google.com, pub-3470501544538190, DIRECT, f08c47fec0942fa0
top of page
chandrapratapsingh

जानें- भारत ने तेल के खेल में कैसे दरकिनार किया अमे‍रिका का दबाव और क्यों चिढ़ता है पाक


नई दिल्ली, 18 अगस्त 2022 : रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते भले ही विश्‍व के कुछ देशों को तेल और गैस की कमी का संकट हो लेकिन भारत पर न तो ऐसा कोई दबाव है न ही संकट। भारत ने इस युद्ध के चलते रूस पर लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों को खुलेतौर पर मानने से इनकार कर ये बता दिया है कि वो अपने निजी हितों को किसी के दबाव में आकर नुकसान नहीं पहुंचाने वाला है। यही वजह है कि बाद में अमेरिका ने इसको लेकर लचीला रुख अपनाया और रूस से व्‍यापार में भारत को छूट दे दी। अमेरिका के ऐसा करने की सबसे बड़ी वजह भारत की विश्‍व में साख है। रणनीतिक और कूटनीतिक, दोनों ही तरह से भारत कई मोर्चों पर मजबूती के साथ खड़ा है। वहीं दक्षिण एशिया में उसको चीन के बढ़ते कदमों को रोकने के लिए भारत की मदद की दरकार है।

रूस के तेल की खरीद

बता दें कि भारत सबसे अधिक तेल इराक से करता है। इसके बाद रूस का और फिर तीसरे नंबर पर सऊदी अरब का नंबर आता है। फरवरी में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था तब अमेरिका ने रूस पर तेल एक्‍सपोर्ट पर रोक लगा दी थी। उस वक्‍त कुछ भारतीय कंपनियों ने रूस से तेल खरीद में कुछ कमी की थी, लेकिन अब ये दोबारा पटरी पर आ गई हैं। सरकारी आंकड़े भी इस बात की गवाही दे रहे हैं। अमेरिकी प्रतिबंधों के दबाव में कई देशों ने रूस से तेल की खरीद नहीं की थी। लेकिन, जहां तक भारत की बात है तो अमेरिका का ये दबाव भारत के ऊपर नहीं चला है।

खरीद में कुछ कमी की वजह

हालांकि, मार्च के बाद से केवल जुलाई में रूस से आने वाले तेल में पहली बार कमी देखी गई है। इसकी वजह रूस से आने वाले तेल के दामों में आया उछाल भी है। इसको देखते हुए कुछ तेल कंपन‍ियों ने सऊदी अरब से तेल इंपोर्ट किया हे। जुलाई माह में रूस से हर रोज 877400 बैरल प्रति दिन तेल का इंपोर्ट किया गया है। जुलाई में इसमें जून की अपेक्षा 7.3 फीसद की कमी देखी गई है। लेकिन ये कमी हर तरफ देखी गई है।

भारत की विश्‍व को दो टूक

पिछले दिनों इंडिया-थाईलैंड जवाइंट कमीशन की 9वीं बैठक में हिस्‍सा लेने के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साफ कर दिया था कि भारत अपने निजी हितों को नुकसान नहीं पहुंचा सकता है। भारत रूस से सस्‍ती दर पर तेल खरीद रहा है और आगे भी खरीदेगा। इस बात की अमेरिका समेत पूरे विश्‍व को समझ आ जानी चाहिए कि ये भारत की जरूरत है। जहां की प्रति व्‍यक्ति आय दो हजार डालर प्रति माह है वहां पर अधिक कीमत पर तेल नहीं नहीं खरीदा जा सकता है।

तेल का बड़ा खरीददार है भारत

आपको यहां पर ये भी बता दें कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल इंपोर्टर और कंज्‍यूमर है। बीते कुछ समय में भारत ने सऊदी से भी अपनी तेल खरीद को करीब 25 फीसद से अधिक बढ़ा दिया हे। जुलाई में भारत ने सऊदी से अर रोज 8.24 लाख बैरल प्रति दिन तेल खरीदा था। ये बीते तीन महीनों के दौरान इसका सर्वोच्‍च स्‍तर भी था। मिडिल ईस्‍ट देशों से भारत को आने वाले तेल में जुलाई में कुछ कमी देखने को मिली है। जैसे- बीत दस माह के दौरान भारत ने इराक से जून में 9 फीसद से अधिक की कमी तेल खरीद में की है। वहीं रूस की बात करें तो इसमें रूस से आने वाले डीजल रिच ईएसपीओ ग्रेड में उछाल देखने को मिला है।

पाकिस्‍तान को नहीं आता रास

पाकिस्‍तान हमेशा से ही भारत से कई मुद्दों पर नफरत करता रहा है। तेल इंपोर्ट के मुद्दे पर भी उसका यही हाल रहा है। इमरान खान कई बार अपनी रैलियों में पीएम रहते हुए भी ये बात कह चुके हैं कि भारत रूस से अमेरिकी प्रतिबंध होने के बाद भी धड़ल्‍ले से तेल खरीद रहा है और उन्‍हें प्रतिबंधित किया गया है।

1 view0 comments

Comments


bottom of page