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किसानों से जुड़े तीन कानूनों में केंद्र सरकार के बदलाव पर बड़े आंदोलन की तैयारी में राष्ट्रीय लोकदल



भारतीय कृषि से जुड़े तीन कानूनों में केंद्र सरकार के संशोधन का राष्ट्रीय लोकदल ने कड़ा विरोध किया है। राष्ट्रीय लोकदल का कहना है कि केंद्र की मोदी सरकार ने कानूनों में जो संशोधन हो रहे हैं उससे किसानों की स्थिति खराब होगी।


पहले आपको बताते हैं कि केंद्र सरकार ने कौन से कानून बदले हैं।


पहला - Farmers produce trade and e-commerce (promotion and facilitation ordinance)

दूसरा - Amendment in Essential commodity Act 1955

तीसरा - The Farmers (Empowerment & Protection) Agreement on Price Assurance & Farm service Ordinance

राष्ट्रीय लोकदल की हुई महत्वपूर्ण बैठक के फैसले



जयंत चौधरी की अगुवाई में राष्ट्रीय लोकदल की महत्वपूर्ण बैठक हुई । जिसमें फैसला लिया गया कि रालोद केंद्र सरकार के इन तीनों अध्यादेशों का पुरजोर विरोध करेगी। राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय प्रवक्ता इंदरजीत सिंह टीटू के साथ महानगर अध्यक्ष रविंद्र चौहान, महामंत्री उत्तर प्रदेश ऑडी त्यागी, और राष्ट्रीय लोक दल किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने मीडिया से मुखातिब होते हुए बिंदुवार एक एक कानून पर राष्ट्रीय लोकदल के विचार रखे।


अब समझिये राष्ट्रीय लोकदल इन कानूनों का क्यों विरोध कर रहा है।


1. Farmers produce trade and e-commerce (promotion and facilitation ordinance)

इस कानून के लागू होने से कोई भी पैन कार्ड धारी किसानो की फसल खरीद सकेगा और अगर पैसो के लेन देन का विवाद होगा तो SDM सुनवाई करेगा और अपील आदि भी D M व संयुक्त सचिव स्तर अर्थात् सरकार नियंत्रण अधिकारियों द्वारा ही होगी ,सिविल कोर्ट नहीं जा सकेंगे । सरकार मंडियो को खत्म करना चाहतीं है। अगर मंडी के द्वारा किसानों की फसल की खरीद बिक्री नही हुई तो SMP रेट सरकार लागू नही कर पायेगी। जिससे किसानों को सरकार द्वारा न्यूनतम निर्धारित मूल्य भी नही मिल पायेगा, मंडी में होने वाला व्यापारियों का कम्पटीशन भी खत्म हो जाएगा। किसानों को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा। पहले जमाने की तरह बड़े व्यापारी औने पौने दामो में किसानों की फसल खरीद लेंगे। साथ ही व्यापारी अपनी मनमर्जी से किसानों के साथ लूट करने लगेंगे।


2. Amendment in Essential commodity Act 1955:-

इस कानून के लागू होने से जब सरकार भंडारण की सीमा खत्म कर देंगी तब बड़े व्यापारी किसान की फसल आने पर किसानों की भंडारण क्षमता न होने के कारण सस्ते रेट में भंडारण कर लेंगे जिसकी वजह से वस्तुओ की कीमत बढ़ जाएगी। इससे काला बाजारी को बल मिलेगा और किसानों को SMP का रेट भी नही मिल पायेगा। साथ ही रोज़ काम आने वाली वस्तुओं के दाम पर कोई कन्ट्रोल न होने पर आम उपभोक्ता प्रभावित होंगे ।


3. The Farmers (Empowerment & Protection) Agreement on Price Assurance & Farm service Ordinance-

इस कानून के बाद बड़े औद्योगिक घराने किसानों से उनकी उपज के संबंध में पहले करार कर उनको खाद बीज हेतु आर्थिक मदद के नाम पर और फसल आने पर गुणवत्ता की आड़ में छोटे किसानों का शोषण करेंगे। आखिर में किसान मजबूर होकर उनके यहां अपनी ही जमीन पर नौकर जैसे बन जायेंगे। इस अधिनियम में किसानों की सुरक्षा की कोई गारंटी नही है। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की गाइडलाइन में फसलो के न्यूनतम मूल्य तक का जिक्र नहीं है।


राष्ट्रीय लोकदल का मानना है कि ये तीनो ही अध्यादेश ही किसान विरोधी है। इनके लागू होने के बाद किसानों का व्यापारियों व बड़े घरानों द्वारा उत्पीडन होना शुरू हो जायेगें। किसानों की हालत जमीदारी और ईस्ट इंडिया कम्पनी के दौर से भी ज्यादा खराब हो जाएगी।


राष्ट्रीय लोकदल के जनप्रिय नेता जयंत चौधरी की अगुवाई में पार्टी कार्यकर्ता किसान विरोधी इन तीनों अध्यादेशों का विरोध कर रहे हैं।


राष्ट्रीय लोकदल के नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार किसान विरोधी इन अधिनियमों को लागू करने पर आमादा रही तो रालोद को कोरोना काल मे जनांदोलन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।


टीम स्टेट टुडे



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