लखनऊ,7 मार्च 2022 : दस मार्च की मतगणना को लेकर जितनी चिंता विधायक उम्मीदवारों को है, उससे अधिक नगर निगम के पार्षदों को है। हर पार्षद को चिंता है कि अगर वार्ड में उनका दल हार गया तो किस मुंह से टिकट मांगेंगे। दरअसल इसी 12 दिसंबर को पांच साल पूरा होने पर नए महापौर समेत सभी नए 110 पार्षदों को शपथ लेनी है और चुनाव नवंबर में हो सकते हैं। ऐसे में टिकट मांगने की दौड़ भी दो तीन माह में ही दिखने लगेगी।
वैसे तो सभी दलों में टिकट पाने की होड़ मची रहती है लेकिन भाजपा और सपा में कुछ अधिक ही दावेदार रहते हैं। भाजपा से 58 पार्षद चुनकर आए थे। बाद में सपा समेत निर्दलीय पांच पार्षद भाजपा में शामिल हो गए थे। इस हिसाब से भाजपा 63 पार्षदों वाल दल बन गया था और महापौर के होने से सदन में उसकी मत संख्या 64 हो गई थी। इस हिसाब से सदन में प्रस्ताव पास कराना भाजपा के लिए आसान हो गया था लेकिन तीन पार्षदों की मौत से यह संख्या 60 रह गई थी। इसमें ऐशबाग वार्ड से पार्षद ऊषा शर्मा, इंदिरानगर वार्ड से पार्षद वीरेंद्र कुमार 'वीरू' और चौक के काली जी वार्ड से पार्षद रमेश कपूर थे।
समाजवादी पार्टी से कुल 33 पार्षद हैं। यह संख्या इसलिए बढ़ गई, क्योंकि निर्दलीय चुनाव लडऩे वाले विक्रमादित्य वार्ड से नीरज यादव सपा में शामिल हो गए थे। कांग्रेस के पास आठ पार्षद थे, जिसमें से ओमनगर वार्ड से राजेंद्र सिंह गप्पू और राजाबाजार वार्ड से पार्षद शहनाज अबरार का निधन हो गया था, जबकि गोलागंज के पार्षद मोहम्मद हलीम सपा में शामिल हो गए। ऐसे में कांग्रेस के पास पांच पार्षद ही बचे हैं, जबकि निर्दल पार्षदों की संख्या छह है।
दो पार्षद भीमैदानमें
मालवीयनगरसे कांग्रेस कीपार्षद ममता चौधरीमोहनलालगंज सीट सेकांग्रेस उम्मीदवार हैं तोयहियागंज से भाजपापार्षद रजनीश गुप्ता मध्यसीट से भाजपाके उम्मीदवार हैं।
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