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जेल प्रशासन ने हटा दिए थे कारोबारी व अतीक की मुलाकात के साक्ष्य, पढ़ें पूरा मामला


लखनऊ, 24 अगस्त 2022 : रियल एस्टेट कारोबारी मोहित जायसवाल को अगवा कर देवरिया जेल में ले जाया गया था। जेल के भीतर उसकी पिटाई की गई थी। इसके बाद उसे पूर्व सांसद अतीक अहमद के गुर्गे बाहर लेकर निकल आए। लखनऊ पुलिस को जब शिकायत मिली और मामले की पड़ताल की गई तो पता चला कि जेल के रजिस्टर में कहीं भी मोहित के वहां जाने का जिक्र ही नहीं है। यहां तक की सीसी फुटेज तक नहीं मिले। देवरिया के तत्कालीन जेल अधिकारियों ने मिलीभगत कर सारे साक्ष्य गायब कर दिए थे।

मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन एसएसपी लखनऊ दीपक कुमार ने टीम गठित की। इसके बाद मोहित की कार समेत दो आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया था। पूछताछ में आरोपितों ने घटना कबूल की। इधर, कृष्णानगर पुलिस मामले की विवेचना कर रही थी। पुलिस ने अतीक अहमद समेत आठ लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। इस बीच 23 अप्रैल, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआइ को सौंपने का आदेश दिया।

12 जून, 2019 को सीबीआइ ने अतीक अहमद, फारुख, जकी अहमद, मो. उमर, जफर उल्लाह, गुलाम सरवर व 12 अन्य के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर जांच शुरु की थी। 21 अक्टूबर, 2021 को सीबीआइ की विशेष अदालत ने उमर की संपत्ति कुर्क करने का आदेश दिया था। इसके बाद उमर का प्रयागराज स्थित एसबीआइ व एचडीएफसी का एक-एक बैंक एकाउंट फ्रीज कर दिया गया। इससे पहले उसकी अचल संपत्ति का ध्वस्तीकरण कराया गया था। उधर, उमर के अधिवक्ताओं ने पत्र के जरिए इस बात की पुष्टि की थी कि वह पिता से जेल में मिलने गया था।

ये है मामलाः कृष्णानगर कोतवाली में 28 दिसंबर, 2018 को मोहित ने एफआइआर दर्ज कराई थी। आराेप है कि देवरिया जेल में बंद अतीक ने अपने गुर्गों के जरिए गोमतीनगर स्थित उनके आफिस से अपहरण करा लिया था। तंमचे के बल पर उसे देवरिया जेल ले जाया गया। अतीक ने उसे एक सादे स्टांप पेपर पर दस्तखत करने को कहा। इंकार करने पर अतीक ने अपने बेटे उमर तथा गुर्गे गुरफान, फारुख, गुलाम व इरफान के साथ मिलकर उसे तमंचे व लोहे की राड से पीटा था। बेसुध होने पर स्टांप पेपर पर दस्तखत बनवाकर करीब 45 करोड़ की संपत्ति अपने नाम करा ली थी। मोहित की गाड़ी भी अतीक के गुर्गों ने छीन ली थी और धमकी देकर छोड़ दिया था।

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