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एक बार फिर किसी बाहरी के हाथ होगी कांग्रेस की कमान



नई दिल्ली, 20 सितंबर 2022 : कांग्रेसअध्यक्ष पद कोलेकर असमंजस आखिरकारखत्म हो गया।परिवारवाद के भाजपाके तीर सेघायल गांधी परिवारने खुद कोअध्यक्ष पद कीदौड़ से बाहरकर लिया हैऔर दो दशकसे ज्यादा वक्तके बाद फिरसे किसी बाहरीके हाथ पार्टीकी कमान होगी।यह लगभग तयहै कि अध्यक्षपद के लिएलड़ाई पार्टी केउम्मीदवार अशोक गहलोतऔर पार्टी नीतियोंको लेकर अक्सरमुखर रहने वालेसांसद शशि थरूरके बीच होगी।

हालांकि, गहलोत केही अध्यक्ष बननेकी संभावना है।उन्होंने परोक्ष रूप सेअध्यक्ष के तौरपर संदेश देनाशुरू भी करदिया और कहाकि वह सौभाग्यशालीहैं कि केवलगांधी परिवार हीनहीं बल्कि देशके लाखों करोड़ोंकांग्रेस कार्यकर्ताओं का उनमेंविश्वास है। बुधवारको पार्टी केमहासचिव जयराम रमेश नेएक प्रेसवार्ता मेंस्पष्ट किया किराहुल अध्यक्ष पदकी दौड़ सेबाहर हैं।

उन्होंने कहा, '24-30 सितंबरके बीच अध्यक्षपद के लिएनामांकन है औरवह प्रत्यक्ष तौरपर पेश होकरही दिल्ली मेंकरना पड़ेगा। जूमपर यह नहींकिया जा सकताहै। जबकि राहुलगांधी इस बीचभारत जोड़ो यात्रामें ही मौजूदरहेंगे। वह 23 सितंबर कोअपनी मां सेमिलने दिल्ली जासकते हैं लेकिनउसी शाम वापसआ जाएंगे।' गुरुवारको पार्टी अध्यक्षपद चुनाव केलिए अधिसूचना जारीकरेगी।

परिवारवाद के ठप्पेसे बाहर आनेकी कवायद

जाहिर है किपार्टी में लंबीचर्चा के बादयह फैसला हुआकि पार्टी कोपरिवारवाद के ठप्पेसे बाहर आनाही होगा। जिसतरह विभिन्न राज्योंकी प्रदेश इकाईसे राहुल गांधीको अध्यक्ष बनानेके लिए प्रस्तावपारित हो रहेथे उससे असंतुष्टखेमे को यहहमला करने काभी मौका मिलताकि सब कुछपहले से तयथा। लिहाजा यहतय हुआ किराहुल पार्टी काचेहरा बने रहेंऔर संगठन कीकमान दूसरे केहाथ दी जाए।

पूर्व पीएम नरसिंहराव के वक्तसोनिया गांधी रहीं निष्क्रिय

भारत जोड़ोयात्रा में राहुलकी सक्रियता कायह संदेश होगाकि वह नेतृत्वकरने की क्षमतारखते हैं औरवक्त आने परसही जगह नेतृत्वदिया जाएगा। यानीराहुल ने केवलसंगठन के नेतृत्वसे दूरी बनाईहै। यह संदेशसबके लिए होगा।यह संदेश इसलिएभी अहम हैक्योंकि पूर्व पार्टी अध्यक्षऔर पूर्व पीएमनरसिंह राव केवक्त सोनिया गांधीनिष्क्रिय रही थीं।राहुल वैसी गलतीनहीं दोहराएंगे।

सोनिया गांधी सेमिले गहलोत

इसमें शक कीगुंजाइश नहीं किगहलोत गांधी परिवारऔर पार्टी केउम्मीदवार होंगे। एक दिनपहले राजस्थान मेंविधायकों की बैठकबुलाकर उन्होंने इसका परोक्षसंकेत दे दियाथा। बुधवार कोसोनिया गांधी से मुलाकातकर उन्होंने निर्देशभी ले लियाऔर भरोसा भीदिया कि वहसबको विश्वास मेंलेकर ही आगेबढ़ेंगे। बाहर पत्रकारोंसे बातचीत मेंउन्होंने कहा, पार्टीमुझे जो निर्देशदेगी वह करूंगा।पद मेरे लिएमायने नहीं रखता।

राजस्थान का मोहनहीं छोड़ पारहे गहलोत

यह पूछेजाने पर किक्या अध्यक्ष पदऔर राजस्थान केमुख्यमंत्री पद दोनोंपर बने रहनाउदयपुर संकल्प का उल्लंघननहीं होगा, उन्होंनेकहा कि अगरकोई व्यक्ति किसीराज्य में मंत्रीहै तो उसपद पर बनेरहते हुए अध्यक्षपद के लिएचुनाव लड़ सकताहै। जाहिर हैकि गहलोत अभीभी राजस्थान कामोह नहीं छोड़पा रहे हैंलेकिन उन्होंने कहा, 'समय बताएगा किमैं कहां रहूंगा।मेरे जहां बनेरहने से पार्टीका लाभ होगामैं वहीं रहूंगा।'

मिस्त्री से थरूरमिले

शशि थरूरने भी बुधवारको चुनाव काप्रभार देख रहेमधुसूदन मिस्त्री से मुलाकातकर चुनाव केबारे में जानकारीली। उन्होंने बतायाकि उनका प्रतिनिधिनामांकन पत्र लेकरआएगा। स्पष्ट हैकि थरूर चुनावसे पीछे हटनेको तैयार नहींहैं और दोदशक से ज्यादावक्त के बादअध्यक्ष पद कोलेकर स्पर्धा होगी।इससे पहले सीतारामकेसरी के वक्ततीन उम्मीदवार मैदानमें थे।


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