लखनऊ, 15 जून 2023 : लगभग तीन माह पहले मार्च में असंवैधानिक घोषित हड़ताल की अगुवाई करने वाले बिजली अभियंता संगठनों के सेवारत नेताओं की संपत्तियों की भी अब सतर्कता जांच होगी। उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान के पुलिस अधीक्षक ने बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशकों से संबंधित अभियंताओं के मूल दस्तावेज के साथ विस्तृत ब्योरा मांगा है।
बिजली की हड़ताल पर हाईकोर्ट के कड़े रुख के बाद से सभी संबंधित अभियंता निलंबित चल रहे हैं। दरअसल, ऊर्जा निगमों में हड़ताल पर रोक के बावजूद मार्च में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले कई विद्युत अभियंता व कर्मचारी संगठनों ने हड़ताल की थी जिससे प्रदेशवासियों को गंभीर बिजली संकट से जूझना पड़ा था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे गंभीरता से लेते हुए संबंधित संगठनों के नेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए थे।
हाईकोर्ट ने भी हड़ताल का संज्ञान लेते हुए कड़ा रुख दिखाया था। ऐसे में उत्तर प्रदेश आवश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम (एस्मा) का उल्लंघन करने और अधिकारियों-कर्मचारियों को कार्य बहिष्कार-हड़ताल के लिए उकसाने आदि पर कई सेवारत नेताओं के खिलाफ एफआइआर के साथ ही उन्हें निलंबित कर लखनऊ के बाहर भेज दिया गया था। अब संबंधित नेताओं की परिसंपत्तियों की सतर्कता जांच के आदेश दिए गए हैं।
सूत्रों के मुताबिक जिन पदाधिकारियों की चल-अचल संपत्ति की सतर्कता जांच के आदेश किए गए हैं उनमें उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ के महासचिव जितेन्द्र सिंह व उपाध्यक्ष प्रभात सिंह श्योरान, जूनियर इंजीनियर्स संगठन के अध्यक्ष सहायक अभियंता जय प्रकाश भारतीय, राज्य विद्युत परिषद प्राविधिक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष तकनीशियन (लाइन) चंद्र भूषण उपाध्याय व केंद्रीय महासचिव तकनीशियन मुहम्मद वसीम सहित दो-तीन अन्य पदाधिकारी भी हैं।
सतर्कता अधिष्ठान के पुलिस अधीक्षक ने विद्युत वितरण निगमों के प्रबंध निदेशकों को पत्र भेजकर संबंधित अभियंताओं के बारे में विस्तृत ब्योरा मांगा है। प्रबंध निदेशकों से जांच के लिए नोडल अधिकारी नामित करने और संबंधित पदाधिकारियों के तमाम दस्तावेज की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही मूल रूप में उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है। सभी की तैनाती, घोषित चल-अचल संपत्ति, आयकर रिटर्न, वेतन आदि के बारे में जानकारी मांगी गई है।
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