लखनऊ, 22 नवंबर, 2022: मैनपुरी लोकसभा और खतौली व रामपुर विधानसभा के उपचुनाव के नतीजे समाजवादी पार्टी की भविष्य की दशा-दिशा तय करेंगे। चुनाव जीतने पर कार्यकर्ताओं के टूटे हौसले एक बार फिर वापस आएंगे। चाचा शिवपाल सिंह यादव का सपा में राजनीतिक कद भी यह चुनाव तय करेगा। उपचुनाव जीत कर सपा यह संदेश देने की कोशिश भी करेगी कि उसकी मुस्लिम व यादव मतदाताओं में पकड़ बरकरार है।
कोई चूक नहीं करना चाहते हैं अखिलेश
सपा लगातार उपचुनाव हार रही है। विधानसभा चुनाव में अपेक्षाकृत सफलता नहीं मिलने के बाद आजमगढ़ व रामपुर लोकसभा उपचुनाव में भी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था। अपने ही गढ़ में हारने से पार्टी कार्यकर्ताओं के हौसले टूटे हैं। परिस्थितियों को समझते हुए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव इस बार कोई चूक नहीं करना चाहते हैं।
खुद चुनाव प्रबंधन की कमान भी संभाली
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव यह जानते हैं कि मैनपुरी उपचुनाव भी हारने पर उनके लिए आगे की राह कितनी मुश्किल होगी इसलिए उन्होंने रूठे चाचा शिवपाल को भी मनाया है। पत्नी डिंपल यादव को मैदान में उतारने के साथ ही अखिलेश वहां डेरा जमाकर खुद चुनाव प्रबंधन की कमान संभाल रखी है।
रालोद को खतौली सीट देकर दिया संदेश
सपा ने खतौली सीट गठबंधन के साथी राष्ट्रीय लोकदल को देकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि रालोद के साथ उसका गठबंधन भविष्य में भी बना रहेगा। इस सीट पर गठबंधन की जीत से यह संदेश तो जाएगा ही कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को पश्चिम उत्तर प्रदेश में उससे बड़ी चुनाैती मिलेगी। आजम खां के प्रभाव वाली मुस्लिम बहुल रामपुर सीट पर सपा जीत दर्ज कर यह साबित करने की कोशिश करेगी कि परंपरागत मुस्लिम वोटबैंक उसके साथ ही है।
एक मंच पर ले आई दोनों की मजबूरी!
अखिलेश व शिवपाल के एक मंच पर आने के पीछे कहीं दोनों की मजबूरी तो नहीं है। अखिलेश के सामने मैनपुरी की विरासत बचाने व शिवपाल के सामने अकेले अपनी राजनीति को बचाने की बड़ी चुनौती दिखती है। अखिलेश अच्छे से समझते हैं कि डिंपल को मैनपुरी में जिताना चाचा शिवपाल के बगैर आसान नहीं है। आजमगढ़ व रामपुर लोकसभा उपचुनाव भाजपा से हारने के पीछे कहीं न कहीं शिवपाल का साथ न होना भी माना ही जाता है। मैनपुरी में सपा की जीत में जसवंतनगर विधानसभा सीट की अहम भूमिका होती है। शिवपाल 1996 से लगातार यहीं से विधायक हैं। इसलिए अखिलेश ने अपने नाराज चाचा को मनाने की पहल की।
सपा में शिवपाल का कद और बढ़ना तय
विधानसभा चुनाव में अखिलेश के साथ जाने को बड़ी भूल बताने वाले शिवपाल अब अपने बेटे आदित्य के साथ ही अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रमुख नेताओं का भी सपा में सम्मान चाहते हैं, इसलिए वह अखिलेश की ओर से पहल का इंतजार कर रहे थे। अब दोनों के साथ आने से यदि डिंपल को जसवंतनगर से मुलायम को मिले 62,126 मतों की बढ़त से अधिक वोट मिलते हैं तो सपा में शिवपाल का कद और बढ़ना तय माना जा रहा है।
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