google.com, pub-3470501544538190, DIRECT, f08c47fec0942fa0
top of page

आँगन में आयेगा खुशियों का फिर डेरा – दुनिया से मिट जायेगा दुख का अँधेरा.


ree

सबके आँगन में आयेगा,

खुशियों का फिर डेरा.

इस दुनिया से मिट जायेगा,

दुख का मीत अँधेरा.


विपदाओं की गठरी से तुम,

नहीं कभी घबराना.

मुश्किल का जो पल आया है,

निश्चित इसका जाना.

हर देहरी पर करेगा आकर,

सुख ही सदा बसेरा.

इस दुनिया से मिट जायेगा,

दुख का मीत अँधेरा.(1)


नीर पीर के संग कभी भी,

नहीं रहेगा जीना.

रोग शोक का विष हम सबको,

नहीं पड़ेगा पीना.

सुख का जल कुल बरसायेगा,

बादल यहाँ घनेरा.

इस दुनिया से मिट जायेगा,

दुख का मीत अँधेरा.(2)


ree
कविवर आशुतोष "आशु"

नहीं कभी भी किसी समर में,

हार नहीं अब होगी.

सभी पियेंगे सुधा प्रेम की,

रार नहीं अब होगी.

पास सभी के आकर वैभव,

देगा हरदम फेरा.

इस दुनिया से मिट जायेगा,

दुख का मीत अँधेरा .(3)


रंग विरंगे फूलों से फिर,

महकेगा जग सारा.

इस धरती का हर इक कोना,

होगा प्यारा प्यारा.

रच देगा सबकी छवि अनुपम,

फिर से यहाँ चितेरा.

इस दुनिया से मिट जायेगा,

दुख का मीत अँधेरा.(4)

- आशुतोष 'आशु'..


विज्ञापन
विज्ञापन

Comments


bottom of page
google.com, pub-3470501544538190, DIRECT, f08c47fec0942fa0