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राजनाथ सिंह के यूपी का CM रहते क्या हुआ था 14 नवंबर 2001 को संत कृपाल नगर में संडीला हरदोई में !!



तारीख – 14 नवंबर 2001

स्थान - संत कृपाल नगर

संडीला हरदोई


उस दिन उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले की संडीला तहसील में संत कृपाल नगर आश्रम में मानों भूचाल आया था। देश-दुनिया से स्वामी दिव्यानंद जी महाराज के अनुयायियों आश्रम में डेरा डाल रखा था। लाखों की संगत। हर शख्स के चेहरे पर बेचैनी। हालात ऐसे थे कि उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने बिना वक्त गवाएं हेलीकाप्टर से लखनऊ से हरदोई के लिए उड़ान भरी और संडीला में सीधे संत कृपाल नगर आश्रम पहुंचे। दरअसल ये वो दिन था जब स्वामी दिव्यानंद जी महाराज ने अपना शरीर छोड़ने का ऐलान किया था।


वीडियो देखने के लिए नीचे क्लिक कीजिए



संत कृपाल नगर संडीला आश्रम में देश विदेश के सत्संगियों का जमावड़ा था। लाखों की संगत परेशान भाव में समझ नहीं पा रही थी कि क्या होने वाला है। स्वामी जी के देह छोड़ने की जानकारी लखनऊ में बैठे प्रदेश के सियासी हुक्मरानों तक की पहुंच गई। ऐसे में तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने संडीला जाने का फैसला किया और लखनऊ से हेलीकॉप्टर के जरिए कुछ ही समय में संडीला आश्रम पहुंच गए। मुख्यमंत्री के आने की जानकारी जिले के अधिकारियों को हुई तो प्रशासनिक अमला हरकत में आया और आनन फानन में सीएम आगमन की तैयारियां पूरीं की गईं। तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह हेलीकाप्टर से उतर कर सीधे स्वामी जी से मिलने संत कृपाल भवन पहुंच गए। स्वामी जी ने मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह का संत कृपाल भवन में ही अभिवादन किया और फिर दोनों लोग भवन के ऊपरी तल पर चले गए जहां दरअसल स्वामी जी बैठा करते थे।

कुछ समय के बाद लाखों की संगत से भरे सत्संग भवन में स्वामी दिव्यानंद जी महाराज और तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह पहुंचे। जहां संगत के सामने मंच पर से ही मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने स्वामी दिव्यानंद जी आग्रह किया कि उनकी सरकार में अगर संत को देह छोड़नी पड़े तो यह उचित नहीं।



भावों से भरे मुख्यमंत्री के उस आग्रह को ना सिर्फ स्वामी जी ने स्वीकार कर देह छोड़ने का इरादा त्याग दिया बल्कि उसी सभा में मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह और देश दुनिया से आई लाखों सत्संगियों के सामने देवेंद्र मोहन को अपना आध्यात्मिक उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। साथ ही संगत से यह भी कहा कि सभी लोग अब से देवेंद्र मोहन जी को भैया जी कह कर संबोधित करेंगें।



स्वामी जी ने जैसे ही देवेंद्र मोहन भैया जी को अपना आध्यात्मिक उत्तराधिकारी घोषित किया पूरा आकाश स्वामी जी की जय और भैया जी की जय के जयकारों से गूंज उठा। आश्रम में मौजूद हर सत्संगी के बीच नव ऊर्जा का संचार हुआ। लोगों के उत्साह और उमंग से आश्रम का नजारा उत्सव में बदल गया।


टीम स्टेट टुडे



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