निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल “निषाद पार्टी” डॉ संजय कुमार निषाद द्वारा मछुआ समाज समेत अन्य वंचित और शोषित जातियो को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की लिए संवैधानिक अधिकार रथयात्रा निकालने का आह्वान किया गया है। उन्होंने बताया की यह यात्रा उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों से होते हुए दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में समापन की जाएगी। साथ ही यात्रा प्रदेश के 18 मण्डल को 03 चरणों में पूर्ण की जाएगी और प्रदेश 200 मछुआ समाज बाहुल्य सीट जहां पर 25 हज़ार से 01 लाख तक की आबादी है, उन विधानसभा में प्रमुखता से यात्रा को निकाला जायेगा। श्री निषाद जी ने रथ यात्रा के संकल्प को लेकर कहा कि दिल्ली और लखनऊ से बैठकर कभी भी विकास की मुख्यधारा से पिछड़ी जातियो का उत्थान नहीं किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशन में इससे पूर्व भी वो उत्तर प्रदेश के 50 जनपद का भ्रमण किया था, जिसके अंतर्गत उन्होंने सरकारी योजनों के लाभ को आम जन, ग़रीब, पिछड़े तबके को प्राथमिकता पर देने के निर्देश भी दिये थे।
डा. निषाद ने रथ यात्रा निकालने की संकल्पना को लेकर बताया कि प्रदेश के निषाद, कश्यप समेत अन्य 17 पिछड़ी जातियों के उत्थान के लिया बनाई थी, क्योंकि पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा प्रदेश की निषाद, केवट, मल्लाह, बिंद, कश्यप समेत अन्य जातियों के साथ भेदभाव किया गया था, प्रदेश में निषाद समाज की दिशा-दशा अनुसूचित जातियों से भी बदतर थी, और पूर्ववर्ती सरकारों ने अपने समाज की जातियों को खुश करने के लिए निषाद समाज को फुटबॉल समझकर मछुआ समय को अनुसूचितजाति में होने का बाद भी कभी अनुसूचित जाति को मिलने वाले से वंचित रखा गया है और ऐसे में निषाद पार्टी के गठन से बाद से उत्तर प्रदेश की बहुसंख्यक आबादी को निषाद पार्टी के बैनर तले लामबंद करके, केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना का लाभ मछुआ समय को दिलवाने के लिए किया रहा है। इस रथ यात्रा के माध्यम से कश्यप-निषाद-मछुआ बाहुल्य ग्राम समाज को जोड़ने का काम किया जायेगा, साथ ही मत्स्य विभाग द्वारा चलाई जा रही विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से लाभ भी दिया जाएगा।
प्रथम दिवस संवैधानिक अधिकार रथ यात्रा कार्यक्रम विवरण
दिनांक- 30 नवम्बर 2024
स्थान- माँ शाकुम्भरी देवी शक्तिपीठ, सहारनपुर से नकुड तक
(बड़वाला ग्राम सभा में {जनसभा} से बेहट से गंदेवड से सढ़ौली-हथौली से तोड़रपुर से पथेड़ से चिलकाना से साल्हापुर से सारसवाँ{कश्यप समाज धर्मशाला में सभा} से नकुड़ यात्रा विश्राम
समय- प्रातः 11 बजे से साय 06 बजे तक
द्वितीय दिवस संवैधानिक अधिकार रथ यात्रा कार्यक्रम विवरण
दिनांक- 01, दिसंबर 2024
स्थान- नकुड से यात्रा जनपद मुज़फ़्फ़रनगर के लिये प्रस्थान करेगी
समय- प्रातः 09 बजे
जानिए क्यों निकल रही है न्याय रथ यात्रा - मछुआ समाज के आरक्षण का पूरा इतिहास समझिए
निषाद पार्टी“ संकल्प लेकर संवैधानिक अधिकार न्याय रथ यात्रा
मछुआ समाज को जगाने के लिए कि 1931 से 1991 तक ए.सी. में गिनती और मझवार तुरैहा का एस.सी. का प्रमाण पत्र भी मिलता था से संबंधित आरक्षण के हकदार सबसे पहले ये लोग और राजनीतिक आरक्षण मछुआ अनुसूचित जाति सुरक्षित लोकसभा, राज्यसभा, विधान परिषद, विधानसभा, बजट, जमीन, नौकरी, समान-सम्मान छिनने वाले धोखेबाजों का पर्दाफाश क्योंकि आरक्षण एक प्रतिनिधित्व एवं समानता का अवसर प्राप्त करने का संवैधानिक अधिकार है. भारत सरकार के 10 अगस्त 1950 के गजट में अधिसूचित अनुसूचित जाति अधिनियम से लैदरमैन, वॉशरमैन, क्राफ्ट्समैन, फिशरमैन को मिली हुई सुरक्षा मछुआरों के सभी उपजाति पुकारू नामों का का जनगणना अनुसूचित जाति मझवार और तुरहा में और इनको माझवार और तूरैहा का प्रमाण पत्र आसानी से निर्गत कराया जाने के लिए इस संवैधानिक अधिकार यात्रा सबको समझदार जानकारी होशियार एक है तो सेफ है बाटेंगे तो सभी अधिकारों से कटेंगे हम सब एक होकर डटेंगे के नारे को चरितार्थ करना होगा.
*#राजनैतिक_धोखेबाजों_से_बचें...
धोखेबाजी से लेदरमैन (जाटव) और मिल्कमैन को अति पिछड़ी जातियों के हिस्से को लूटने के लिए*
‘‘सामाजिक न्याय मंत्री मा. मुकुल वासनिक एवं कुमारी शैलजा’’ नेे अधिनस्थ अधिकारियों के साथ षड़यंत्र रचकर संवैधानिक मछुआ एस.सी. आरक्षण की फाईल गायब करा दी यह फाईल नही मछुआरों का भविष्य, सम्मान, संवैधानिक सुरक्षा गायब कराई है। सपा बसपा और कांग्रेस के पापों का दंश आज मछुआ समाज झेल रहा है
आप सभी को जानना और समझना होगा कि संविधान के अनुसूचित जाति आदेश 1950 से सम्बंधित संवैधानिक ‘‘फाइल संख्या 74-4-1950 पब्लिक‘ गुम हो गई है। यह जानकारी आर.टी.आई. के जरिए मिली है। उत्तर प्रदेश राज्य से अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास 2007 से विचाराधीन है। इन सभी जातियों के बहुत सारे संगठन के लोगों द्वारा लगातार आंदोलन, धरना-प्रदर्शन, रैली और सरकार का घेराव चल रहा है।
आर.टी.आई. के जरिए निषाद एवं कुम्हार जाति को अनुसूचित जाति में शामिल किए जाने के प्रकरण में जानकारी मांगी गई थी जिसमें पत्रावली के गुम होने का खुलासा हुआ है। आर.टी.आई. के अपील में केन्द्रीय सूचना आयोग द्वारा पारित ‘‘आदेश संख्या सी.आई.सी./सी.ए./ए./2012/001036 दिनांक 06/09/2012’’ के परिपालन में ‘‘केन्द्रीय सूचना अधिकारी एवं निर्देशक सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय नई दिल्ली भारत सरकार द्वारा अपने ‘‘पत्र संख्या-17020/126/2011 एस.सी.डी. (आर.एल. शैल) दिनांक 16-10-2012‘‘ के माध्यम से सूचित किया है कि सूचना से सम्बंधित ‘‘पत्रावली संख्या-74/4/1950 पब्लिक’’ गुम हो गई है।
यह पत्रावली गृहमंत्रालय के पास होने की सम्भावना जताई गई। गृहमंत्रालय के ‘‘केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी नई दिल्ली’’ द्वारा अपने ‘‘पत्र संख्या 1/14/2012 ओ.आर.आर. दिनांक 29/12/2012‘‘ द्वारा अवगत कराया गया है कि सम्बंधित ‘‘पत्रावली संख्या-74/4/1950 पब्लिक‘‘ गृह मंत्रालय में नहीं है। संविधान से सम्बंधित पत्रावली कभी नष्ट नहीं की जाती है तथा ऐसी पत्रवालियां समय-समय पर प्रशासकीय मंत्रालय की ओर से ‘‘नेशनल आर्काइव्ज आफ इंडिया (एन.ए.आइ.) में हस्तांतरित की जाती है।
उक्त पत्रावली या तो ‘‘समाजिक न्याय एवं सहकारिता मंत्रालय के पास होगी या ‘‘नेशनल आर्काइव्ज आफ इंडिया (एन.इ.आई.) के पास होगी। दिनांक 06/11/2013 के ‘‘पत्र संख्या-01/14/2012 ओ.आर.आर.‘‘ के माध्यम से’’ जन सूचना अधिकारी गृहमंत्रालय ने अवगत कराया है कि। (एन.ए.आई.) के ‘‘आर्कियोलोजिस्ट‘‘ द्वारा लिखित रूप से यह सूचित किया गया है कि यह फाइल (एन.ए.आई.) में कभी भेजी ही नहीं हीं गई है। एन.ए.आई. के पास भेजी गई फाईलों की 146 पेज की सूची उपलब्ध कराई गई है जिसमें ‘‘संविधान अनुसूचित जाति आदेश 1950‘‘ से सम्बंधित सवैधानिक ‘‘फाइल संख्या-74/4/1950 पब्लिक‘ नहीं है। अर्थात ‘‘फाइल संख्या-74/4/1950 पब्लिक’’ कभी भेजी ही नहीं गई है।
केन्द्रीय सूचना अधिकारी एवं निदेशक सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय नई दिल्ली द्वारा पुनः अपने पत्र संख्या-17020/126/2011 एस.सी.डी. (आर.एल.शैल) दिनांक 21/12/2014 द्वारा अवगत कराया गया है कि सवैधानिक ‘‘फाइल संख्या- 74/4/1950 पब्लिक‘ खोजी नहीं जा सकी है। पूरे विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि यह पत्रावली धोखेबाजी से लेदरमैन (जाटव) और यादव को अति पिछड़ी जातियों के हिस्से को लूटाने के लिए ‘‘सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मा. मुकुल वासनिक एवं कुमारी शैलजा‘‘ के द्वारा अपने अधिनस्थ अधिकारियों के साथ षड़यंत्र रचकर गायब कराई गई है, ताकि अतिपिछड़ी जातियों का अनुसूचित जाति का प्रकरण वाधित किया जा सके।
इसलिए संसद मार्ग दिल्ली के थाने में ‘‘दिनांक 03/06/2019 को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मा. मुकुल वासनिक एवं कुमारी शैलजा और उनके अधिनस्थ अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है।
सवैधानिक आरक्षण से वचित अतिपिछड़ें लोग भली-भांति जानते है कि समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस से मिलकर 24/03/2014 को अतिपिछड़ी जातियों का प्रस्ताव केन्द्र से निरस्त करा दिया था। इसी तरह बसपा ने 11/4/2008 को केन्द्र से अतिपिछड़ी जातियों का प्रस्ताव वापस मंगा लिया था। मतलब साफ है कि समाजवादी पार्टी, बसपा और कांग्रेस की तिकड़ी सत्रह जातियों के लिये सबसे घातक साबित हो रही हैं। मतलब समाजवादी पार्टी सत्रह जातियों को न्याय दिलाने का केवल दिखावा कर रही थी। बसपा तो सीधे-सीधे अतिपिछड़ी जातियों के विरोध में है। कांग्रेस आरम्भ से ही हमारा अधिकार हड़प रही है। इसलिये अतिपिछड़ी जातियों के लिये समाजवादी पार्टी, बसपा और कांग्रेस को सबक सिखाना हमारी पहली प्राथमिकता है। इसी प्राथमिकता को पूरा करने के लिए निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद पार्टी) संकल्पित है। अनुसूचित जाति का अधिकार पाने के लिये निषाद पार्टी हर संघर्ष के लिए तैयार है।
#मझवार_व_अतिपिछड़ी_जातियों_का_वास्तविक_कारण_क्या_है?
भारत सरकार के कानून मंत्रालय के ‘‘पत्र संख्या-एफ 28ध्49-सी प्रमुख सचिव वाईके भंडारकर ने 19 दिसबर 1949 को समी राज्य सरकारों को एक शासनादेश जारी कर कहा था कि 1931 व 1941 में जो जातियां जैसी थी वैसी ही संविधान में मान ली गई हैं। इससे सिद्ध है कि मछुआ समुदाय 1931 से अनुसूचित जाति में सूचीबद्ध है। मझवार 1950 से ही अनुसूचित जाति के रूप में संविधान की सूची में 51वें क्रमांक पर अधिसूचित है, इसके आइडेन्टीफिकेशन की आवश्यकता है। पर मुलायम, अखिलेश, मायावती और कांग्रेस ने नया इनक्लूजन (समावेश या शामिल) बनाकर अनावश्यक विवाद पैदा कर दिया, जबकि केवल मझवार अनुसूचित जाति व शिल्पकार, बेलदार, गौड़, तुरैहा इत्याति जातियों का संविधान आदेश 1950 की प्रस्तावना के अनुसार इसकी आल द सब कास्ट, आल द पार्टस, आल द रेसेज (अर्थात सभी जातियों को, उसके सभी वर्गों को और उसके सभी वंशजों को आईडेन्टीफिकेशन किया जाना था।
परन्तु वोट बैंक के चक्कर में 2005 में मुलायम सिंह यादव व 2013 में अखिलेश पादव ने इसे नये सिरे से इनक्लूजन बनाकर प्रचारित कर दिया। इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि मलाईदार एस.सी. लाबी बसपा के लोग जो पीढ़ी दर पीढ़ी एस.सी. आरक्षण को हडप रहे हैं तया मंझवार, शिल्पकार, वेलदार गौड, तुरैहा आदि अनुसूचित जाति का हक 70 साल से हड़प रहे है। बसपा-सपा ने पहले कोर्ट से, फिर कांग्रेस से मिलकर इसे निरस्त करा दिया, तथा बार-बार कोर्ट में इनक्लूजन का केस बनाकर इसे स्टे करवाते रहे हैं।
जबकि ‘‘निर्वल इंडियन शोषित हमारा आम दल’’ (निषाद पार्टी) की टीम ने मा. उच्च न्यायालय इलाहावाद से यह साबित कराया कि मझवार जाति पहले से अनुसूचित जाति में शामिल है। निषाद पार्टी स्टे-वैकेंट करा दिया और जिलाधिकारी को प्रमाण-मत्र जारी करने का शासनादेश भी जारी करवा दिया था परन्तु ‘‘बामसेफ के बसपाई गोरख प्रसाद ने 16/9/2019 को एक नई रिट दाखिल कर, न्यायालय को भ्रमित कर, एक नया इनक्लूजन बनाकर स्टे करवा दिया।
#समाजवादीपार्टी_के_कुकृत्यों_से_निषाद_मछुआ_समुदाय_को_शासनसत्ता_से_दूर_करने_के_षड़यंत्र_का_पर्दाफाश
1. सन् 190 के दशक में मा० पूर्व मंत्री त्या जमुना निषाद जी विधानसभा पिपराइच गोरखपुर से विधायक का चुनाव लड़ रहे थे, तब उनको हराने के लिए मुलायम सिंह यादव जी ने स्वर्गीय वीरांगना वहन फूलन देवी जी के पति मा उम्मेद सिंह जी की चुनाव में प्रत्याशी बनाकर स्वर्गीय मा जमुना निषाद जी को हराने का कार्य किया।
2. बहन फूलन देवी जी की हत्या दिल्ली संसद भवन के सामने होती है। उस समय सपा, बसपा के सहयोग से दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी, लेकिन तभी से अभी तक उनके सारे धन-दौलत प्रापर्टी पर सपा के लोगों का ही कब्जा है। बहन फूलन देवी जी। की माता जी तभी से आज तक घास-फूस एवं खपरैल के मकान में निरीह रूप से जीवन यापन कर रही हैं। मिर्जापुर में करोड़ों की प्रापर्टी पर जबरदस्ती सपा नेता चैरसिया ने कब्जा कर लिया।
3. स्वर्गीय जमुना निषाद जी हर चुनाव में एड़ी से चोटी तक जोर लगाकर पूरे प्रदेश में निषाद मछुआ समुदाय का बोट दिलवाकर सपा का सरकार बनाते थे, लेकिन जब सरकार में भागीदारी की बात होती थी तो उन्हें शासन सत्ता में में नागौडारी नहीं दी जाती थी। एक बार की वाक्या है कि मा० मुलायम सिंह जी ने कहा कि जमुना निषाद तुम अपने समाज का बोट दिलवाकर सरकार बनाओ, सरकार बनते ही मैं तुमको राज्यमंत्री बना दूंगा। मा० नेता जी ने दिन-रात एक करके सपा की सरकार बनाई। सरकार बनने के बाद मा० नेता जी मुलायम सिंह यादव जी के बुलाने पर लखनऊ जाकर दारूलसफा में 22 दिन तक लिट्टी-चोखा खाकर रहे, लेकिन बार-बार फोन मिलाने के बावजूद मुलायम सिंह यादव न तो फोन उठाये और न ही मिले। झल्लाकर मा० जमुना जी गोरखपुर वापस चले आये। चार बार अथक प्रयास करके मा० जमुना जी ने मुलायम सिंह यादव जी की सरकार बनाई लेकिन कभी भी उनको सपा द्वारा सम्मान नहीं मिला।
4. आरक्षण के मुद्दे पर सपा हमेशा निषाद मछुजा समुदाय को 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के नाम पर भटकाती रही, जबकि इन 17 जातियों में 2-3 को छोड़कर लगभग सारी जातियां निषाद मछुआ समुदाय की हैं जो पहले से मझवार, गोड, तुरैहा इत्यादि के नाम से अनुसूचित जाति में शामिल है। डाक्टर संजय कुमार निषाद जी के नेतृत्व में गोरखपुर डी0 एम० आफिस के सामने 1 फरवरी 2014 से अनिश्चितकालीन अनवरत दिन-रात धरना-प्रदर्शन एवं लाठी चार्ज की नौबत आ जाने के बाद डी०एम० गोरखपुर ने अनुसूचित जाति का प्रमाण-पत्र निर्गत करने का आदेश दिया। परिणामस्वरूप पूरे प्रदेश में सैकड़ों प्रमाण-पत्र निर्गत हुआ। जब इसी प्रमाण-पत्र के आधार पर सन् 2014 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद के वरिष्ठ पदाधिकारी मा० देवमणि निषाद जी ने बांसगांव लोकसभा से पर्चा भरा तो वर्तमान सपा सरकार ने इनका प्रमाण-पत्र ही खारिज करवा दिया।
परिणामस्वरूप देवमणि जी चुनाव नहीं लड़ पाये। यही नहीं पूरे प्रदेश में जारी सैकड़ों प्रमाण-पत्र को भी खारिज कराकर पढ़े-लिखे नौजवानों का भविष्य गर्त में धकेल दिया। डाक्टर संजय निषाद जी का संघर्ष लगातार जारी रहा। पूरे प्रदेश व देश में राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद एवं डाक्टर संजय निषाद जी निषाद मडुआ समुदाय का एक सर्वमान्य नेता बनकर उभर गये। डाक्टर संजय निषाद जी के वर्चस्व को तोड़ने के लिए विधानसभा चुनाव 2017 के पहले चुनाव आचार संहिता से एक दिन पहले दिसम्बर सन 2016 में सभी 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का शासनादेश निर्गत किया। यह शासनादेश ऐसे समय पर निर्गत हुआ, कि चुनाव आचार संहिता होने के कारण पूरे प्रदेश में, किसी का भी प्रमाण-पत्र नहीं बन सका। इसी बीच बसपा के सुश्री मायावती जी ने इस शासनादेश पर इलाहाबाद हाईकोर्ट से स्टे करवा दिया, जिस कारण से यह अनुसूचित जाति का प्रकरण आज तक कोर्ट में लंबित था।
5. सन् 2017 में उ0प्र0 में भाजपा की सरकार बनने के बाद सपा के राष्ट्रीय महासचिव मा विशम्भर प्रसाद निषाद जी जब राज्यसभा में निषाद मछुआ अनुसूचित जाति आरक्षण पर बोल रहे थे तब सपा के सारे सांसद सदन छोड़कर बाहर चले आये। मा० विशम्बर प्रसाद निषाद जी के इस मुद्दे को सपा के किसी भी सांसद ने समर्थन नहीं किया। परिणामस्वरूप यह मुद्दा फिर कूड़ेदान में चला गया।
6. उपचुनाव लोकसभा गोरखपुर 2018 में सपा-बसपा-निषाद पार्टी ने मिलकर उपचुनाव जीत लिया। पूरे देश में यह संदेश गया कि यह तिकड़ी आने वाले 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर देकर परास्त कर सकती है, लेकिन सपा-बसपा यानी अखिलेश यादव जी एवं मायावती जी दोनों लोग निषाद न आगे बढ़ने पाये यह षड्यंत्र रच डाले। निषाद पार्टी के नेता मा. डाक्टर संजय निषाद जी लोकसभा गोरखपुर एवं महाराजगंज दो टिकट मांग रहे थे, लेकिन अखिलेश यादव जी बसपा के मायावती जी के बहकावे में आकर निषाद पार्टी को टिकट न देकर धोखा दिया। ये तो कहिये डाक्टर संजय निषाद जी की प्रखर बुद्धि विवेक के कारण भाजपा से हाथ मिलाकर संतकबीरनगर से ई० प्रवीण निषाद जी को सांसद बनाकर अपने पार्टी व समाज के वजूद को बचाने का कार्य किया।
#निषाद_पार्टी_के_संघर्षों_का_9_साल_बेमिशाल
मछुआ एस.सी. आरक्षण सहित निषाद पार्टी के 11 साल बेमिसाल ! सबको जोड़ो अभियान !
1. मछुआरों के गौरवशाली इतिहास श्रीराम चन्द्र जी के आत्म वाल सखा महाराजा गुह्यराज निषाद जी का किला श्रृग्वेरपुरधाम को पर्यटक स्थल घोषित करवाना।
2. 9 सालों से लगातार किले पर लाखों की भीड़ के साथ जन्मोत्सव मनाना तथा हजारों करोड़ से किले कों विकसित कराना।
3. 20 करोड़ 38 लाख से निषाद राज आडिटोरियम से मान-सम्मान-स्वाभिमान बढ़ाना।
4. 7 जून 2015 गुंजी थी राजनीतिक-आर्थिक हिस्सेदारी की आवाज, जब एकजुट हुआ था मछुआ समाज, कसरवल आरक्षण आन्दोलन ।
5. निवर्तमान सपा सरकार के गोली का शिकार, अखिलेश के सपने को करना है साकार।
6. प्रधानमंत्री, गृहमंत्री तथा मुख्यमंत्री को, मछुआ एस. सी. आरक्षण का 18/01/2022 के पत्र को जल्द से जल्द लागू कराने की पहल जारी।
7. निषाद समाज की सभी उपजातियों का मझवार आरक्षण के रूप में राजनैतिक पहचान दिलवाना।
8. मछुआ समुदाय के मुद्दे को शीर्ष नेतृत्व प्रधानमंत्री और गृहमंत्री तक पहुंचाना।
9. आरक्षण के मुद्दे को लेकर रेल रोको आंदोलन, मुख्यमंत्री आवास घेराव, दिल्ली जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर देश के सामने अपने मुद्दों को लाना।
10. 2017 में निषाद पार्टी का (1) एक विधायक विधानसभा में पहुंचाना।
11. निषाद पार्टी ने 2019 में सपा बसपा के गठजोड़ का तोड़ निषाद पार्टी के 18 प्रतिशत वोट द्वारा बी. जे.पी. को जीत दिलाकर सभी राजनैतिक दलों को ताकत का एहसास कराना।
12. 2022 में निषाद पार्टी के 11 विधायकों को विधान सभा में पहुंचाना तथा निषाद पार्टी के कोटे से राष्ट्रीय अध्यक्ष जी को विधान परिषद सदस्य तथा कैबिनेट मंत्री बनाकर दोनों सदनों में समाज के मुद्दे को उठाकर समस्याओं के समाधान कराने लायक बनाना।
13. प्रयागराज के पावन धरती पर प्रधानमंत्री मोदी जी के मुखार विन्दु से बार-बार जय निषाद राज का उद्घोष कराना।
14. निषाद पार्टी के संघर्ष का परिणाम- प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना, निषाद राज बोट योजना, मछुआ कल्याण कोष से गरीबों को आवास, चिकित्सा, शिक्षा, विवाह एवं बारात घर आदि योजनाएं।
15. सोई हुई कौम मछुआरों को जगाने वाले, राजनैतिक चेतना पैदा करने वाले, अल्प समय में संघर्षों के बल पर कम साधन- संसाधन में मछुआ समुदाय और निषाद पार्टी को क्षितिज पर लाने वाले, महाराजा गुह्यराज निषाद के बंशज, पालिटिकल गाॅडफादर आॅफ फिशरमैन, राष्ट्रीय अध्यक्ष निषाद पार्टी, महामना डाक्टर संजय कुमार निषाद जी।
#निर्बलइण्डियनशोषितहमाराआमदल_निषाद_पार्टी_की_सोच_विचारधारा_एवं_लक्ष्य
दिनांक 16 अगस्त, 2016 को निषाद पार्टी का पंजीकरण मछुआ समाज की हिस्सेदारी दिलाने के लिए हुआ है। आप सभी पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं, समर्थकों और शुभचिंतकों आप अपने साथियों सहित जन जागृति अभियान में अवश्य शामिल हो। निषाद पार्टी आप सभी का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करती है।
निषाद राज की सत्ता और सोच से सुख था जबकि छोटी जाति की सोच और दूसरे की सत्ता से दुःख है। निषाद राज के किले (स्वर्ग भूमि) की मिट्टी का चन्दन लगाये, सोच बदलें, सत्ता लें और सत्ता की चाभी लेकर लोगों को सुख दें। निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष महामना डा. संजय कुमार निषाद जी ने शैक्षिक, सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक रूप से दबे कुचले निषाद समाज को रसातल से धरातल पर लाया है।
पालिटिकल गाॅडफादर आॅफ फिशरमैन डाॅ. संजय कुमार निषाद- निषाद पार्टी का स्पष्ट विजन, मिशन, नीति है कि मछुआ समाज को ऐतिहासिक, आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक, वोटर कैडर के शिक्षण- प्रशिक्षण से लोगों में निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल, निषाद पार्टी , नेता, नारा, झंडा, चुनाव चिन्ह के महत्व क्या है कि सभी श्रेणी के पढ़े लिखे लोगों को राजनीतिक ज्ञाान देना। (educate the educated person about the politics) क्योंकि राजनीति देश के विकास, जनता के भविष्य और अर्थव्यवस्था के अभिभावक है। (Politics is the
Guardianship of public finnace & future and development of Nationality)।
हम तलवार और तोप के डर से मुगलों और अंग्रेजों को अभिभावक माना जिन्होंने हमारे भारतीय संस्कृति, अर्थव्यवस्था तथा हमारा धर्म बदला और लूट मचाया कुछ इसी तरह 70 सालों से कांगे्रस, 30 साल कुछ क्षेत्रीय दलो को भी राजनैतिक अभिभावक माना लेकिन उनकी भी सोच वही रही, इन्होंने भी अपने परिवारिक विकास के लिए अन्य जातियों के साथ भेदभाव, शोषण और उनके नोट तथा नौकरियों के हिस्से पर लूट मचाया।
इसीलिए उपरोक्त लोगों के राजनैतिक शक्ति ईश्वर की शक्ति से भी ज्यादा शक्तिशाली है) इसलिए ईश्वर के साथ राजनीति की भी पूजा(प़ू= पूरी, ज=जानकारी) होनी चाहिए। सभी समस्याओं का समाधान एक राजनैतिक दल से ही सम्भव है लेकिन समाजिक संगठन के साथ (Every problem is the solve by political party with social organization in the democracy) इसलिए निषाद पार्टी और राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद का गठन हुआ है।
इसीलिए पूर्व में सभी समाजिक संगठन बिना राजनैतिक दल के होने के कारण समाज का उत्थान न कर सकी (Social organization is the sweet poision without political party)।
ऐसे में निषाद पार्टी की विचार धारा कि लोकतन्त्र में असली भगवान वोटर है (The real God is voter in the democracy) लेकिन वोटर राजनैतिक रुप से बेहोस है (But Voter is Politically unconsiousness)जब वोटर राजनैतिक सहभागी (Voter is Political Partner in Democrecy) बनेगा तभी लोकतन्त्र में गरीबी खत्म होगी। कार्यकर्त्ताओं का पहला कार्य वोटर के पास जाना होगा (Reach the Voter), दूसरा कार्य वोटर को होश और जोश मे लाना होगा (Treat The voter), वोटर को राजनीति पढ़ाना ही होगा (Teach The voter), वोटर को गलत जगह वोट पड़ने से सत्यानाश को बताना (Caste the Voter) और सही जगह डलवाना होगा इस चार कार्यक्रम का मुहिम चलाया है। लोगों के अंदर राजनीतिक चेतना लाकर उन्हें जानकार, समझदार, होशियार बनाकर समाजिक और राजनीतिक हिस्सेदारी लेना है।
आप जानते हैं कि आजादी में मछुआ समुदाय का गौरवशाली इतिहास रहा है लेकिन पूर्व में केंद्र और राज्य सरकारों ने हमेशा सौतेला व्यवहार किया है। इतिहास साक्षी है सतीचैरा घाट कानपुर समाधान निषाद एवं लोचन निषाद, जलियांवाला बाग कांड सरदार उधम सिंह निषाद, बैरकपुर छावनी गंगादीन निषाद अंग्रेजों की लड़ाई में हजारों शहीद हुए जेल की यातनाएं सही, काला कानून ;क्रिमिनल ट्राइब्स एक्टद्ध, जन्मजात अपराधी घोषित कर नरकीय जीवन जीने पर मजबूर कर दिया। जीवकोपार्जन के साधन को माइनिंग एक्ट, फिशरीज एक्ट, फेरिज एक्ट बनाकर पट्टा नीति लागू किया कि मछुआरे कमाएंगे, सरकार को चुकाएंगे, जो बचेगा उसको आधा पेट खाएंगे, बेईमानों की सरकार में लाएंगे। कमजोर शरीर कमजोर दिमाग लेकर बार-बार इन्हें बर्बाद करने वालों की ही सरकार बनाएंगे।
मछुआरा ही नदियों का राजा और रक्षक हैं, नदी के संसाधनों पर उसका हक है लेकिन शोषणकारी दलों को वोट देकर अपना हिस्सा लुटा दिया। अपने वोट से अपना हिस्सा लेंगे, सबका अधिकार दिलाने के लिए ही निषाद पार्टी का गठन हुआ है। निषाद पार्टी की राजनीतिक यात्रा इस समाज को हक दिलाने के लिए हजारों कार्यकर्ता, पदाधिकारी इस 10वें स्थापना दिवस पर शपथ लेगें कि 18 प्रतिशत आबादी गांव के सचिवालय से लेकर दिल्ली और लखनऊ के सचिवालय में 18 प्रतिशत कर्मचारी अधिकारी इस समाज से होंगे। हर बिरादरी में निर्बल है निर्बलों को सबसे पहले नौकरी, व्यापार, शिक्षा, (फ्री में पढ़ाई, फ्री में किसानों को खाद, बीज और बुवाई) निषाद पार्टी का सिद्धांत है निर्बलों के वोट से लेंगे सीएम, पीएम और आरक्षण से लेंगे एसपी, डीएम। जीता जागता उदाहरण सपा, बसपा जिसकी पुष्टि समाजिक न्याय समिति की रिर्पोट करती है।
13 जनवरी 2013 को निषाद पार्टी नें प्रयागराज, संगम राज निषाद, तीरथ राज निषाद के पावन धरती स्वर्गभूमि श्रृंगवेरपुर धाम भगवान राम के आत्म बाल सखा महाराजा गुह्यराज निषाद के किले पर डा. संजय कुमार निषाद ने अपने साथियों सहित इस विचार का कसम खाया कि कभी देश की बागडोर (सत्ता) की कमान आज से 2000 वर्ष पहले निषादराज के हाथ में थी, श्रीराम चन्द्र जी ने उन्हें गले लगाया, बदले में निषाद राज जी की सेना ने रावण राज खत्म किया था। श्रीरामचन्द्र जी की कैबिनेट में निषादराज आए तब रामराज्य आया था। तब देश के लोगों के हाथ में था डंडा! उसमें जय निषाद राज का था झंडा! तब देश सोने की चिड़िया थी, तब दुनिया के 3 रू. में 1 रू. भारत का चलता था, तब भारत विश्वगुरू था। विदेशियों ने हमारे सीधापन और ईमानदारी का फायदा उठाकर, धोखे से हमारे राजाओं की हत्या कर हमें गुलाम बना लिया।
750 वर्ष मुगलों ने तलवार की नोक पर गर्दन उतारते रहे, हमारे डंडे में अपना झंडा डालने की कोशिश करते रहे! जो कमजोर रहे, वो डर गए व सांस्कृतिक रूप से मर गए! लेकिन हमारे पुरखों ने नहीं स्वीकारी मुगलों की गुलामी, भले ही हट गया, निषाद राज का झंडा, खाली रहा हमारा डंडा, लेकिन नहीं लगाए मुगलों का झंडा! इसी बीच ले के आए अंग्रेज अपना झंडा, 350 वर्ष चलाता रहा तलवार और तोप, नहीं लगा पाए निषाद राज के वंशजों के सर पर टोप! अंग्रेजों से लड़ता रहा निषाद, लाठी लेकर उठाता रहा अपना हाथ, अंग्रेजों को काटते मारते और नदियों में डुबोते रहे निषाद, नहीं दिया उनका साथ, खाली डंडा लिया रहा अपने हाथ! आजादी के बहाने धोखे से कांग्रेस ने लिया निषादों का साथ, मिलाया हाथ! कांग्रेस ने बनाया चोरी से अपना झंडा, निषादराज वंशजों का खाली पाया डंडा और लगाया कांग्रेसियों ने अपना झंडा! धोखेबाजों ने लिया हमारा वोट, आरक्षण खाकर दिया हमे चोट! सब मिलकर ले गए फंड, हमे दे दिया गरीबी लाचारी बेकारी रूपी दंड! वो सब मिलकर लिए मजा और हम लोगों को दे दिया गरीबी रुपी सजा! हाथी वालों ने भी कांग्रेसियों की सेवा, देखा राजनीतिक रूपी मेवा! उसने भी बनाया अपना नीला झंडा और मन में सोचा धोखा देने वाला फंडा! खाली पाया निषादों का डंडा, धोखे से लगा दिया नीला झंडा! उसने दिया 15-85 का नारा, कुछ लेदर मैन को छोड़ बना दिया सबको बेचारा! जिसकी बुद्धि थी पांव में, वो भी चला पंजा और हाथी की छांव में! बनाया अपना साइकिल का झंडा और मन में बनाया मिल्कमैन का फंडा! देख निषादों का 18 प्रतिशत की आबादी का दिखा डंडा और उसमें लगाया अपना झंडा! उसके चंगू मंगू ने लिया फंड और निषादों को आरक्षण में लटका कर दे दिया दंड! सभी चंगू मंगू लिया मजा हमको 17 जातियों के नाम पर उलझा कर दे दिया सजा! मछुआरों की नौकरियों पर इन सत्ताधारी पार्टियों के लोग करके कब्जा हो गए चंगा, दुष्परिणाम देख डा. संजय निषाद ने निषाद राज किले पर राजपाट के संकल्प का लिया पंगा! निषाद राज के झंडे के नीचे मछुआरों को सजाया, उत्तर प्रदेश की सत्ता से इन बेईमानों को भगाया! डा. संजय ने किया ऐलान, ऐ गरीबों बात लो मान, अब तुम्हारे 18 प्रतिशत आबादी का रहेगा डंडा और उसमें सभी गरीबों का पक्का लगेगा जय निषाद राज का झंडा! तब गरीबों के दरवाजे पर आएगा उनके हिस्से का फंड और इन बेईमानों को मिलेगा दंड! धोखे बाजो को मिलेगा सजा और निर्बलों, गरीबों को मिलेगा सत्ता का मजा!
नायक विहिन उस समाज का राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक उत्थान नहीं होता है जिस समाज ने अपना अगुआ मानकर ठान लिया, उसने उत्थान कर लिया। बिखरे हुए समुदाय के अंदर ऐतिहासिक राजनैतिक सामाजिक चेतना लाने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष निषाद राज किले पर 16 अगस्त 2016 को आने वाली पीढ़ी के उत्थान के लिए पार्टी का पंजीकरण हुआ, कि बिना झंडे, नेता, पार्टी, नारा, चुनाव चिन्ह के हिस्सा नहीं मिलता, उत्थान नहीं होता। निर्बल से सबल नहीं बन पाता, हमें अपने क्रांतिकारी पुरखों के सम्मान में हजारों साथियों सहित आपना हक हिस्सा लेने विरोधी शक्तियों को परास्त करने के लिए एकजुटता का परिचय दें। समस्या आपकी है, समाधान आप और आपके पास ही है। बेईमानों की हिरासत से छूटना है और अपनी विरासत को पाना है, तो तन-मन-धन से संकल्प दिवस मनाना है।
#प्रमाणिक_दस्तावेज_जो_मछुआ_एसी_आरक्षण_प्रमाण_पत्र_जारी_कराएगा
आरक्षण के विषय से अवगत आप है कि 29 अगस्त 1977 के शासनादेश में भारत सरकार के संविधान में सूचीबद्ध अनुसूचित जाति के 66 जातियों का समूह उल्लिखित है। सेन्सस आफ इण्डिया 1961 एपेनडिस्क टू सेन्सस मैनुअल पार्ट (1) उत्तर प्रदेश में उल्लिखित है कि केन्द्र सरकार से इन अनुसूचित जातियों के समूह के पर्यायवाची व जेनरिक नामों का जनगणना करने के सम्बन्ध में जारी है। जिसकी नियामावली की सूची सरकार द्वारा प्रकाशित है जिसमें अनुसूचित जातियों के नाम के आगे उनके प्रर्यायवाची और जेनेरिक नाम दिए गये हैं। इस सम्बन्ध में क्रम संख्या 51 पर मझवार की पर्यायवाची जेनेरिक नाम केवट, मल्लाह आदि क्रम संख्या 57 पर पासी की भर राजभर आदि और क्रम संख्या-63 पर शिल्पकार में प्रजापति कुम्हार आदि उल्लिखित हैं तथा उसके गाइड लाइन जिन बिन्दुओं के आधार पर बनाए गए हैं, उसमें उनका जो व्यवसाय है- फिशरमैन, क्राॅफ्टमैन, हण्टर, फाॅरेस्टी आदि उल्लिखित है। उपरोक्त आशय का पत्र दिनांक 18-12-2021 को मा० मुख्यमंत्री को दिया गया कि देश के अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के व्यक्तियों को उनके उपनाम, सरनेम लगाने पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है। इसी क्रम में दिनांक 20-12-2021 को मा मुख्यमंत्राी जी द्वारा रजिस्ट्रार जनरल आॅफ इण्डिया जनगणना आयुक्त भारत सरकार नई दिल्ली से मझवार जाति उनके पर्यायवाची उपनाम को मझवार अनुसूचित जाति का प्रमाण-पत्र जारी करने का दिशानिर्देश और मार्गदर्शन की माँग किया गया। जिसके क्रम में विशेष सचिव/महारजिस्ट्रार जनगणना, भारत सरकार के पत्र दिनांक 18-01-2022 को उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति मझवार के पर्यायवाची उपनाम के विषय में सामाजिक न्याय मंत्रालय, भारत सरकार को एक पत्र लिखा कि जनगणना विभाग उत्तर प्रदेश के सन् 1961 में सेन्सस आॅफ इण्डिया 1961 एपेनडिस्क टू सेन्सस मैनुअल पार्ट (1) उत्तर प्रदेश में उपरोक्त पर्यायवाची उपनाम उपजातियां क्रम संख्या-51 पर मंझवार की पर्यायवाची जाति केवट, मल्लाह आदि का नाम अंकित है। 30 सालों से उनके हक अधिकार न मिलने से ये जातियां समाज व विकास की मुख्य धारा से पिछड़ती चली गयी। पिछली सरकार ने जाते-जाते दिनांक 31-12-2016 को राज्यपाल द्वारा अधिसूचना जारी कर उपरोक्त जातियों को पिछड़ी जाति से निकाल दिया। जबकि सन् 1961 सेन्सस मैनुअल पार्ट (1) सरकार द्वारा जो सूची प्रकाशित है, उसमें उपरोक्त जातियाँ पूर्ववत् सम्मिलित हैं। यहाँ यह कहना न्याय संगत होगा कि उपरोक्त जातियाँ अनुसूचित जाति से हैं एवं उपरोक्त सेन्सस रिपोर्ट एवं केन्द्र सरकार के अनुसूचित जातियों की सूची को देखते हुए उपरोक्त जातियों को मझवार तरमाली पासी, शिल्पकार का अनुसूचित जाति का प्रमाण-पत्र निर्गत होना चाहिए।
आरक्षण का मामला केन्द्र सरकार द्वारा हल किया जाना है। उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश का पार्ट रहा है जहां पर शासनादेश के माध्यम से बताया गया कि संविधान में सूचीबद्ध शिल्पकार जाति नहीं जातियों का समूह है। तहसील स्तर पर शिल्पकार के उपजातियों के समूह को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र नहीं दिया जाता था। ऐसे में उत्तराखण्ड सरकार ने शिल्पकार के पर्यायवाची जातियाँ (कुम्हार, प्रजापति आदि) का वर्णन करते हुए शासनादेश जारी करके उनको शिल्पकार अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में भी मामला परिभाषित करने का ही है क्योंकि जब एक बार राष्ट्रपति एवं केन्द्र सरकार ने मान लिया कि केवट, मल्लाह आदि मझवार नाम से अनुसूचित जाति की सूची में सूचीबद्ध है। इस समय उत्तर प्रदेश में हमे पिछड़ी जाति में शामिल किया गया जो गैर संवैधानिक है। उपरोक्त जातियों को पिछड़ी से हटाकर और केन्द्र सरकार संसद व सामाजिक न्याय मंत्रालय से संवैधानिक एवं न्यायोचित तरीके से मझवार, तुरहा, पासी, शिल्पकार जाति को परिभाषित करें जिससे पर्यायवाची उपनाम केवट, मल्लाह, बिन्द, कहार कश्यप, तुरैहा, बाथम, रैकवार, धिवर, प्रजापति, भर, राजभर आदि को अनुसूचित जाति का प्रमाण-पत्र पाने का हक है। जिससे कि इन जातियों को सवैधानिक संरक्षण तथा सुरक्षा मिल सके तथा इस समाज को भी विकास की मुख्यधारा में लाया जा सके। उपरोक्त आरक्षण संबंधित मुद्दे को सांसद ई. प्रवीण कुमार निषाद द्वारा केंद्रिय सामाजिक न्याय मंत्रालय में मझवार से संबंधित उत्तर प्रदेश के संबंध में जबाब मांगा गया था, जवाब में 26 जुलाई 2022 को मा. राज्यमंत्री ए. नारायण स्वामी ने लिखित रूप से जबाब दिया है कि मझवार 1950 से ही उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अनुसूचित जाति की सूची में है और इनकी उपनाम/ पर्यायवाची/ सिननोम्स के लोगों को राज्य सरकार जांच कर अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी कर सभी सुविधाएं प्रदान करें। उपरोक्त पुकारू पर्यायवाची उपनामों को मझवार, तुरैहा, पासी, शिल्पकार जाति के नाम का प्रमाण-पत्रा निर्गत करें जो सरकार की मंशा है। राष्ट्रीय अध्यक्ष जी ने ज्ञाापन के माध्यम से मा.प्रधानमंत्री, मा. गृहमंत्री जी, मा. नड्डा जी, मा. मुख्यमंत्री जी से मिलकर मांग रखा कि इन जातियों को संसद या सहकारिता एवं सामाजिक न्याय मंत्रालय से परिभाषित कर इनके मूल जाति व समूह मझवार, तुरैहा, पासी, शिल्पकार का प्रमाण-पत्र निर्गत करने की कृपा हो। सभी ने आश्वस्त किया जल्द ही मछुआ समुदाय के आरक्षण संबंधित विसंगति दूर होगा।
आरक्षण से जुड़े फायदे-
1. २ इस समय अगर कोई ओबीसी की पिटाई करता है तो उस पर सामान्य धाराओं में कार्रवाई होती है, वही
अनुसूचित जाति के व्यक्ति की पिटाई या फिर उसे अपशब्द कहने पर SCST एक्ट लगता है और आरोपी की तुरंत गिरफ्तारी होती है। अगर पुलिस प्रशासन कार्रवाई नहीं करता है तो पीड़ित राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का दरवाजा खटखटा सकता है. चूंकि इस आयोग को ज्यूडिशियल पावर प्राप्त है, इसलिए इसके आदेशों की अवहेलना करने से अधिकारी बचते हैं।
2. आरक्षण का लाभः ओबीसी को 27 फीसदी केवल नौकरी में आरक्षण है, लेकिन इसमें तीन हजार से अधिक जातियां हैं. इसलिए उसका लाभ मिल नहीं पाता. लेकिन अनुसूचित जाति में इसके मुकाबले काफी कम जातियां हैं और आरक्षण 21 फीसदी राजनीति और नौकरी दोनों में है इसलिए इसका लाभ सभी को मिल पाता है. सभी सरकारी संस्थानों में उन्हें एससी आरक्षण का लाभ मिलने लगेगा, जिससे उनका तेजी से विकास होगा।
3. फीस में छूटः अनुसूचित जातियों के छात्रों को ज्यादातर प्रतियोगी परीक्षाओं में कोई शुल्क नहीं देना पड़ता, जबकि ओबीसी छात्रों से अधिकांश जगहों पर सामान्य के बराबर ही शुल्क लिया जाता है. स्कूल, काॅलेजों में फीस नाम मात्र की है. स्कालरशिप भी मिलती है. केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति के बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए देश भर में हजारों डे बोर्डिंग स्कूल बनाए हैं.
4. निशुल्क कोचिंगः संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग और विभिन्न रेलवे भर्ती बोर्डों तथा राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा संचालित गुप-ए, बी पदों, बैंकों, बीमा कंपनियों और सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा संचालित अधिकारी ग्रेड की परीक्षाओं के लिए फ्री कोचिंग सुविधा मिलती है.
निषाद पार्टी की प्रमुख मांगेः संविधान में सूचीबद्ध मझवार, गोंड़, तुरैहा, खरवार, बेलदार, खरोट, कोली का अनुसूचित जाति का प्रमाण-पत्रा यथाशीघ्र जारी किया जाय। राष्ट्रपति के सेंसस मैनुअल 1961 के आदेशानुसार मछुआरों को उपरोक्त जातियों की जनगणना हो।
उपरोक्त सभी समूहों की पर्यायवाची जातियों को रेणुका आयोग के रिपोर्ट के अनुसार विमुक्ति जनजाति की सभी सुविधाएं हो। ताल, घाट, नदी पूर्व की भांति निषादवंश के मछुआ समुदाय को दिया जाय तथा नदियों के किनारे खाली पड़ी भूमि के नीचे मौरंग, बालू को भी मछुआ समुदाय के लिए आरक्षित हो।
मत्स्य मंत्रालय के सभी योजनाओं का लाभ परंपरागत गरीब मछुआरों को मिले। मत्स्य मंत्रालय द्वारा जारी बीमा योजना को ग्रामसभा में सभा आयोजित कर मछुआ समुदाय का बीमा हो। मत्स्य मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन क्षेत्रीय भाषाओं में लिखवाकर मछुआ समुदाय के गांवों में लगाया जाय। आधुनिक शिक्षण प्रशिक्षण हेतु गांव के गरीब मछुआरों को प्रोत्साहन राशि मिले।
सरकार द्वारा दी जानेवाली अनुदान सहायता राशि बिना गारंटी के मछुआ समुदाय को प्रदान हो। दक्षिणी भारत जैसे उत्तर प्रदेश के मछुआरों को भी सुविधा दी जाय। मत्स्य मंत्रालय के विभागों को ब्लाॅक स्तर पर खोला जाय। निजी एवम् सरकारी विद्यालयों में मछुआ समुदाय के बच्चों का सीट आरक्षित कर पढ़ाई लिखाई के साथ अन्य सुविधाएं भी निःशुल्क हो।
जनसंख्या के आधार पर सभी क्षेत्रों में मछुआ समुदाय के सभी जातियों तथा उपजातियों के लिए सीटें आरक्षित की जाय। मछुआ समुदाय के सभी महापुरुषों का जीवन वृतांत विस्तार से पाठयक्रमों में शामिल किया जाय और उनके गौरवशाली इतिहास को पुनर्जीवित किया जाय। विस्तृत जानकारी हेतु डाॅ संजय कुमार निषाद द्वारा लिखित निषाद पार्टी के नियम और शर्तें, भाषण संभाषण, अनुशासन, भारत का असली मालिक कौन, आरक्षण के हकदार सबसे पहले ये लोग, निषादों का इतिहास, महाराज गुह्यराज, वीर एकल्व्य आदि नामक पुस्तक अवश्य पढ़े।
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