लखनऊ, 23 मार्च 2022 : तमाम मिथक और रिकार्ड तोड़कर फिर सत्ता में वापसी करने में तो भाजपा जरूर कामयाब रही है, लेकिन अंचलवार हुए सीटों के नुकसान को लेकर वह गंभीर है। सभी दलाें के दिग्गजों के दमखम वाले पूर्वांचल में 23 सीटें हाथ से फिसलने के बाद भाजपा के रणनीतिकार इस गुणा-भाग में लग गए हैं कि यहां से और अधिक वोट कैसे जुटाया जाए। यूं तो रणनीति बनाकर जमीन मजबूत करने के लिए पार्टी के पास पर्याप्त वक्त है, लेकिन 2024 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव को देखते हुए योगी मंत्रिमंडल से ही इस प्रयास की शुरुआत हो सकती है। माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल में पूर्वांचल से अधिक मंत्री मंत्री बनाकर सत्ताधारी दल यहां से बड़ी जीत का मंत्र तलाश सकता है।
दरअसल, 18वीं विधानसभाके चुनाव मेंपार्टी की जहां 57 सीटें खिसककर 312 से 255 हीरह गई हैं, वहीं छोटे दलोंसे गठबंधन केबावजूद 52 सीटें हाथ सेनिकल गई हैं।पिछली बार 325 विधायकोंसंग सरकार बनानेवाले भाजपा गठबंधनके अबकी बार 273 विधायक ही हैं।पिछले चुनाव सेतुलनात्मक रूप मेंक्षेत्रवार देखा जाएतो भाजपा गठबंधनको सबसे ज्यादानुकसान पूर्वांचल में हुआहै।
नए सहयोगीनिषाद पार्टी औरअपना दल(एस) के साथ चुनावमैदान में उतरीभाजपा को पूर्वांचलमें पिछली बारसे 23 सीटों कानुकसान हुआ है।पिछले चुनाव मेंअकेले भाजपा ही 130 में से 87 सीटें जीतीथी, लेकिन इसबार 64 पर हीसफलता मिली है।पिछली बार साथरहे सुभासपा केचार व अपनादल (एस) केनौ विधायकों संगकुल 100 सीटें मिली थीं, लेकिन अबकी सहयोगियोंके 13 विधायकों केसाथ भी 77 सीटोंपर ही सफलतामिली है। पूर्वांचलसे हारने वालोंमें योगी सरकारके कई मंत्रीभी हैं।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि विधानसभा चुनाव में भले ही उम्मीद के मुताबिक पूर्वांचल के नतीजे नहीं रहे हैं, लेकिन दो वर्ष बाद होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर योगी मंत्रिमंडल में इस अंचल पर खास फोकस रहेगा। जातीय समीकरण के साथ ही क्षेत्र में प्रभाव रखने वाले साथ-सुथरी छवि के विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह दी जाएगी। चूंकि सहयोगी दलों के जीते 18 विधायकों में से 13 पूर्वांचल से ही हैं, इसलिए उनमें से भी कुछ को मंत्रिमंडल में जगह दी जाएगी।
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