google.com, pub-3470501544538190, DIRECT, f08c47fec0942fa0
top of page
Writer's picturestatetodaytv

धरती से जुड़ा किसान अपनी धरती को लौटा तो ज़मीन पर आ गिरे हवाबाज़ नेता



किसान आंदोलन के नाम पर बीते कई महीनों से अपनी दुकानदारी चलाने वाले तथाकथित किसान नेताओं के पैर के नीचे से जमीन सरक गई है। योगेंद्र यादव, दीप सिद्दू, राकेश टिकैत, हन्नान मोला, दर्शनपाल जैसे तमाम चेहरे कृषि कानूनों के विरोध में हथेली पर जो सरसों उगा रहे थे, वो तेवर हवा हो गए। 26 जनवरी के दिन हिंसा और उपद्रव के बाद इन चेहरों से लोगों का भरोसा उठ गया है। किसान आंदोलन के समर्थन में जो मजमा बीते कई महीने से दिल्ली बार्डर पर दिख रहा था वो एक झटके में काफूर हो गया।


बुधवार सुबह से पंजाब की ओर जाने के लिए जीटी रोड पर ट्रैक्टर-ट्रालियों की जो कतारें लगीं वो गुरुवार को भी बदस्तूर आगे बढ़ती रहीं। हालात ऐसे हुए कि कुंडली से लेकर मुरथल के आगे तक जीटी रोड पूरी तरह से जाम हो गया। दोपहर तक गांव रसोई तक जीटी रोड लगभग खाली हो चुका था।


किसान नेताओं की खिसकी जमीन


आंदोलनकारी समर्थकों के जत्थे जैसे जैसे मौके से वापस लौटे तथाकथित किसान नेताओं के चेहरे पर हवाइंया उड़ने लगीं। तथाकथित नेताओं ने एलान किया था कि परेड से वापस आने के बाद कोई किसान वापस नहीं जाएगा, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में किसानों की वापसी से किसान नेता चिंतित हो उठे। तत्काल वापस लौट रहे किसानों को समझाने का प्रयास शुरू हुआ और आंदोलन स्थल से वापस हो रहे किसानों को रोकने का काम शुरू हुआ। किसानों को धरनास्थल पर बनाए रखने के लिए किसान नेताओं ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी ।



वापस लौट रहे समर्थकों को रोकने के लिए संयुक्त किसान मोर्चे के नेता पूरी ताकत से जुट गए हैं। पहली बार मंच पर मोर्चे के बड़े नेता बलबीर सिंह राजेवाल, बलदेव सिंह सिरसा, गुरनाम सिंह चढ़ूनी, हरजिंदर सिंह टांडा आदि आंदोलन के मुख्य मंच पर एक साथ आए और किसानों को संबोधित कर उनमें जोश भरने का प्रयास किया। मंच से किसानों को धर्म व समाज के नाम पर भावनात्मक रूप से रुकने और आंदोलन को आगे बढ़ाने की अपील की गई।


बलदेव सिंह सिरसा ने कहा कि दो महीने बाद यदि यहां से खाली हाथ लौटे तो घर की मां, बहन और पत्नी भी ताने मारेंगी। उन्होंने सभी को सिख इतिहास और कुर्बानी की याद दिलाई। गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों की शहादत की याद दिलाई।


बलबीर सिंह राजेवाल ने तो श्रवण सिंह पंधेर और सतमान सिंह पन्नू को गद्दार करार दिया।

गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने जाट आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि उसी की तर्ज पर अब इस आंदोलन को भी तोड़ने की कोशिश की जा रही है।


लाख समझाने पर भी दिल्ली का हुड़दंग देख समझदार हुआ आम आंदोलनकारी तथाकथित नेताओं की एक सुनने को तैयार नहीं है। लंगर उठ चुका है। लोग अपनी जमीन अपने गांव लौटने को व्याकुल हैं। ऐसे में जो लोग किसान आंदोलन के नाम पर अपनी नेतागिरी चमका रहे थे वो ना घर के रहे ना घाट के। तथाकथित नेताओं के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामले दर्ज किए जा चुके हैं। प्रशासन एक्शन मोड में है। समर्थकों की भीड़ वापस जाने के बाद तथाकथित नेताओं को धरना प्रदर्शन स्थल का सन्नाटा अब डरा रहा है।


टीम स्टेट टुडे


Comentários


bottom of page