लखनऊ, 25 अगस्त 2023 : अमरमणि त्रिपाठी के लिए आज का दिन राहत भरा रहा, राज्यपाल से मिली रिहाई के आदेश के बाद आज सुप्रीम कोर्ट ने भी रिहाई पर रोक से इनकार कर दिया। इससे पहले मधुमति के परिवार ने राज्यपाल के आदेश पर हैरानी जताते हुए सवाल उठाए थे कि जब आज कोर्ट में सुनवाई होनी है तो उन्हें रिहाई कैसे दी जा सकती है। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस मामले ने सूबे का सियासी पारा भी बढ़ा दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद निधि शुक्ला ने कहा कि हम बहुत उम्मीद से आए थे लेकिन सुप्रीम कोर्ट जो करता है वो सही करता है। उन्होंने कहा कि हम राज्यपाल से गुहार लगाते हैं कि आपके पास सभी कागज मौजूद हैं, कम से कम वो तो रिहाई पर रोक लगा दें। अपनी बात को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि मैं मुख्यमंत्री और राज्यपाल से अपील करती हूं कि रिहाई पर रोक लगा दें।
बकौल निधि शुक्ला, RTI आवेदनों में कहा गया है कि अमरमणि वास्तव में कभी जेल नहीं गए। वह कुछ भी कर सकता है...अगर उसने मेरी हत्या कर दी तो इस केस की पैरवी करने वाला कोई नहीं बचेगा?...यूपी में कैसी कानून-व्यवस्था है?
इससे पहले मधुमिता की बड़ी बहन निधि शुक्ला (Madhumita Elder Sister Nidhi Shukla) ने एक वीडियो जारी करते हुए कहा था कि सजा माफी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होनी है तो सरकार अमरमणि त्रिपाठी व मधुमणि त्रिपाठी (Amarmani Tripathi Madhumani Tripathi) को कैसे रिहा करने का आदेश कर सकती है।
वीडियो में उन्होंने बताया था कि अभी वह लखीमपुर खीरी में हैं और उन्हें सरकार के आदेश की कोई जानकारी नहीं है। शुक्रवार को लखनऊ आकर अपना पूरा पक्ष रखूंगी।
क्या है पूरा मामला
कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या (Madhumita Shukla Murder Case) के मामले में दोषी पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी की समय पूर्व रिहाई होगी।
कारागार विभाग ने दंपती की दया याचिका को स्वीकार कर अच्छे आचरण के चलते शेष सजा को माफ कर समय पूर्व रिहाई का आदेश जारी किया है।
लखनऊ की पेपरमिल कालोनी में कवयित्री मधुमिता की नौ मई, 2003 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या की जांच सीबीआइ ने की थी।
अभी गोरखपुर जेल में हैं बंद
देहरादून के विशेष न्यायाधीश/सत्र न्यायाधीश ने मधुमिता की हत्या में दोषी बाहुबली व पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी व उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
पूर्व में दोनों हरिद्वार जेल में निरुद्ध थे। बाद में दंपती को गोरखपुर जेल स्थानांतरित किया गया था। कारागार विभाग की ओर से जारी आदेश के अनुसार अमरमणि की आयु 66 वर्ष है।
वह 22 नवंबर, 2022 तक 17 वर्ष, नौ माह व चार दिन की सजा काट चुके थे। जबकि 20 वर्ष एक माह व 19 दिन की सपरिहार सजा पूरी हुई है। ऐसे ही मधुमणि की उम्र 61 वर्ष है।
अच्छे आचरण का हवाला देकर रिहा करने का आदेश
कारागार विभाग के अलग-अलग आदेशों के अनुसार दंपती की भोगी गई सजा व अच्छे जेल आचरण को देखते हुए समयपूर्व रिहाई का निर्णय किया गया है।
यदि अमरमणि त्रिपाठी व मधुमणि त्रिपाठी को किसी अन्य वाद में निरुद्ध रखा जाना वांछित नहीं है तो उन्हें जिला मजिस्ट्रेट गोरखपुर के समक्ष दो जमानतें व तथा उतनी ही धनराशि का निजी मुचलका देने पर जेल से मुक्त करने का आदेश है। पूर्व में भी राज्य सरकार को अमरमणि व मधुमणि की ओर से दया याचिका दी गई थी।
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