वाराणसी, 31 अगस्त 2022 : ज्ञानवापी मामले को लेकर आधा दर्जन मामले वाराणसी कचहरी के अलग-अलग अदालतों में चल रहे हैं। अलग-अलग वादियों ने अपनी-अपनी मांगों को रखते हुए अदालतों में प्रार्थना पत्र दिया है। राखी सिंह समेत पांच महिलाओं की ओर से दाखिल ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की मांग के प्रार्थना पत्र के बाद कई लोगों ने प्रार्थना पत्र दाखिला किया। इनमें ज्ञानवापी परिसर में एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान मिले शिवलिंग के दर्शन-पूजन के लेकर परिसर में तीन कब्रों की मौजूदगी का जिक्र करते हुए सालाना उर्स की मांग की गई है। इन मामलों की सुनवाई के लिए अगली तिथि तय की गई है।
3 सितंबर : मुख्तार अहमद की ओर से फास्ट ट्रैक कोर्ट सीनियर डिविजन महेंद्र पांडेय की अदालत में दाखिल प्रार्थना पत्र पर सुनवाई होगी। प्रार्थना पत्र में ज्ञानवापी परिसर में तीन कब्रों का जिक्र करते हुए वहां सालना उर्स व अन्य धार्मिक कृत की अनुमति मांगी गई है। इसमें प्रतिवादी प्रशासन की ओर से अभी तक कोई हाजिर नहीं हुआ है। उन्हें नोटिस दी गई है।
5 सितंबर : विश्व वैदिक सनातन संघ की अंतरराष्ट्रीय महामंत्री किरन सिंह के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई। इसमें ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग को आदिविश्वेश्वरबताते हुए नियमित दर्शन-पूजन की मांग की गई है। साथ ही परिसर को हिंदुओं को सौंपने की मांग भी की गई है। इसमें प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद ने अपनी आपत्ति दाखिल की है।
5 सितंबर : स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की ओर से सिविल जज सीनियर डिविजन कुमुदलता त्रिपाठी की अदालत में दाखिल प्रार्थना पत्र पर सुनवाई होगी। इसमें ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग को आदिविश्वेश्वर बताते हुए उनके नियमित आरती-पूजन, राग-भोग की अनुमित मांगी गई है। प्रार्थना पत्र में उल्लेख है कि भगवान का अधिकार है रोग-भोग और पूजन-अर्चना।
10 सितंबर : वहीं हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता व अजीत सिंह की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर सुनवाई भी फास्ट ट्रैक कोर्ट में होगी। इसमें ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग को अविमुक्तेश्वरमहादेव बताते हुए नियमित दर्शन-पूजन की मांग की गई है।
12 सितंबर : पांच महिलाओं की ओर से श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की मांग करते हुए दाखिल प्रार्थना पत्र पर सुनवाई जिला जज की डा. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में होगी। इसमें वादी और प्रतिवादी पक्ष की ओर से अपनी-अपनी दलीलें दी जा चुकी हैं। इस तिथि को अदालत यह तय करेगी कि मामला सुनने योग्य है या नहीं।
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