या है जो तूने इससे नहीं लिया

Updated: Jun 6, 2020



पीपल बरगद आंवला, जामुन नींबू नीम.

तुलसी और गिलोय भी, लगते सदा हकीम.


औषधि सम ये वृक्ष भी, करते सदा निरोग.

किन्तु कभी समझे नही,मंद बुद्धि कुछ लोग.


अमवारी में जब हुई, कोयल की कुछ बोल.

मन मेरा यारों गया, बरबस ही तब डोल.


हरे भरे परिवेश का , ज्ञान रहे जो बाँट.

वही कुल्हाड़ी ले सदा , वृक्ष रहे हैं काट.


कठिन वृक्ष की छाँव है, मिलती केवल धूप.

कंकड़ पत्थड़ का मुझे, शहर लगे विद्रूप.


हवा शुद्ध दूभर हुई, बोझिल बोझिल सांस.

धुंध बढ़ा कर चिमनियां, बाँट रही है खांस.


जीवन में जब भी कभी, खुशियों की हो बात.

अपनों को तब दीजिए, पौधों की सौगात.


तुलसी केला पूज के , देवों का कर ध्यान.

बाबू तो मानस पढ़े, बैठ नीम के थान.





कविवर आशुतोष तिवारी 'आशु


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