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"आपदा में अवसर" - STOCK MARKET धड़ाम... 7 लाख करोड़ मुनाफा वसूली



शेयर बाजार गिरा तो अफवाहों का बाजार चढ़ गया। बड़े बड़े एक्सपर्ट लोकसभा चुनाव में बदल रहे समीकरणों का हवाला देने लगे। कई जानकारों और आर्थिक विशेषज्ञों ने बाजार गिरने के पांच से दस प्वाइंट बताना शुरु कर दिया है।


सवाल इस बात का है कि जो शेयर बाजार से जुड़े हैं वो क्या करें और जो बाहर से अब तक तमाशा देख रहे थे वो क्या करें?


बिना इस बात का दावा किए कि हम शेयर बाजार को बेहतर समझते हैं...हमारी एनालिसिस सबसे सटीक होती है आप सिर्फ दो बातों को समझिए -


शेयर बाजार जब चढ़ता है तो उसमें घुसना कठिन होता जाता है क्योंकि आपको किसी भी कंपनी के शेयर ज्यादा भाव पर खरीदने पड़ते हैं लिहाजा शेयरों की संख्या कम हो जाती है।


दूसरी तरफ जब शेयर बाजार गिरता है तो छल-प्रपंच वाली कंपनियों की बैंड बज जाती है और धरातल पर वास्तविक काम करने वाली कंपनियां लड़खड़ा जाती है। ऐसे में कम दाम पर बेहतर कंपनियों के ज्यादा शेयर खरीदे जा सकते हैं।


अगर आप शेयर बाजार में घुसना चाहते हैं तो लड़खड़ाते का सहारा बनिए क्योंकि आने वाले कल में जिन कंपनियों के फंडामेंटल और ग्राउंड रियलिटी सही है वो फिर से दौड़ने लगेंगें।


सिर्फ इतना ही नहीं आप ये मान कर चलिए कि चाहे बाजार हो जीवन....सुधार की गुंजाइश हर जगह होती है। इसलिए जब मुनाफाखोर सक्रिय होते हैं तो शेयरों की धुंआधार बिकवाली से एक पैनिक सिचुएशन बन जाती है जो दरअसल कुछ समय के लिए होती है। बिल्कुल वैसे ही जैसे किसी बात पर आपका बॉस नाराज होकर नौकरी से निकालने की बात कहे और आप घबराहट में तुरंत ही दूसरी नौकरी हासिल करने का प्रयास करने लगे। परंतु ऐसी स्थिति में अगर आप थोड़ा सा धैर्य और हिम्मत बांध ले तो परिस्थिति काबू में आने लगती है।


वैसे यह स्पष्ट कर देना बेहतर होगा कि शेयर बाजार की इस उथल पुथल का चार जून को आने वाले नतीजों पर कोई फर्क नहीं पड़ने जा रहा। मतदान का कम या ज्यादा होना भी चुनाव परिणाम पर कोई फर्क नहीं डालेगा। सिर्फ इतना ही नहीं वर्तमान एनडीए सरकार ने जो लक्ष्य तय किया है नतीजे उसी के आस-पास ही आएंगें और इस सबसे के लिए ईवीएम दोषी नहीं होगी।


फिलहाल आपको यह बताते चलें कि शेयर बाजार आज के कारोबार में सेंसेक्स 1062.22 अंक या 1.45 फीसदी गिरकर 72,404.17 अंक पर पहुंच गया। निफ्टी भी 335.40 अंक या1.5 प्रतिशत लुढ़क कर 21,967.10 अंक पर बंद हुआ। 


बाजार में आई गिरावट से निवेशकों को करीब 7 लाख करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। 8 मई को बीएसई का कुल बाजार पूंजीकरण 400.69 लाख करोड़ रुपये था, जो 9 मई में घटकर 393.68 लाख करोड़ रुपये हो गया। इस तरह निवेशकों की वेल्थ में लगभग 7.01 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आई।


स्टॉक मार्केट में बुधवार से ही तेजी जारी थी जिसके बाद हैवीवेट शेयरों में मुनाफावसूली शुरू हो गई। इस वजह से शेयर बाजार नीचे की ओर भागने लगा। रिलायंस इंडस्‍ट्रीज, एचडीएफसी बैंक और आईटी शेयरों में आज निवेशकों द्वारा मुनाफावसूली के वजह से भाव गिरने लगा। दूसरा कारण, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने गुरुवार को 964 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे। तीसरा बड़ा कारण यूएस फेड की बैठक के बाद, मुद्रा और बॉन्ड बाजार में मुनाफावसूली शुरू हो गई है। यूएस डॉलर इंडेक्स 106.50 के स्तर से गिरकर 105 के स्तर पर आ गया है. इसलिए, निवेशकों से मुद्रा और ट्रेजरी बाजार में मुनाफावसूली करने और इक्विटी और अन्य परिसंपत्तियों में निवेश करने की उम्मीद है।


लार्सन एंड टुब्रो के शेयर 5 प्रतिशत से अधिक गिरकर टॉप गेनर स्टॉक रहा। इसके अलावा एशियन पेंट्स, जेएसडब्ल्यू स्टील, आईटीसी, बजाज फाइनेंस, इंडसइंड बैंक, टाटा स्टील, एनटीपीसी, बजाज फिनसर्व, एचडीएफसी बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज और पावर ग्रिड के शेयर भी गिरावट के साथ बंद हुए।

इसके विपरीत, टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, भारतीय स्टेट बैंक, इंफोसिस और एचसीएल टेक के शेयर हरे निशान पर बंद हुआ है।


एक और विशेष इनपुट - सऊदी अरब के एक पूर्व ख़ुफ़िया अधिकारी से मिली जानकारी के मुताबिक सऊदी अरब के अधिकारियों ने रेगिस्तान में बन रहे नियोम शहर के लिए ज़मीन ख़ाली कराने के लिए सुरक्षा बलों को विरोध करने वालों को जान से मारने का हुक्म जारी कर दिया है।

नियोम नाम की इस विशाल परियोजना को पश्चिमी देशों की दर्जनों कंपनियां मिलकर बना रही हैं।


दिलचस्प यह भी है कि आज दलाल स्ट्रीट पर गिरावट से पूंजीगत सामान, तेल और गैस शेयरों पर इसका असर सबसे ज्‍यादा रहा। बीएसई पूंजीगत सामान और तेल और गैस सूचकांक क्रमशः 1231 अंक और 431 अंक गिरे। हालांकि, ऑटो शेयरों में बढ़त सीमित रही और बीएसई ऑटो इंडेक्स 740 अंक बढ़कर 51,882 पर पहुंच गया।

अन्य कारणों में विदेशी निवेशकों की बिकवाली, यूएस फेड का हॉकिश, उम्मीद से खराब चौथी तिमाही नतीजे, VIX इंडेक्स में तेजी महत्वपूर्ण हैं।


एक और बात... बीते दिनों सार्वजनिक रुप से मोदी ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए अडानी और अंबानी पर चुनावी मंच से निशाने पर लिया था। ये करेक्शन सियासी है और कनेक्शन मार्केट का है।

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