राजनीति में सब कुछ सीधे-सीधे ना कहा जाता है और ना ही होता है, इशारे समझने पड़ते हैं। गांधी परिवार और कांग्रेस पार्टी के सबसे भरोसेमंद और करीबी पत्रकार राजदीप सरदेसाई के साथ वन-टू-वन इंटरव्यू में प्रियंका ने एक के बाद एक कई संकेत दिए हैं।
अमेठी और रायबरेली में चुनावी प्रचार की कमान संभाले प्रियंका गांधी वाड्रा एक इंटरव्यू के दौरान वो सब कुछ बोल गईं जिस पर कांग्रेस पार्टी के भीतर कयास तो लगते रहे लेकिन अब तक मुहर नहीं लगी थी।
प्रियंका के ताजा बयानों के बाद कांग्रेस के भीतर समझदारों को इशारा हो गया है कि आने वाले समय में कांग्रेस पार्टी “प्रियंका की कांग्रेस” होगी।
पूरे इंटरव्यू में तीन सवालों और उनके जवाबों ने कांग्रेस पार्टी और प्रियंका गांधी के भविष्य का खाका खींच दिया और जो कहने में प्रियंका ने थोड़ा सा संकोच किया उसे राजदीप ने टैग लगाकर पूरा कर दिया।
प्रियंका ही हैं भविष्य की चेहरा
प्रियंका ने पारिवारिक विरासत पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि जब वो 12-13 साल की थीं तो एक ज्योतिषी, जो राजनीतिक भविष्यवाणी करते थे, उनके घर आए। उन्होंने प्रियंका का हाथ देखकर कहा कि तुम प्रधानमंत्री बनोगी...इसी बीच उनके पिता राजीव गांधी वहां आ गए और उन्हें वहां से जाना पड़ा।
बीते दौर की बात हैं राहुल
इसी प्रकार जब प्रियंका से पूछा गया कि क्या राहुल गांधी प्रधानमंत्री बन सकते हैं तो प्रियंका ने कहा कि अगर वो प्रधानमंत्री बनते तो बहुत अच्छे प्रधानमंत्री बनते। इस लाइन के बाद प्रियंका ने बात घुमा दी और कहा कि राहुल हिंदू धर्म की गहराईयों को भी समझते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं प्रियंका ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देते हुए कहा कि अगर प्रधानमंत्री कल हिंदू धर्म पर राहुल के साथ डिबेट करें तो राहुल जी के सामने वो बोल नहीं पाएंगें।
प्रियंका में इंदिरा
तीसरा, जब प्रियंका से पूछा गया कि सक्रिय राजनीति में बीते पच्चीस साल से हैं और कांग्रेस के भीतर उन्हें ब्रह्मास्त्र कहा जाता है, तो ऐसा क्या है जो प्रियंका के बारे में जानना चाहिए लेकिन लोग नहीं जानते –
तब प्रियंका ने खुद को कांग्रेस पार्टी का कार्यकर्ता बताते हुए अपनी कार्यशैली का ऐसा नजारा दिया जिस पर तुरंत राजदीप ने प्रियंका की तुलना इंदिरा से कर दी।
प्रियंका ने खुद को कांग्रेस पार्टी का ऐसा कार्यकर्ता बताया जो 12-14 घंटे काम करने के बाद दो-तीन घंटे का आराम करता है और फिर काम पर जुट जाता है। सिर्फ इतना ही नहीं रैली-सभा आदि के लिए झंडा बैनर तक की चिंता करती हैं यानी माइक्रो मैनेजमेंट करती हैं। इसी बात पर उनकी तुलना इंदिरा गांधी से कर दी गई।
अब बीच चुनाव इन तीनों बयान के बहुतेरे निहितार्थ हैं। सबसे पहली बात तो यही है कि प्रियंका ने खुद को कांग्रेस पार्टी का भविष्य बताने में देर नहीं की और दूसरी तरफ राहुल गांधी की पुरजोर तारीफ करते हुए उन्हें बीते हुए कल का नेता भी बता दिया। इंटरव्यू लेने वाले ने रही सही कसर प्रियंका की तुलना इंदिरा गांधी से करके पूरी कर दी।
राहुल पर प्रियंका ने किए लगातार हमले
गंभीर बात यह है कि राहुल के प्रधानमंत्री बनने के सवाल पर प्रियंका ने ना सिर्फ इंडी गठबंधन का सहारा लेकर चुनावी नतीजों से पहले खुद ही राहुल की स्वीकार्यता पर सवालिया निशान लगा दिया बल्कि अगली ही लाइन में उन्हें हिंदू धर्म का जानकार बता उस तरफ ढकेल दिया जहां से राहुल गांधी की वापसी नामुमकिन होगी।
इंटरव्यू के दौरान ही प्रियंका ने राहुल को मुंहफट बताया जबकि खुद को नपातुला बोलने वाला बताया। इससे यह भी स्पष्ट हो गया कि भले ही राहुल सच बोलते हों, सच के लिए अड़ जाते हों लेकिन राजनीति के राज़ अपने भीतर रखने में वो नाकाम हैं।
अगर प्रियंका की ही मानें तो अपने अड़ियल सच से राहुल ने कांग्रेस अध्यक्ष रहते पार्टी को जिस जगह पहुंचा दिया अगर वो किसी भी प्रधानमंत्री या अन्य महत्वपूर्ण संवैधानिक पद पर होते तो उसका हाल भी वर्तमान कांग्रेस पार्टी जैसा ही हो जाता।
चूंकि राजदीप मंझें हुए खिलाड़ी हैं इसलिए इंटरव्यू में पूछे गए सवालों का सीक्वेंस और चर्चा की लय इतनी सहज है “बिटवीन द लाइन्स” वही समझ सकता है जो राजनीति के इशारों को समझता हो।
कांग्रेस में बगावत शुरु
सिर्फ इतना ही नहीं इस इंटरव्यू की टाइमिंग इतनी जबरदस्त है कि कांग्रेस के भीतर बगावत भी शुरु हो गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और अधीर रंजन चौधरी के बीच की लड़ाई सतह पर आ गई है। अधीर रंजन चौधरी ने खुद को हाईकमान का व्यक्ति बताया तो कांग्रेस अध्यक्ष खरगे को चौधरी को पार्टी से बाहर निकालने का अल्टीमेटम दे दिया है।
यहां बड़ी बात यह भी है कि कांग्रेस के भीतर बगावत के सुर पश्चिम बंगाल से ममता बनर्जी को लेकर उठे हैं जिनकी तृणमूल कांग्रेस से राजदीप की पत्नी सागरिका घोष राज्यसभा सांसद है।
राबर्ट का रोड़ा
आपको यह जानना भी जरुरी है अपने हिस्से की राजनीति में प्रियंका को राहुल या सोनिया ही नहीं अपने पति राबर्ट वाड्रा का दखल भी बर्दाश्त नहीं है। बीते पच्चीस सालों में अमेठी रायबरेली के प्रचार के दौरान ही सही लेकिन राबर्ट वाड्रा ने जब जब अपनी सियासी पारी पर मीडिया से कुछ भी कहने की कोशिश की है प्रियंका बीच में ही प्रचार छोड़ कर चलीं गईं और हर बार राबर्ट को नेपथ्य में ढकेल कर ही वापस लौंटीं।
गौर करने वाली बात है कि इस बार भी राबर्ट ने रायबरेली से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी।
और हां, उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में यूपी को अपनी प्रयोगशाला बनाने वाली प्रियंका ने यह भी बता दिया है कि उनके प्रयोग हाल-फिलहाल भले नतीजे ना दे रहे हों लेकिन भविष्य के लिए “लड़की हूं लड़ सकती हूं” ही काफी होगा।
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