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साधारण दूरबीन से आसमान में दिख रहे हैं शनि और बृहस्पति ग्रह – बेहद रोचक जानकारियां


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आकाशगंगा हमेशा इंसान के कौतुहल का विषय रही है। हमारे सौरमंडल के नौ ग्रहों में सबकी अपनी विशेषताएं हैं। सभी ग्रहों के अपने आकार-प्रकार और विलक्षणताएं हैं। ग्रहों की अपनी सुंदरता भी लोगों को आकर्षित करती है। नौ ग्रहों में जिस ग्रह को लेकर सबसे ज्यादा आकर्षण जिस ग्रह मे है वो है शनि।


इन दिनों आकाश में बेहद आकर्षक नजारा दिखाई दे रहा है। अगर आप के आसमान पर बादलों का डेरा ना हो तो एक बार आसमान की तरफ अवश्य देखिए। शनि और बृहस्पति सूर्य के परिक्रमा वाले मार्ग पर सारी रात बेहद चमकदार नजर आ रहे हैं। बड़ी बात यह है कि शनि ग्रह पृथ्वी के बेहद पास है से गुजर रहा है। इस समय शनि ग्रह को साधारण टेलिस्कोप से भी देखा जा सकता है। शनि के खूबसूरत छल्ले और चांद बेहद आकर्षक हैं।

सूर्य के चारों ओर अपनी कक्षाओं में घूमते हुए शनि और पृथ्वी दो अगस्त को एक दूसरे के सबसे पास होंगे। चूंकि शनि ग्रह आजकल पृथ्वी के बहुत पास है इसलिए बेहद चमकीला नजर आ रहा है। इसके वलय भी स्पष्ट दिख रहे हैं।


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आमतौर पर पृथ्वी से शनि की दूरी लगातार बदलती है। दोनों ग्रह अलग-अलग मार्ग पर अंतरिक्ष में यात्रा करते हैं। पृथ्वी और शनि सबसे पास तब होते हैं जब ये सूर्य के एक ही तरफ आकर परिक्रमा मार्ग पर आगे बढ़ते हैं यानी एक ही कक्षा में होते हैं। इस दौरान भी पृथ्वी और शनि के बीच की दूरी एक अरब बीस करोड़ किलोमीटर होती है जो पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी से आठ गुना अधिक है।


जब पृथ्वी और शनि सूर्य की विपरीत दिशाओं में होते हैं तो इनके बीच की दूरी सबसे ज्यादा होती है जो करीब एक अरब 65 करोड़ किमी है यानी पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी से 11 गुना ज्यादा।


शनि ग्रह अंतरिक्ष में 34000 किमी प्रति घंटे की तीव्र गति से पृथ्वी के 29.5 वर्षों में सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करता है। प्रत्येक एक वर्ष 13 दिन के बाद एक बार शनि और पृथ्वी निकटतम दूरी पर होते हैं। इस वर्ष यह अवसर दो अगस्त की रात को पड़ेगा।


इस रात शनि के छल्ले पृथ्वी की सीध में होंगे और इनके बर्फीले कण सूर्य की रोशनी पड़ने से चमकीले नजर आएंगे जो एक साधारण टेलिस्कोप या दूरबीन से देखे जा सकेंगे। साथ ही शनि के कुछ चांद भी देखे जा सकेंगे।


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शनि ग्रह अब अक्तूबर तक रात भर आकाश में पूर्व से पश्चिम की ओर सूर्य वाले मार्ग पर ही नजर आएगा।

शनि हमारे सौर मंडल में आकार के हिसाब से बृहस्पति के बाद दूसरे नंबर का ग्रह है। इसकी विशालता का अंदाज इन तथ्यों से लगाया जा सकता है कि शनि का व्यास भूमध्यरेखा पर पृथ्वी के व्यास का 9.44 गुना, क्षेत्रफल पृथ्वी से 83.7 गुना, आयतन पृथ्वी से 763.6 गुना, वजन पृथ्वी से 95.2 गुना ज्यादा है लेकिन गैसीय संरचना के कारण इसका घनत्व पृथ्वी के मात्र दसवें हिस्से के बराबर है यानी शनि आसानी से पानी में तैर सकता है।


शनि पर हैं सबसे ज्यादा चंद्रमा


पौने दो साल पहले तक 79 चंद्रमाओं के साथ बृहस्पति ग्रह चंद्रमाओं का राजा था। शनि 62 चंद्रमाओं के साथ दूसरे नंबर पर था। अक्तूबर 2019 में वैज्ञानिकों ने शनि के 20 नए चंद्रमाओं की खोज की पुष्टि की तब से शनि सर्वाधिक 82 चंद्रमाओं वाला ग्रह बन गया है।


नए चंद्रमाओं का व्यास करीब पांच किलोमीटर है। इनमें से सत्रह शनि ग्रह की परिक्रमा पीछे की ओर उल्टी दिशा में करते हैं। तीन शनि के घूमने की दिशा में ही परिक्रमा करते हैं। शनि के निकट के चंद्रमा दो वर्ष में जबकि दूर के चंद्रमा तीन वर्ष से अधिक में उसकी परिक्रमा करते हैं।


शनि ग्रह के सात चंद्रमा ऐसे हैं जिन्हें पृथ्वी से साधारण टेलिस्कोप से देखा जा सकता है। इनमें सबसे प्रमुख है टाइटन। इसके अलावा रिया, डायोन, टेथिस, एन्सेलेडस और मीमास शामिल हैं। शनि के अनेक चांद ऐसे भी हैं जिनका अभी नाम नहीं रखा गया है।


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शनि के पीछे आ रहा है बृहस्पति


बृहस्पति ग्रह भी इन दिनों पृथ्वी के बहुत निकट और चमकीला नजर आने लगा है। 19 अगस्त को यह भी पृथ्वी के सर्वाधिक निकट होगा। अपनी कक्षाओं में सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हुए जब बृहस्पति और पृथ्वी सूर्य की विपरीत दिशाओं में सर्वाधिक दूरी पर होते हैं तब उनके बीच की दूरी 96 करोड़ 80 लाख किमी होती है और जब वे सूर्य की एक ही दिशा में सबसे नजदीक आते हैं तो यह दूरी 38 करोड़ किमी घट कर 58 करोड़ 80 लाख किमी रह जाती है।


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हर 399 दिन में पृथ्वी और बृहस्पति के बीच ये स्थिति आती है। इस दौरान बृहस्पति शुक्र्त ग्रह से भी ज्यादा चमकीला नजर आता है। एक सामान्य दूरबीन से भी बृहस्पति की विभिन्न रंगीन पट्टियां और चार चांद यूरोपा, लोए गैनीमीड और कैलिस्टो नजर आ सकते हैं। अगस्त से नवंबर तक भी बृहस्पति आकाश में साफ और बहुत चमकीला नजर आएगा।


टीम स्टेट टुडे


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