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तालिबान का भारतीय दूतावास पर हमला – मौत का मैदान बना अफगानिस्तान



अफगानिस्तान पर काबिज होने के साथ ही तालिबान ने भारत विरोधी हरकतें शुरु कर दी हैं। तालिबान वही चाल चल रहा है जो चीन और पाकिस्तान चलता आया है। तालिबान ने काबुल पर कब्जा जमाते ही भारत से संपर्क साधा था और रिश्ते न तोड़ने की पेशकश की थी। इस बीच तालिबान के लड़ाकों ने कंधार और हेरात में बंद पड़े भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमला किया और तलाशी शुरु कर दी।


इसके बाद वे कुछ कागज और दूतावास के बाहर खड़ी कारें अपने साथ लेकर चले गए। भारतीय अधिकारियों का कहना है तालिबान अपने उस वादे के खिलाफ काम कर रहा है, जिसमें उसने दुनिया से किसी को नुकसान न पहुंचाने का आश्वासन दिया था। वहीं, हेरात में भी तालिबानियों ने वाणिज्य दूतावास परिसर में प्रवेश किया और वाहनों को ले गए। एक ओर जहां हक्कानी नेटवर्क कैडर बड़े पैमाने पर काबुल को नियंत्रित कर रहा है। मुल्ला उमर के बेटे और तालिबान सैन्य आयोग के प्रमुख मुल्ला याकूब के नेतृत्व वाला तालिबान गुट पश्तूनों की पारंपरिक सीट कंधार से सत्ता और सरकार लेने की योजना बना रहे हैं। मुल्ला बरादर 18 अगस्त को दोहा से आने के बाद मुल्ला याकूब से मिला है।


तालिबान के वरिष्ठ नेता शेर मोहम्मद अब्बास, भारतीय पक्ष के पास पहुंचे थे और अनुरोध किया था वे भारतीय दूतावास बंद न करें। तालिबान की ओर से उन्हें कोई खतरा नहीं होगा, लेकिन बीते गुरुवार को तालिबान ने अफगानिस्तान और भारत के बीच व्यापारिक रिश्ते तोड़ दिए। अब न तो वहां से कुछ आयात किया जा सकता है और न कुछ निर्यात किया जा सकेगा।


भारत के पास तालिबान की कुछ खुफिया जानकारी थी। इसके तहत भारत को यह सूचना मिली थी कि तालिबान का कब्जा होते ही लश्कर व हक्कानी के आतंकी काबुल में प्रवेश कर गए हैं, जिनसे भारतीय दूतावास के अधिकारियों को खतरा हो सकता है। इसलिए भारत ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अपने राजनायिकों को सैन्य विमान से वापस बुला लिया था।



दूसरी तरफ अफगानिस्तान पर कब्जा जमाते ही तालिबान ने किसी से बदला न लेने का वादा किया था, लेकिन उसका यह वादा महज दुनिया की आंखों में धूल झोंकना था। तालिबानी आतंकी अफगानिस्तान में घर-घर जाकर उनकी तलाशी कर रहे हैं जो अमेरिकी फौजों के मददगार रहे हैं। सामने न आने पर तालिबान उनके परिवार वालों की हत्या तक कर रहा है।


अफगानिस्तान में विदेशी मीडिया हाउस के लिए काम करने वाले पत्रकारों को भी तालिबान अपना निशाना बना रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार एक जर्मन न्यूज चैनल के पत्रकार को तालिबान ढूंढ रहा है। कुछ आतंकियों ने उसके घर में जाकर तलाशी भी ली। पत्रकार के न मिलने पर परिवार के एक सदस्य की हत्या भी कर दी गई। इससे पहले भारत के पुलित्जर अवार्ड विजेता दानिश सिद्दकी की हत्या भी तालिबान ने की थी। इसके अलावा अमदादुल्लाह हमदर्द की भी दो अगस्त को हत्या कर दी गई थी।


अफगानिस्तान में दो दशकों से छिड़ी जंग में करीब 2.41 लाख लोग जान गवां चुके हैं। अमेरिका के ब्राउन यूनिवर्सिटी की ताजा रिपोर्ट कॉस्ट्स ऑफ वार (युद्ध की कीमत) शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच पहाड़ी क्षेत्र में 2,670 किलोमीटर की सीमा है। जहां अमेरिकी सेना ने सबसे अधिक ड्रोन हमले करने के साथ-साथ आमने-सामने की लड़ाई लड़ी है। इस लड़ाई में अफगानिस्तान और पाकिस्तान सीमा के बीच 71,344 स्थानीय लोगों की मौत हुई है। इसमें से 47,245 स्थानीय लोगों की मौत अफगानिस्तान में जबकि 24,099 लोगों की मौत पाकिस्तान में हुई है।


टीम स्टेट टुडे



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