लखनऊ, 9 मार्च 2022 : होली का त्योहार फाल्गुन मासकी पूर्णिमा तिथिको मनाया जाताहै। इस बारहोलिका दहन 17 मार्च कोहै। रंग वालीहोली 18 मार्च को है।हालांकि, कुछ पंचागके अनुसार उदयातिथि में प्रतिपदामान मान लेतेहुए रंगोत्सव 19 मार्चको भी है।होली के आठदिन पूर्व फाल्गुनशुक्ल अष्टमी सेपूर्णिमा तक होलाष्टकमनाया जाता है।
होलाष्टक 10 मार्च से शुरूहोकर 17 मार्च तक रहेगा।इस महापर्व सेआठ दिन पूर्वशुभ कार्यों केकरने की मनाहीहोती है। होलाष्टकमें शुभ कार्यवर्जित होने काकारण भक्त प्रह्लादऔर कामदेव सेजुड़ा है। कहतेहैं कि राजाहिरण्यकश्यप ने बेटेप्रह्लाद को फाल्गुनशुक्ल अष्टमी तिथिसे होलिका दहनतक कई प्रकारकी यातनाएं दीथीं। वहीं भगवानशिव ने कामदेवको फाल्गुन अष्टमीको अपने क्रोधकी अग्नि सेभस्म कर दियाथा। इन वजहोंसे ही होलाष्टकमें शुभ कार्यवर्जित माने गएहैं। इन तिथियोंमें हिंदू धर्मके लोग शुभकार्य नहीं शुरूकरते हैं।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त केवल एक घंटा 10 मिनट
ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि भद्रा रहित प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तथि होलिका दहन के लिए उत्तम मानी जाती है। भ्रदा मुख में होलिका दहन नहीं करना चाहिए। पूर्णिमा तिथि 17 मार्च को दिन में 1:29 से शुरू होकर अगले दिन 12:47 तक रहेगी। इस बीच 17 मार्च को भ्रदा दोपहर 1:29 बजे शुरू होकर रात्रि 1:12 बजे तक रहेगा। वहीं, भ्रदा पूंछकाल रात्रि 9:06 से रात्रि 10:16 तक एवं भ्रदा मुखकाल रात्रि 10:16 से रात्रि 12:13 बजे तक रहेगा। धर्मसिंधु ग्रंथ मान्यता अनुसार भद्रा मुख में होलिका दहन कदाचित नहीं करना चाहिए। यदि भ्रदा मध्य रात्रि तक व्याप्त हो तो ऐसी परिस्थिति में भ्रदा पूंछ के दौरान होलिका दहन किया जा सकता है। हाेलिका दहन भ्रदा पूंछकाल में रात्रि 9:06 से रात्रि 10:16 बजे के मध्यम या भद्रा समाप्ति रात्रि 1:13 बजे के बाद किया जा सकता है।
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