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नामीबिया ने यूं ही नहीं दिखाई भारत को चीते देने में रुचि, देखा ट्रैक रिकार्ड


नई दिल्ली, 17 सितंबर 2022 : 70 साल पहले देश से विलुप्त हो चुके चीतों के फिर से आने पर देश भर में खुशी का माहौल है, लेकिन यह बात कम ही लोगों को पता है कि नामीबिया ने भारत को चीते देने का यह फैसला यूं ही नहीं लिया। फैसला लेने से पहले भारत में वन्यजीवों के संरक्षण को लेकर पिछले सालों के ट्रैक रिकार्ड को भी देखा। जिसमें देश में न सिर्फ वन्यजीवों के संरक्षित क्षेत्रों में बढ़ोत्तरी हुई, बल्कि बाघ, शेर, तेंदुआ और हाथी जैसे वन्यजीवों की संख्या में अच्छी खासी बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है। इतना ही नहीं, चीतों को भी फिर से बसाने के लिए शीर्ष स्तर पर जिस तरह की इच्छा शक्ति दिखाई है, उससे भी नामीबिया की सरकार काफी प्रभावित हुई।

वन्यजीवों के संरक्षण को लेकर लगातार काम करती आ रही है मोदी सरकार

चीतों को रखने के लिए कूनो में जिस स्तर पर तैयारियां की गई थी, उसे देखकर नामीबिया के अधिकारी भी अचंभित थे। चीता प्रोजेक्ट के प्रमुख और वन्यजीव विशेषज्ञ एसपी यादव के मुताबिक कूनो की तैयारियों को देखने के लिए आए नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के शीर्ष अधिकारियों का कहना था कि इतने अच्छे इंतजाम तो उनके यहां नहीं है।

वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक मोदी सरकार वन्यजीवों के संरक्षण को लेकर आठ सालों से लगातार काम करती आ रही है। इस दौरान वन्यजीवों के संरक्षित क्षेत्रों को बड़ा विस्तार दिया गया। संरक्षित क्षेत्रों का विस्तार 1.71 लाख वर्ग किमी से ज्यादा का है। इसके साथ ही पिछले चार सालों में देश के वन और पौधरोपण के क्षेत्र में 16 हजार वर्ग किमी की बढ़ोत्तरी हुई है।

दुनिया में बाघों की 75 फीसद से ज्यादा आबादी सिर्फ भारत में

सरकार का वनों और संरक्षित क्षेत्रों पर जोर इसलिए भी था, क्योंकि वन्यजीवों की बढ़ती संख्या के लिए यह जरूरी था। इसके साथ ही दुनिया में बाघों की 75 फीसद से ज्यादा आबादी सिर्फ भारत में मिलती है। मौजूदा समय में देश के 18 राज्यों में बाघों के 52 रिजर्व है। यही नहीं, बाघों की आबादी में बढ़ोत्तरी का जो लक्ष्य रखा गया है, उसे भारत ने चार साल पहले ही हासिल कर लिया। मौजूदा समय में भारत में करीब तीन हजार बाघ है। इसी तरह देश में शेरों की संख्या भी अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है।

मौजूदा समय में देश में 674 से ज्यादा शेर है। इसके अलावा तेंदुओं की संख्या मौजूदा समय में बढ़कर 12852 हो गई है, जो 2014 में 7910 थी। मंत्रालय के मुताबिक वन्यजीवों के संरक्षण के लिए बजट में भी बढ़ोत्तरी की गई है। 2014 में यह बजट 185 करोड़ का था, जो अब बढ़कर तीन सौ करोड़ हो गया है।
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