कोरोना की दूसरी लहर का प्रभाव जैसे जैसे कम हो रहा है जिंदगी को पटरी पर लाने की कवायद तेज हो गई है। इसके साथ साथ ये भी सच है कि पहली और दूसरी लहर के बाद तीसरी या उसके बाद भी किसी लहर से इंकार नहीं किया जा सकता। कोरोना से साथ अभी लड़ाई लंबी है। ऐसे में भारतीय समाज की कुछ चिंताएं हैं जिन्हें राजनीति के चश्मे से ज्यादा खुली आंखों से देखने की जरुरत है। ऐसे में कुछ समाज के कुछ जिम्मेदार ऐसे भी हैं जो दलगत राजनीति से ऊपर उठकर समाज सर्वोपरि रखते हए अपनी बात जन-जन तक और अहम ओहदों पर बैठे ऐसे सक्षम लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं जो वर्तमान में कुछ करने और बहुत कुछ करवाने का दम रखते हैं।
ऐसी ही एक शख्सियत हैं इंदरजीत सिंह टीटू। जो सामाजिक और राजनीतिक रुप से सक्रिय तो हैं लेकिन एक भारत के जिम्मेदार नागरिक की तरह दूर की सोच भी रखते हैं। ऐसे में उन्होंने एक खुला पत्र लिखा है। जिसका मजमून कुछ ऐसा है -
माननीय केंद्रीय राज्यमंत्री श्री वीके सिंह जी, राज्यसभा मेंबर श्री अनिल अग्रवाल जी, महापौर आशा शर्मा जी, विधायक राज्य मंत्री श्री अतुल गर्ग जी, विधायक श्री अजीत पाल त्यागी जी, विधायक श्री सुनील शर्मा जी एवं विधायक श्रीमती मंजू शिवाज जी।
खुले पत्र में मैं खुले तरीके से बताना चाहता हूं कि, यह पत्र लिखने का मकसद कोई किसी को नीचा दिखाना किसी पर उंगली उठाना या अपने लिए राजनीति करना नहीं है।
जन्म जन्मांतर गाजियाबाद का वासी होने के नाते मेरा कहना है हर मतदाता वह किसी भी धर्म किसी भी जाति किसी भी गली मोहल्ले का रहने वाला हो जब अपना नुमाइंदा को वोट देता है तो पूरे 5 साल उससे कुछ उम्मीदें रखता है। विशेष तौर से जितने नुमाइंदों के नाम में यह पत्र लिख रहा हूं सभी को हमेशा शहर के मतदाता ने उनको या उनके परिवार को दिया है। कुछ चुने जाने से पहले भी और चुने जाने के बाद भी इनका हमेशा से गाजियाबाद से तालुकात रहा है और तालुकात रहेगा।
अब मैं अपनी बात पर आता हूं इस महामारी के दौरान जो पिछले डेढ़ महीने हालात देखने को मिले हैं। महामारी तो 1 साल से चल रही है लेकिन यह डेढ़ माह बहुत ही भयावह स्थिति दिखाकर गया है और पता नहीं अभी हम लोगों को कितना समय और इस बीमारी से लड़ना है। हर परिवार ने कुछ ना कुछ खोया है। किसी ने बीमारी को झेला है, किसी ने अपने को खोया है किसी का पैसे से नुकसान हुआ है। इन चीजों से सभी इफेक्टिव हुए हैं। गरीब अमीर मजदूर व्यापारी पत्रकारिता जगत और सभी कारखाने वाले सबका नुकसान हुआ है। ऐसे नुकसान हुए हैं जिसकी भरपाई करना नामुमकिन है।
अब पिछले कुछ दिनों से निरंतर देखा जा रहा है सरकार और राजनीतिक नुमाइंदे दो काम में लग गए हैं। कुछ लोग तो जांच कमेटियां बनाने में लग गए हैं, कुछ लोग जो जनता से संपर्क नहीं कर पाए उनको ऑनलाइन करने में लग गए हैं। कुछ दोबारा से जनता के बीच में किस चेहरे को लेकर जाएंगे इस काम में लग गए हैं। राजनीतिक लोगों पर एक सबसे बड़ा हथियार है जांच कमेटी बना दो मामले को ठंडे बस्ते में डाल दो। अगर कमेटियों से न्याय मिलता है तो 1984 के दंगों का न्याय लेने के लिए 37 साल नहीं लगते।
मेरे इस पत्र का मकसद है इन सभी नुमाइंदों के पास जिन लोगों का मैंने जिक्र करा है इनके नुकसान की भरपाई का क्या प्लान है।
पिछले कोरोनाकाल में ना तो स्कूल की फीस खत्म हुई, ना ही बैंकों का ब्याज माफ हुआ, ना ही ट्रांसपोर्ट व्यापार मैं किसी भी प्रकार के टैक्स की छूट मिली, ना ही किसी को बिजली के बिल में छूट मिली।
उपरोक्त सभी नुमाइंदे अपने को गाजियाबादवासी मानते हैं इनको दोबारा जनता के बीच में जाना है। चुनाव लड़ना है तो भी, नहीं लड़ना तो भी, यह सब अलग बात। इनको हमेशा गाजियाबाद में जनता के बीच में रहना है।
मेरी सभी नुमाइंदों से हाथ जोड़कर झोली फैला कर एक ही मांग है कि, यह सभी नुमाइंदे एक प्रेस वार्ता करके गाजियाबाद जिले की जनता को बताएं की जनता के लिए राहत देने के लिए इनके पास क्या प्लानिंग है। किस रूप में गाजियाबाद की जनता को राहत देंगे या माननीय मुख्यमंत्री से दिलाएंगे या केंद्र सरकार से दिलवायेगें जो स्पष्ट रूप से नजर आनी चाहिए।
जनता को अब कमेटियों के इंतजार नहीं हर शख्स को राहत की इंतजार है। जिन लोगों ने भी मानवता को बेचते हुए कालाबाजारी की, हॉस्पिटल में पैसे ज्यादा लिए कुदरत उनसे जवाब अपने आप ले लेगी। हम जवाब नहीं भी ले पाएंगे तो कुदरत की लाठी में आवाज नहीं होती। उसके यहां हमेशा अन्याय नहीं होता है। चाहे देर लगे लेकिन न्याय जरूर है ऊपर वाले के दरबार में अब तो ऐसी राहत मिले जो स्पष्ट दिखाई दे।
इंदरजीत सिंह टीटू
आपका भाई आपका शुभचिंतक
टीम स्टेट टुडे
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