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Gyanvapi ASI Survey Report: मंदिर ढहाने का आदेश और मस्जिद बनाने की तारीख शिलालेख पर मिली, पुरालेखों में भगवान शिव का नाम, ASI की रिपोर्ट में बड़े खुलासे




सर्वे रिपोर्ट में बड़े खुलासे


  1. ASI ने 839 पन्ने की रिपोर्ट तैयार की है, जो बताती है कि मस्जिद से पहले वहां हिंदू मंदिर था।

  2. सर्वे में 32 ऐसे जगह प्रमाण मिले हैं, जो बताते हैं कि वहां पहले हिंदू मंदिर था।

  3. ASI ने जदुनाथ सरकार के इस निष्कर्ष पर भरोसा जताया है कि 2 सितंबर 1669 को मंदिर ढहा दिया गया था।

  4. देवनागरी, ग्रंथा, तेलुगु, कन्नड़ में लिखे पुरालेख मिले हैं।

  5. जनार्दन, रुद्र और विश्वेश्वर के बारे में पुरालेख मिले हैं।

  6. एक जगह महामुक्ति मंडप लिखा है, जो ASI के मुताबिक बहुत ही महत्वपूर्ण बात है।

  7. मंदिर ढहाए जाने के बाद उसके स्तंभों का इस्तेमाल मस्जिद बनाने में किया गया।

  8. तहखाना S2 में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां थीं।

  9. ज्ञानवापी की पश्चिमी दीवार एक हिंदू मंदिर का हिस्सा थी, उसे आसानी से पहचाना जा सकता है।

  10. तहखाने में मिट्टी के अंदर दबी ऐसी आकृतियां मिलीं जो उकेरी हुई थीं।

  11. एक कमरे में अरबी और फारसी में लिखे पुरालेखों में मिले हैं जो बताते हैं कि मस्जिद औरंगजेब के शासनकाल के 20वें वर्ष यानी 1667-1677 में बनी।

  12. सर्वे में जो पुरालेख मिले हैं, उनमें तीन नामों का जिक्र प्रमुखता से है- जनार्दन, रूद्र, उमेश्वर।


खबर विस्तार से


ज्ञानवापी में हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के सर्वे में हिंदू मंदिर होने के स्पष्ट प्रमाण मिले हैं। अदालत के आदेश पर गुरुवार को सभी पक्षकारों को 839 पन्नों की रिपोर्ट की प्रिंट कापी सौंप दी गई। मंदिर पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि एएसआइ सर्वे के दौरान ज्ञानवापी में कई शिलालेख देखे गए। रिपोर्ट में सर्वेक्षण के दौरान कुल 34 शिलालेखों के मिलने की बात कही गई है। बताया गया है क‍ि पहले से मौजूद हिंदू मंदिरों के पत्थरों पर ये शिलालेख हैं, जिनका मौजूदा ढांचे के निर्माण और मरम्मत के दौरान दोबारा उपयोग किया गया है। इनमें देवनागरी, तेलुगु और कन्नड़ लिपियों के शिलालेख भी शामिल हैं। संरचना में पहले के शिलालेखों के पुन: उपयोग से पता चलता है कि पहले की संरचनाओं को नष्ट कर दिया गया था और उनके हिस्सों को मौजूदा संरचना के निर्माण में फिर से उपयोग किया गया। इन शिलालेखों में देवताओं के तीन नाम जैसे जनार्दन, रुद्र और उमेश्वर पाए गए हैं। देवनागरी, तेलुगु और कन्नड़ लिपियों के शिलालेख भी मिले हैं।

 

औरंगजेब के समय में हिंदू मंदिर की संरचना को तोड़ा गया


विष्णु शंकर जैन रिपोर्ट की प्रति मिलने के बाद प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सर्वे रिपोर्ट में साफ बताया गया है कि ज्ञानवापी पहले हिंदू मंदिर था। 17वीं शताब्दी में औरंगजेब के समय में हिंदू मंदिर की संरचना को तोड़ा गया। मंदिर के अवशेषों और खंबों का इस्तेमाल मस्जिद बनाने में किया गया। ज्ञानवापी में 32 ऐसी जगहें मिली हैं, जहां पुराने मंदिर होने के साक्ष्य हैं।

 

मंदिर तोड़े जाने का आदेश और मस्जिद बनाने की तारीख मिली


एक टूटे पत्थर पर फारसी में मंदिर तोड़े जाने का आदेश और मस्जिद बनाने की तारीख मिली है। मस्जिद के नीचे मूर्तियों को दबाया गया है। तहखानों में भी हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां मिली हैं। दरवाजों पर पशु-पक्षियों के चित्र हैं। गलियारे में कुआं भी मिला है। स्वास्तिक के निशान और नागदेवता के निशान भी मिले हैं। चौकोर अरघा मिला है, जिसे शिवलिंग का बताया जा रहा है। चतुर्भुज मूर्ति और एक जनेऊधारी मूर्ति मिली है। वहां तांबे का कलश, सिक्के आदि हैं। तहखाने में शेर के रूप में नरसिंह भगवान की भी तस्वीर मिली है। पश्चिमी दीवार हिंदू मंदिर का हिस्सा है।

 

पानी की टंकी में शिवलिंग की आकृति मिली


विष्णु शंकर जैन ने कहा कि वह ज्ञानवापी की पानी की टंकी (वुजूखाना) का भी एएसआइ सर्वे कराने की अदालत से मांग करेंगे। पानी की टंकी अभी सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सील है। एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान पानी की टंकी में शिवलिंग की आकृति मिली थी। मंदिर पक्ष का दावा है कि वह शिवलिंग है जबकि मस्जिद पक्ष उसे फव्वारा बताता है।

 

पक्षकारों को ईमेल के बजाय रिपोर्ट की प्रिंट कापी सौंपी गई


इससे पहले मां शृंगार गौरी मुकदमे की वादी संख्या एक राखी सिंह, चार अन्य वादियों रेखा पाठक, सीता साहू, लक्ष्मी देवी, मंजू व्यास के वकील विष्णु शंकर जैन, अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद के वकील इखलाक अहमद को एक-एक प्रति और जिला शासकीय अधिवक्ता को सर्वे रिपोर्ट की दो प्रतियां सौंपी गईं।

 

अदालत को ज्ञानवापी में हुए सर्वे की सीलबंद रिपोर्ट सौंपी


एएसआइ की आपत्ति के कारण पक्षकारों को ईमेल के बजाय रिपोर्ट की प्रिंट कापी सौंपी गई है। एएसआइ ने बीते 18 दिसंबर को जिला जज की अदालत को ज्ञानवापी में हुए सर्वे की सीलबंद रिपोर्ट सौंपी थी। विष्णु शंकर जैन ने सीलबंद रिपोर्ट पर आपत्ति जताते हुए उसकी प्रति मुहैया कराने की मांग की थी। बाद में प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद भी इस पर सहमत हो गया था।


839 पेज की रिपोर्ट में एएसआई की सर्वे रिपोर्ट में ये पाया गया है कि मस्जिद से पहले वहां हिन्दू मंदिर था, जो तोड़कर मस्जिद बनाई गई। एएसआई ने ये पाया है कि हिन्दू मंदिर का स्ट्रक्चर 17वीं शताब्दी में तोड़ा गया है और मस्जिद बनाने में मलबे का उपयोग किया गया है। दो तहखानों में हिन्दू देवी-देवताओं का मलबा मिला है। एएसआई की रिपोर्ट में ये पाया गया है कि मस्जिद की पश्चिमी दीवार एक हिन्दू मंदिर का भाग है। पत्थर पर फारसी में मंदिर तोड़ने में आदेश और तारीख मिली है। महामुक्ति मंडप लिखा पत्थर भी मिला है। विष्णु शंकर

जैन ने कहा कि वजू खाने के सर्वे के लिए मांग करेंगे।


एएसआई रिपोर्ट में बताया गया है कि मंदिर के खंभों को हल्का-फुल्का बदलकर नए ढांचे में उपयोग किया गया है। साथ ही खंभों से नक्काशी मिटाने का भी प्रयास किया गया है। 32 ऐसे शिलालेख मिले हैं, जो पुराने हिंदू मंदिर के हैं। कोर्ट के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद का एएसआई सर्वे हुआ था। 18 दिसंबर को वाराणसी जिला कोर्ट में एएसआई ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। 24 जनवरी को कोर्ट ने दोनों पक्षों को एएसआई रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था।

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