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सिडबी - ट्रांसयूनियन सिबिल एमएसएमई पल्स रिपोर्ट



सिडबी-ट्रांसयूनियन सिबिल एमएसएमई पल्स रिपोर्ट के नवीनतम संस्करण से इस आशय की पुष्टि होती है कि वित्त वर्ष 2021 में एमएसएमई उद्यमों को ₹ 9.5 लाख करोड़ के ऋण संवितरित किए गए। यह राशि पिछले वर्ष अर्थात् वित्तवर्ष 2020 की तुलना में बहुत अधिक है, जब केवल ₹ 6.8 लाख करोड़ की राशि के ही ऋण संवितरित किए गए थे। आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम के अंतर्गत संकटकालीन ऋण-व्यवस्था गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) जैसे सरकारी अंतरवर्तनों ने एमएसएमई क्षेत्र के लिए ऋण-संवितरण की इस महत्तर अभिवृद्धि को संपन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत में तुलनपत्र में उल्लिखित कुल वाणिज्यिक ऋण जोखिम मार्च '21 में 74.36 लाख करोड़ रुपये था, जिसमें 0.6% की वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि दर्ज हुई थी। मार्च '21 तक एमएसएमई क्षेत्र-विशेष हेतु ऋण-संवितरण की राशि ₹ 20.21 लाख करोड़ थी, जिसमें वर्ष-दर-वर्ष 6.6% की संवृद्धि की दर देखी गई। यह ऋण-संवृद्धि एमएसएमई के सभी उप क्षेत्रों में संवितरित ऋणों के संबंध में देखी गई है।


संबंधित रिपोर्ट विश्लेषण से पता चलता है कि महामारी की पहली और दूसरी लहर के बाद ऋण संबंधी मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पहली लहर के दौरान, वाणिज्यिक ऋण-पृच्छाओं में 76% की आरंभिक कमी के उपरांत, ईसीएलजीएस संबंधी हस्तक्षेप के पश्चात् इसमें तेजी से सुधार परिलक्षित हुए और अनंतर यह स्थिति पूर्व-कोविड19 के स्तरों के करीब कायम है। मार्च '21 में वाणिज्यिक ऋण-पृच्छाएं पूर्व-कोविड19 के स्तरों से 32% अधिक थी; दूसरी लहर के कारण यह धारावाहिकता प्रभावित हुई, पर जून '21 से पुनः पूर्व-कोविड19 के स्तरों की भांति तेज सुधार दिखाई दे रहे हैं।


एमएसएमई पल्स के निष्कर्षों पर अपने विचार व्यक्त करते हुए सिडबी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, श्री शिवसुब्रमणियन रमन ने कहा, “एमएसएमई ऋण संबंधी ब्यौरे ईसीएलजीएस योजना की सफलता के बेजोड़ प्रमाण हैं। इस योजना के माध्यम से इस क्षेत्र के संवितरण में वर्ष-दर-वर्ष 40% की संवृद्धि दर्ज हो सकी है, जिसके परिणामस्वरूप एमएसएमई उद्यमों में व्यावसायिक भावनाओं का पुनः संचार हुआ है। वे प्रमुख वैशिष्ट्य, जो इस क्षेत्र में पुनरुत्थान के प्रस्थान-बिंदु को दर्शाते हैं, इस प्रकार हैं - बैंक-ऋण हेतु सर्वथा नए ग्राहकों का सहयोजन, जो कोविड-पूर्व स्तरों पर वापस आ गया है, जबकि बैंक-ऋण के लिए मौजूदा ग्राहकों में पूर्ववत उत्साहवर्द्धक तेजी बनी हुई है। सरकार द्वारा हाल ही में अतिरिक्त राहत उपायों, विशेषतः स्वास्थ्य सेवा, यात्रा और पर्यटन क्षेत्र में एमएसएमई संबंधी ऋण आशातीत सुधार की उम्मीद है। इसके अतरिक्त, ऋणदाताओं से यह अपेक्षित है कि वे एममएसएमई क्षेत्र के लिए ऋण की संवृद्धिशीलता को कायम रखते हुए, ऋण संविभागों के स्वास्थ्य की निरंतर निगरानी करते रहें।


रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में नए ऋण प्राप्त करने वाले एमएसएमई उधारकर्ताओं की प्रोफ़ाइल बदली है


एमएसएमई उधार में महत्वपूर्ण बदलाव पर अंतर्दृष्टि को समझने के लिए, एमएसएमई पल्स के इस संस्करण में पूर्व कोविड लहर-1 में वित्त पोषित संस्थाओं की तुलना में कोविड लहर-1 के बाद की वित्त पोषित संस्थाओं के उधारकर्ताओं की प्रोफाइल का विश्लेषण शामिल है। एमएसएमई के उसके क्रेडिट इतिहास डेटा के आधार पर सिबिल एमएसएमई को 1-10 के पैमाने पर रैंक प्रदान करता है, एमएसएमई के लिए सीएमआर 1 सर्वोत्तम संभव रैंक है और सीएमआर 10 सबसे जोखिम भरा रैंक है। कोविड लहर-1 के बाद , उच्च जोखिम वाले (सीएमआर 8-10) एमएसएमई इकाइयों की स्थापना में कमी आई है। यह कमी सीएमआर 6–7 वाले एमएसएमई की स्थापना में वृद्धि से पूरी हुई है, जो वर्तमान अनिश्चितता के वातावरण में उधारकर्ताओं की जोखिम उठाने की क्षमता में कमी और 1-5 सीएमआर की रेंज में आने वाले अच्छे एमएसएमई को ढूँढ पाने की कठिनाई को दर्शाता है। ट्रांसयूनियन सिबिल के क्रेडिटविज़न® (सीवी) द्वारा एल्गोरिथम का उपयोग करके चुकौती में चूक के संबंध में किए गए विश्लेषण में भी यही प्रवृत्ति प्रतिध्वनित होती है, जो यह दर्शाता है कि चुकौती के बेदाग रिकॉर्ड वाले एमएसएमई को ढूँढ पाना कठिन है। यह विश्लेषण बकाया राशि की चुकौती के संबंध में एमएसएमई के व्यवहार को इंगित करता है। अंतर्दृष्टि से प्रकट होता है:


ऐसी एमएसएमई इकाइयाँ, जिन्हें जनवरी से मार्च '21 की अवधि में ऋण दिया गया था, उनमें से 29% ने पिछले तीन महीनों में एक से अधिक बार चुकौतीगत चूक की थी।


ऐसी एमएसएमई इकाइयां, जिन्हें जनवरी से मार्च ’20 के दौरान ऋण दिया गया था, उनमें से 21% ने पिछले 3 महीनों में 1 से एक से अधिक बार चुकौतीगत चूक की थी।


ट्रांसयूनियन सिबिल के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, श्री राजेश कुमार ने कहा कि “तालाबंदी खुलने के बाद एमएसएमई के ऋण मांग में महत्वपूर्ण वृद्धि के साथ भारत के संवृद्धि की कहानी में विश्वास फिर से स्थापित हुआ है। सरकार की विकास-समर्थक पहल जैसे ₹4.5 लाख करोड़ के ईसीएलजीएस समर्थन का विस्तार, ऋणों की पुनर्संरचना जैसे नियामक सुधार और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करके बैंकों और ऋणदात्री संस्थानों द्वारा इन पहलों के तेजी से कार्यान्वयन ने एमएसएमई को मजबूत किया है। इन प्रगतिशील नीतियों और समर्थन के साथ, भारत का एमएसएमई क्षेत्र एक निश्चित पुनरुत्थान पथ पर स्थापित है और यह हमारी अर्थव्यवस्था की भावी शक्ति और विकास के लिए अच्छा है।”


हाल की तिमाहियों में, विशेष रूप से मध्यम जोखिम और उच्च जोखिम खंडों में, ऋण की शेष-राशि में त्वरित वृद्धि हुई है जिससे संविभाग की उच्च निगरानी की अपेक्षा निर्मित हुई है। क्रेडिटविज़न® (सीवी) एल्गोरिदम जैसे, नकद क्रेडिट और ओवरड्राफ्ट ऋण जैसी परिक्रामी ऋण सुविधाओं के लिए ऋण की शेष-राशि में उपयोग की प्रवृत्ति का विश्लेषण 12 महीनों की अवधि में किया गया है। ये एल्गोरिदम क्रेडिट ब्यूरो डेटा के और अधिक पृथक्करण को सक्षम बनाता है और जब सीएमआर के संयोजन में इसका उपयोग किए जाने पर, यह एक तीव्रतर जोखिम विभेद उपलब्ध कराता है।


सिबिल एमएसएमई रैंक (सीएमआर) के भीतर उपयोग का विभाजन, उच्चतम उपयोग खंड (> 78% औसत उपयोग) में यह इंगित करता है कि सीएमआर 4-5 रैंक वाले उधारकर्ता खंड के एमएसएमई संस्थाओं में खराब ऋणों की दर 13% है, जबकि समान सीएमआर वाले उधारकर्ता खंड में उपयोग का स्तर 50% से कम होने पर खराब ऋणों की दर घाट कर 7% हो जाती है। इस प्रकार, उपयोग के प्रवृत्ति के एल्गोरिथम का उपयोग करके, अच्छी रैंक के भीतर तनाव वाले हिस्से की पहचान करना संभव है, साथ ही मध्यम-जोखिम वाले उधारकर्ताओं के बीच बेहतर उधारकर्ताओं को विभागीकृत करना संभव है।


श्री राजेश ने यह निष्कर्ष निकाला, “एमएसएमई खंड, ईसीएलजीएस अंतरवर्तनों के समर्थन सहित, व्यवसाय संवृद्धि और आर्थिक पुनरुत्थान को संवेग प्रदान करने के लिए अच्छी तरह से समर्थित है। बैंकों और उधारदात्री संस्थानों को अब निरंतर ऋण वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और सीएमआर और क्रेडिटविज़न® लेंस के माध्यम से अपने संविभाग के स्वास्थ्य की निगरानी पर ध्यान देना चाहिए ताकि निरंतर विकास के लिए आवश्यक हस्तक्षेप को यथासमय लागू करने में सक्षम हो सकें।


एमएसएमई क्षेत्र के लिए ईसीएलजीएस और अन्य अंतरवर्तनों के चलते वित्त वर्ष 2021 में एमएसएमई खंड को पहले के वर्षों की तुलना में अधिक ऋण राशि संवितरित की गई है: वित्त वर्ष 2021 में, देश ने एमएसएमई क्षेत्र को ₹9.5 लाख करोड़ के ऋण संवितरित किए जो कि पिछले वित्त वर्ष 2020 में संवितरित ₹6.8 लाख करोड़ के ऋणों की तुलना में अधिक रहे। वित्त वर्ष 2021 के लिए एमएसएमई ऋण प्रदान करने में यह तेज उछाल ईसीएलजीएस की आत्मानिभर भारत योजना द्वारा समर्थित रही, जिसने उधारदाताओं को 100% ऋण गारंटी प्रदान की।


जून '21 में तालाबंदी के हटाए जाने पर एमएसएमई द्वारा ऋण की मांग (जिसे ऋण पृच्छाओं के रूप में मापा गया) में तेज उछाल आया है, जो वित्त वर्ष 2021 की चौथी तिमाही के बाद दूसरी लहर में निस्तेज हो गई थी: पहली लहर के कारण वाणिज्यिक ऋण की पृच्छाओं में 76% की प्रारंभिक गिरावट के बाद, ये स्थिति ईसीएलजीएस के साथ तेजी से ठीक हो गई और तब से यह कोविड-पूर्व स्तरों के आसपास बनी हुई है। मार्च '21 में वाणिज्यिक ऋणों की पृच्छाएँ कोविड-पूर्व ​​स्तरों से 32% ऊपर थीं, यद्यपि यह सुदृढ़ गति दूसरी लहर से प्रभावित हुई थी लेकिन जून '21 में इन ​​स्तरों में तेजी से सुधार हुआ और ये कोविड-पूर्व स्तरों पर आ गईं।


मार्च '21 में एमएसएमई के ऋण बकाया में 6.6% की वृद्धि हुई है, जिसमें सूक्ष्म खंड सबसे तेज गति 7.4% बढ़ रहा है: क्रेडिट मांग में मजबूत प्रतिवर्तन, समान रूप से मजबूत ऋण आपूर्ति और ईसीएलजीएस समर्थन के चलते एमएसएमई की ऋण बकाया राशि संवृद्धि के साथ ₹20.21 लाख करोड़ हो गई है। 6.6% की वर्षानुवर्ष संवृद्धि दर के साथ सूक्ष्म खंड में सबसे तेज गति से 7.4% की संवृद्धि हुई है, जिसके बाद लघु खंड में 6.8% और मध्यम खंड में 5.8% की दर से संवृद्धि हुई है।


बैंक के लिए नए ग्राहक (एनटीबी) को ऋण देना, एमएसएमई इकाइयां कोविड-पूर्व स्तरों पर वापस आ गई हैं, जबकि बैंक के मौजूदा ग्राहक (ईटीबी) को उधार देना जारी है: बैंक के लिए नए एमएसएमई ग्राहकों को अप्रैल '20 में ऋण संवितरण कोविड-पूर्व- ​​स्तरों की तुलना में 90% तक गिर गया था और मार्च '21 में यह धीरे-धीरे कोविड-पूर्व ​​स्तरों की तुलना में 5% अधिक के स्तर तक वापस आ गया है। जून '20 में बैंक के मौजूदा एमएसएमई ग्राहकों को ऋण संवितरण ईसीएलजीएस के कारण कोविड-पूर्व स्तरों से बढ़कर 75% हो गया और तब से कोविड-पूर्व स्तरों को बनाए रखा है।


टीम स्टेट टुडे


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