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रामनवमी 2024 : श्रद्धालु रात 11 बजे तक कर सकेंगे Ayodhya राममंदिर में रामलला के दर्शन



- भोर में 3:30 बजे से देर रात तक शृंगार एवं दर्शन साथ-साथ चलते रहेंगे

- 16 अप्रैल से 19 अप्रैल तक वीआईपी दर्शन एवं आरती पास पर रोक

- कार्यक्रमों का होगा सजीव प्रसारण, नगर में 100 जगह लगेंगे एलईडी स्क्रीन

- 12 बजकर 16 मिनट पर करीब 5 मिनट तक श्रीराम का होगा सूर्य अभिषेक


अयोध्या, 15 अप्रैल। श्रीरामलला मंदिर में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रामनवमी पर रात्रि 11 बजे तक दर्शन हो सकेंगे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चम्पत राय ने इस संबंध में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि श्रीराम नवमी महोत्सव के दौरान मंगला आरती के पश्चात ब्रह्म मुहूर्त में अति प्रातः 3:30 बजे से अभिषेक, शृंगार एवं दर्शन साथ-साथ चलते रहेंगे। श्रंगार आरती प्रातः 5:00 बजे होगी, श्री रामलला का दर्शन एवं सभी पूजा-विधि यथावत साथ-साथ चलती रहेंगी। भगवान को भोग लगाने के लिए समय-समय पर अल्प-काल को पर्दा रहेगा। रात्रि 11:00 बजे तक दर्शन का क्रम पूर्ववत चलता रहेगा, तत्पश्चात परिस्थिति अनुसार भोग एवं शयन आरती होगी।

तीर्थ क्षेत्र की ओर से बताया गया कि रामनवमी पर शयन आरती के पश्चात मन्दिर निकास मार्ग पर प्रसाद मिलेगा। दर्शनार्थी अपना मोबाइल, जूता, चप्पल, बड़े बैग एवं प्रतिबंधित सामग्री आदि मंदिर से दूर सुरक्षित रखकर आएं। बताया कि दिनांक 16, 17, 18 एवं 19 अप्रैल को सुगम दर्शन पास, वीआईपी दर्शन पास, मंगला आरती पास, श्रंगार आरती पास एवं शयन आरती पास नहीं बनेंगे। सुग्रीव किला के नीचे, बिड़ला धर्मशाला के सामने, श्री रामजन्मभूमि प्रवेश द्वार पर 'श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' द्वारा यात्री सेवा केन्द्र बनाया गया है जिसमें जन-सुविधाएं उपलब्ध हैं। श्री राम जन्मभूमि मन्दिर में संपन्न होने वाले सभी कार्यक्रमों का सजीव प्रसारण अयोध्या नगर निगम क्षेत्र में लगभग 80 से 100 स्थानों पर एलईडी स्क्रीन लगाकर दिखाया जाएगा। यह कार्य प्रसार भारती द्वारा श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की ओर से श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए किया गया है। इसका सीधा प्रसारण उपलब्ध रहेगा।

राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि रामनवमी पर भगवान रामलला के ललाट पर सूर्य किरण 12:16 मिनट के करीब 5 मिनट तक पड़ेगी, इसके लिए महत्वपूर्ण तकनीकी व्यवस्था की जा रही है। वैज्ञानिक इस अलौकिक पलों को पूरी भव्यता से प्रदर्शित करने के लिए जुटे हुए हैं। उन्होंने बताया कि मंदिर का बचा हुआ कार्य भी दिसंबर 2024 तक पूरा हो जाएगा।

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