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आखिर 75 साल वालों से मोदी को इतना लगाव क्यों है? टैक्स स्लैब से किसे मिला छुटकारा और आपका क्या हुआ !



मानना पड़ेगा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 75 आयुवर्ष से बहुत लगाव है। पहले सियासत करने वालों को 75 साल में रिटायर करने की सलाह दी। बीजेपी के जो नेता 75 साल के होते गए उन्हें विश्राम दिया। खुद भी 75 साल तक सियासत में रहने की बात मोदी कहते रहे हैं। अब 2021 के आम बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पीएम के 75 के लगाव को देखते हुए इस आयुवर्ग से अधिक के वरिष्ठ नागरिकों को रिटर्न भरने से छूट दे दी।


आजादी के 75 वें साल में देश नई ऊर्जा के साथ काम कर रहा है। वित्त मंत्री ने कहा हम अब 75 साल से ऊपर के सीनियर सिटीजंस पर और ज्यादा भार नहीं लादना चाहते। अब पेंशन आय वाले 75 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को कर रिटर्न भरने की जरूरत नहीं होगी। बैंक आयकर में से रिडेक्शन का काम कर लेगा।

टैक्स ऑडिट की सीमा को 5 करोड़ से बड़ाकर 10 करोड़ रुपये कर दिया गया है।


जहां इनकम में गड़बड़ी 50 लाख से अधिक की मिलती है, तब ही 10 साल पुराने असेसमेंट ओपन होंगे।


टैक्सपेयर के लिए हम रिफॉर्म्स की घोषणा करते हैं। इस साल करदाताओं की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी हुई है।


स्टार्ट अप में कैपिटल गैन में रिलीफ एक साल के लिए और बढ़ाई जाती है।


छोटे टैक्सपेयर तिमाही आधार पर रिटर्न दाखिल कर सकते हैं।


एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे टैक्स चोरी करने वालों की पहचान कर सकें।


पिछले महीनों में जीएसटी के तहत रिकॉर्ड राजस्व आया है।


साल 2020 में आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या साल 2014 के 3.31 करोड़ की तुलना में बढ़कर 6.48 करोड़ हो गई।


पिछले साल कस्टम ड्यूटी के स्ट्रक्चर में बदलाव करने की शुरुआत की थी। हमने आउटडेटेड 80 नियमों को हटा दिया था। 400 और पुरानी छूटों का अध्ययन करने का प्रस्ताव रखा गया है।


एक अक्टूबर 2021 से संशोधिक कस्टम ड्यूटी रीस्ट्रक्चर लाया जाएगा।


डिस्प्यूट रेजोल्यूशन कमेटी का गठन होगा। विवादों को खत्म करने के लिए कमेटी के गठन का प्रस्ताव है। भारत सरकार ने करदाता को विवाद खत्म करने का मौका दिया था। एक लाख से ज्यादा लोगों ने इसका फायदा उठाया है।


विवाद निपटान में फेसलेस प्रक्रिया अपनायी जाएगी। टेक्सेबल इनकम 50 लाख है और डिस्पोजेबल इनकम 10

लाख है, वो इस कमेटी के समक्ष आ सकेगा।


वित्त मंत्री एयरक्राफ्ट लीजिंग कंपनियों के लिए कर छूट का प्रस्ताव लेकर आयी हैं।


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प्रवासी श्रमिकों को अधिसूचित किफायती आवास के लिए टैक्स छूट।


किफायती आवास के लिए ब्याज के भुगतान पर 1.5 लाख रुपये की छूट को एक साल के लिए और बढ़ाया गया है।


वित्त मंत्री ने बजट में कहा कि डिविडेंड इनकम पर एडवांस टैक्स की देनदारी डिविडेंट के भुगतान के बाद ही बनेगी।


कपास और कच्चे रेशम पर सीमा शुल्क बढ़ा है।


विभिन्न ऑटो पार्ट्स, सोलर उपकरणों पर सीमा शुल्क बढ़ा है।


वित्त मंत्री ने कहा कि सोने और चांदी पर सीमा शुल्क को तर्कसंगत बनाया जा रहा है।


सरकार प्रत्यक्ष करों में 400 पुरानी छूटों की समीक्षा करेगी।


वित्त मंत्रालय ने पिछले बजट में सैलरी क्लास के लिए आयकर के दो विकल्प दिये थे। ये विकल्प वित्त वर्ष 2020-21 से प्रभावी हैं। करदाता अपना आयकर रिटर्न भरते समय इन दोनों मे से किसी एक विकल्प को चुन सकते हैं। इन दो विकल्पों में से एक विकल्प पुराना/मौजूदा टैक्स स्लैब है और दूसरा विकल्प है नया टैक्स स्लैब, जो बजट 2020 में लाया गया।


पिछले बजट से क्या बदला टैक्स स्लैब में


पिछले बजट में लाए गए नए टैक्स स्लैब में दरों के अलावा बड़ा फर्क यह है कि इसमें विभिन्न तरह की छूटों को खत्म कर दिया गया है। जबकि पुराने/मौजूदा टैक्स स्लैब में विभिन्न तरह की टैक्स छूट का लाभ मिल रहा है। साथ ही सभी मामलों में आयकर देनदारी के साथ 4 फीसद हेल्थ एंड एजुकेशन सेस लगता है। आइए इन दोनों टैक्स स्लैब के बारे में विस्तार से जानते हैं।


क्या था बजट 2020 में लाया गया नया टैक्स स्लैब


आम बजट 2020 में लाए गए टैक्स स्लैब में दरें तो कम हैं, लेकिन इसमें सेक्शन 80सी के तहत मिलने वाली व अन्य दूसरी कर छूटों को समाप्त कर दिया गया है। पिछले बजट में लाए गए टैक्स स्लैब में 2.5 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं है। 2.5 लाख से 3 लाख रुपये तक की आय पर 5 फीसद की दर से टैक्स है। साथ ही यू/एस 87ए के तहत 12,500 रुपये की कर छूट प्राप्त है।


तीन लाख से पांच लाख रुपये तक की आय पर भी पिछले वर्ग की तरह ही 5 फीसद की दर से टैक्स है और यू/एस 87ए के तहत 12,500 रुपये की कर छूट प्राप्त है। इस तरह इस टैक्स स्लैब में पांच लाख रुपये तक की आय तक 87ए के तहत कर छूट मिलने से कोई टैक्स देनदारी नहीं बनेगी।


इससे आगे 5 से 7.5 लाख रुपये की आय पर 10 फीसद की दर से टैक्स है। 7.5 से 10 लाख रुपये की आय पर 15 फीसद की दर से टैक्स है। 10 से 12.50 लाख रुपये की आय पर 20 फीसद की दर से टैक्स है। 12.5 लाख से 15 लाख रुपये की आय पर 25 फीसद की दर से टैक्स है। इसके बाद 15 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 फीसद की दर से टैक्स है।


पिछले बजट में लाया गए टैक्स स्लैब में आयकर दरें 60 साल की आयु तक के लोगों, 60 साल से 80 साल की आयु तक के सीनियर सिटीजंस और 80 साल की आयु से अधिक के सुपर सीनियर सिटीजंस के लिए एक समान है।


टीम स्टेट टुडे

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