नई दिल्ली, 26 सितंबर 2023 : भारत और कनाडा के बीच रिश्तों में खालिस्तान का मुद्दा हमेशा से ही एक कठिनाई रहा है। इस मुद्दे के कारण दोनों देशों के बीच कई बार तनाव पैदा हुआ है। खालिस्तान एक अलग सिख राज्य की मांग है। यह मांग 1970 के दशक में पंजाब में शुरू हुई थी। उस समय पंजाब में सिखों और हिंदुओं के बीच हिंसा हुई थी। भारत सरकार ने इस हिंसा को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए थे। इन कदमों से खालिस्तान समर्थकों में नाराजगी बढ़ गई।
1978 में, खालिस्तानी अलगाववादी नेता तलविंदर सिंह परमार ने दो भारतीय पुलिस अधिकारियों की हत्या कर दी। परमार कनाडा में शरण लिए हुए थे। भारत ने कनाडा से परमार को सौंपने की मांग की। उस समय कनाडा के प्रधानमंत्री पियरे ट्रूडो थे। उन्होंने परमार को सौंपने से इनकार कर दिया। इस पर भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ गया। दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों में दरार आ गई।
1984 में, भारत सरकार ने ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया। इस ऑपरेशन में खालिस्तानी अलगाववादियों के ठिकानों पर हमला किया गया। इस ऑपरेशन के बाद भारत और कनाडा के बीच संबंध और भी खराब हो गए।
1986 में, कनाडा ने भारत में आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई को लेकर भारत की आलोचना की। इस पर भारत ने कनाडा के राजदूत को वापस बुला लिया। 1990 के दशक में, खालिस्तान आंदोलन में कुछ हद तक कमी आई। लेकिन इस मुद्दे ने भारत और कनाडा के बीच रिश्तों पर गहरा असर डाला।
2014 में, कनाडा के प्रधानमंत्री बने जस्टिन ट्रूडो पियरे ट्रूडो के बेटे हैं। जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी अलगाववादियों के समर्थन में कई बयान दिए हैं। इस पर भारत ने कनाडा की आलोचना की है। 2022 में, कनाडा के संसद में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें खालिस्तान को एक अलग देश के रूप में मान्यता देने की मांग की गई। इस प्रस्ताव ने भारत और कनाडा के बीच संबंधों को और तनावपूर्ण बना दिया।
खालिस्तान के मुद्दे के कारण भारत और कनाडा के बीच रिश्तों में हमेशा से ही एक खटास रही है। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए दोनों देशों को एक-दूसरे के साथ बातचीत करने की जरूरत है।
खालिस्तान आंदोलन का भारत-कनाडा संबंधों पर प्रभाव
खालिस्तान आंदोलन का भारत-कनाडा संबंधों पर कई तरह से प्रभाव पड़ा है। इनमें से कुछ प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित हैं:
राजनयिक संबंधों में तनाव: खालिस्तान आंदोलन के कारण भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंधों में कई बार तनाव पैदा हुआ है। दोनों देशों के बीच राजदूतों को वापस बुला लिया गया है। आर्थिक संबंधों में बाधा: खालिस्तान आंदोलन के कारण भारत और कनाडा के बीच आर्थिक संबंधों में भी बाधा आई है। दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश में कमी आई है। सांस्कृतिक संबंधों में गिरावट: खालिस्तान आंदोलन के कारण भारत और कनाडा के बीच सांस्कृतिक संबंधों में भी गिरावट आई है। दोनों देशों के बीच लोगों के आदान-प्रदान में कमी आई है।
खालिस्तान आंदोलन को सुलझाने के लिए सुझाव
खालिस्तान आंदोलन को सुलझाने के लिए दोनों देशों को एक-दूसरे के साथ बातचीत करने की जरूरत है। दोनों देशों को इस मुद्दे को एक-दूसरे के दृष्टिकोण से देखने की जरूरत है।
भारत को खालिस्तान आंदोलन के पीछे के कारणों को समझने की जरूरत है। भारत को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि पंजाब में सभी नागरिकों के अधिकारों का सम्मान किया जाए।
कनाडा को भारत के चिंताओं को समझने की जरूरत है। कनाडा को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि खालिस्तान आंदोलन भारत के खिलाफ इस्तेमाल न किया जाए।दोनों देशों को मिलकर इस मुद्दे को सुलझाने के लिए एक रास्ता
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