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कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण से किसानों को खुशहाल बनाएगी Yogi Government

- रेडी टू ईट के बढ़ते चलन से प्रसंस्करण की संभावनाएं भी बढ़ीं


- लगातार बढ़ रहा कृषि निर्यात, फल-सब्जियों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा


- प्रसंस्करण के क्षेत्र में अबतक 50 हजार करोड़ रुपये का निवेश हो चुका है


- उत्तर प्रदेश आलू, गन्ना, गेहूं आम और कई सब्जियों के उत्पादन में देश में नंबर एक


- यूपी में खेतीबाड़ी से जुड़ी हर फसल का उत्पादन संभव बनाती है नौ तरह की कृषि जलवायु


- काला नमक धान, केला, गुड़, आंवला, आम, अमरूद आदि ओडीओपी में शामिल हैं


- उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए कॉमन फैसिलिटी सेंटर की स्थापना कर रही है योगी सरकार


लखनऊ। "रेडी टू ईट" का चलन बढ़ा है। इसके चलन के कारण कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण की संभावना भी बढ़ी है। डबल इंजन (मोदी और योगी) की सरकार प्रसंस्करण को बढ़ावा भी दे रही है। इसका कृषि प्रधान उत्तर प्रदेश को सर्वाधिक लाभ होगा। हो भी रहा है। एक आंकड़े के अनुसार देश के कृषि निर्यात में लगातार वृद्धि हो रही है। वर्ष 2019-2020 में यह 35 अरब डॉलर था। 2024-2025 में यह बढ़कर 51 अरब डॉलर तक पहुंच गया। इसमें सर्वाधिक हिस्सेदारी फलों और सब्जियों की है। इसे और बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने मुकम्मल रणनीति भी बनाई है। इस बाबत करीब दो दर्जन उत्पादों और उनके लिए सक्षम बाजारों को चुना गया है। निर्यात को सस्ता बनाने के लिए समुद्री मार्ग का सहारा लिया जाएगा।


क्यों यूपी को होगा सर्वाधिक लाभ

इस पूरी योजना का उत्तर प्रदेश को सर्वाधिक लाभ संभव है। क्योंकि उत्तर प्रदेश आलू, गन्ना, गेहूं आम और कई सब्जियों के उत्पादन में देश में नंबर एक है। यहां उत्पादन और बढ़ने की संभावना भी है। क्योंकि यहां मानव संसाधन के रूप में करीब 56 फीसद युवा हैं। कृषि भूमि का अधिकांश रकबा सिंचित है। नौ तरह की कृषि जलवायु (एग्रो क्लाइमेट जोन) यहां खेतीबाड़ी से जुड़ी हर फसल का उत्पादन संभव बनाती है। इसी आधार पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अक्सर कहा करते हैं कि उत्तर प्रदेश पर प्रकृति और परमात्मा की असीम अनुकंपा है। यूपी में भारत का फूड बास्केट बनने की संभावना है। परंपरा और आधुनिकता के संगम के जरिये उत्तर प्रदेश का कृषि उत्पादन चार गुना तक बढ़ सकता है। 2017 में योगी सरकार के आने के बाद और उनके द्वारा किसानों के हित में उठाए गए कदमों से यह लगातार बढ़ भी रहा है। साथ ही सूबे की प्रगति भी।


नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा था, विकसित भारत का ग्रोथ इंजन बन सकता है यूपी

कुछ महीने पहले प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आए नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने यूपी के आर्थिक प्रगति की तारीफ करने के साथ कुछ सलाह भी थी। उन्होंने कहा था, "उत्तर प्रदेश विकसित भारत का ग्रोथ इंजन बन सकता है।" उन्होंने एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) को और प्रभावी बनाने के लिए बाजार की मांग के अनुरूप अधिक मूल्य और गुणवत्ता के उत्पाद तैयार करने और जिलों को आर्थिक गतिविधियों का केंद्र बनाने की सलाह दी थी।


योगी सरकार द्वारा किए जा रहे कार्य

योगी सरकार पहले से ही इन चीजों पर अमल कर रही है। ओडीओपी के कई उत्पाद (काला नमक धान, केला, गुड़, आंवला, आम, अमरूद आदि) ओडीओपी में शामिल हैं। सरकार इन उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) की स्थापना कर रही है। डिस्ट्रिक एक्शन प्लान भी बन चुका है। फलों और सब्जियों का उत्पादन बढ़ाने के लिए हर जिले में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाए जा रहे हैं। इजराइल और डेनमार्क की मदद से खास औद्यानिक फसलों के लिए भी ऐसे सेंटर या तो बनाए जा चुके हैं या प्रस्तावित हैं। योगी सरकार की योजना एक हॉर्टिकल्चर यूनिवर्सिटी बनाने की भी है।


प्रसंस्करण की प्रगति

इन सबका नतीजा है कि खाद्यान्न उत्पादन के साथ इनके प्रसंस्करण की इकाइयां भी बढ़ रही हैं। इस संबंध में योगी सरकार का फोकस क्षेत्र के कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार समूह में उत्पादन का है। जैसे बुंदेलखंड में मूंगफली और दलहन की, लखनऊ से सटे आम पट्टी में आम, प्रतापगढ़ में आंवला, आगरा में आलू, और प्रयागराज में अमरूद के प्रसंस्करण की इकाइयां लग सकती हैं। प्रसंस्करण की इकाइयां लग भी रही हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ऐसी इकाइयों के लिए मिले 1188 आवेदनों में 328 मंजूर हो चुकी हैं। इतने को ही लेटर ऑफ कंफर्ट भी जारी हो चुक है। प्रसंस्करण के क्षेत्र में अब 50 हजार करोड़ रुपये का निवेश हो चुका है। इससे करीब 60 हजार लोगों को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से रोजगार मिला है। बेहतर कनेक्टिविटी के चलते फ्रेश के साथ रेडी टू ईट खाद्य पदार्थों की मांग भी बढ़ेगी। साथ ही निर्यात की संभावनाएं भी। इसका लाभ यहां के करीब 2.5 करोड़ किसान परिवारों को होगा। सरकारी मदद से स्थानीय स्तर पर ऐसी इकाइयां लगाकर युवा उद्यमी बनेंगे। उनको खुद को तो रोजगार मिलेगा ही औरों को भी रोजगार दे सकेंगे। युवा रोजगार सीकर न बनकर रोजगार क्रिएटर बनें यही योगी सरकार की मंशा भी है।

उत्तर प्रदेश आम महोत्सव- 2025


तमाम चुनौतियों के बावजूद तकनीक का उपयोग कर आम के बागवानों ने किया शानदार प्रदर्शन- सीएम योगी


- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में तीन दिवसीय 'उत्तर प्रदेश आम महोत्सव- 2025' का किया शुभारंभ


- महोत्सव में देशभर के बागानों से चुनकर लाए गए 800 से अधिक किस्मों के आमों की लगी प्रदर्शनी


- वैश्विक बाजार में उत्तर प्रदेश की शान बढ़ा रही हैं विभिन्न प्रकार के आमों की किस्में- सीएम योगी


- बागवानों के परिश्रम और उत्तर प्रदेश की कृषि प्रगति को वैश्विक मंच पर ले जाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है- मुख्यमंत्री


- आम उत्पादन को वैश्विक स्तर पर पहुंचाने के लिए लखनऊ, अमरोहा, सहारनपुर और वाराणसी में चार आधुनिक पैक हाउस स्थापित- सीएम योगी


- 9 जुलाई 2025 को ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत होगा 50 करोड़ पौधों का रोपण- मुख्यमंत्री


लखनऊ, 04 जुलाई। मुख्यमंत्री योगी ने लखनऊ के अवध शिल्प ग्राम, अवध विहार योजना, सेक्टर 9, में तीन दिवसीय ‘उत्तर प्रदेश आम महोत्सव 2025’ का शुभारंभ किया। इस महोत्सव में देशभर के बागानों से चुनकर लाए गए 800 से अधिक किस्मों के आमों की प्रदर्शनी ने सभी का ध्यान आकर्षित किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम योगी ने कहा कि हमारे बागवानों ने जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग की चुनौतियों के बावजूद तकनीक का उपयोग कर शानदार प्रदर्शन किया है। ढाई से तीन किलो के आमों की किस्में देखकर आश्चर्य होता है, जो न केवल स्वाद में बेजोड़ हैं, बल्कि वैश्विक बाजार में भी उत्तर प्रदेश की शान बढ़ा रहे हैं।”


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आम महोत्सव न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाने का माध्यम है, बल्कि प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत के विजन को साकार करने की दिशा में एक ठोस प्रयास है। उन्होंने कहा कि आम उत्पादन को वैश्विक स्तर पर पहुंचाने के लिए लखनऊ, अमरोहा, सहारनपुर और वाराणसी में चार आधुनिक पैक हाउस स्थापित किए गए हैं। इन पैक हाउसों के माध्यम से आम की गुणवत्ता, वैरायटी और एक्सपोर्ट के मानकों की जानकारी किसानों को दी जाती है। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि आम महोत्सव न केवल आम उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देता है, बल्कि बागवानों में औद्यानिक फसलों, आधुनिक तकनीक और वैश्विक बाजारों के प्रति विश्वास जगाने का भी माध्यम है।


वैश्विक बाजार में उत्तर प्रदेश के आमों की धमक

सीएम योगी ने जोर देकर कहा कि डबल इंजन सरकार की डबल इंजन नीति ने औद्यानिक फसलों के निर्यात को कई गुना बढ़ाया है। इस महोत्सव के दौरान दो देशों के लिए आमों का एयर कार्गो रवाना किया गया, जिसमें सरकार द्वारा दी गई सब्सिडी ने बागवानों को बेहतर दाम दिलाने में मदद की। मुख्यमंत्री ने महोत्सव में सभी स्टॉलों का निरीक्षण किया और लखनऊ की दशहरी, वाराणसी का लंगड़ा, गोरखपुर का गवर्जीत, बस्ती का आम्रपाली, मेरठ और बागपत का रटोल जैसी किस्मों की जानकारी ली। उन्होंने बागवानों के परिश्रम की सराहना करते हुए कहा कि उनकी मेहनत और तकनीकी नवाचार ने उत्तर प्रदेश को औद्यानिक फसलों का केंद्र बनाया है। योगी सरकार ने बागवानों को प्रोत्साहित करने के लिए सब्सिडी, प्रशिक्षण और बाजार की सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं, जिससे उनकी आय कई गुना बढ़ी है।


जहां पहले एक या दो फसलें होती थीं, वहां अब किसान तीन फसलें ले रहे हैं- मुख्यमंत्री

सीएम योगी ने बताया कि एक समय उत्तर प्रदेश की जीडीपी में कृषि और औद्यानिक फसलों का योगदान 25-30% था। आज सरकार की नीतियों ने इस क्षेत्र को और सशक्त किया है। अर्जुन सहायक, बांध सागर और सरयू नहर जैसी परियोजनाओं ने बुंदेलखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में जल की समस्या का समाधान किया है। परिणामस्वरूप, जहां पहले एक या दो फसलें होती थीं, वहां अब किसान तीन फसलें ले रहे हैं। उन्होंने हरदोई, कानपुर और औरैया के दौरे का जिक्र करते हुए कहा कि मक्का की खेती से किसान प्रति एकड़ 1 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा कमा रहे हैं।


सरकार ने कृषि में आधुनिक तकनीक को बढ़ावा दिया है- सीएम योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार ने कृषि विज्ञान केंद्रों और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना के माध्यम से आधुनिक तकनीक को बढ़ावा दिया है। गन्ना, मक्का और औद्यानिक फसलों में नए बीज और तकनीकों का उपयोग किसानों की आय को बढ़ा रहा है। सीएम ने बताया कि 2017 में जहां 5 करोड़ पौधों का रोपण एक चुनौती थी, वहीं अब 9 जुलाई 2025 को ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत 50 करोड़ पौधों का रोपण किया जाएगा। यह उत्तर प्रदेश की प्रगति और पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।


स्थानीय बागवानों को अपनी फसलों की प्रदर्शनी और बिक्री के लिए कमिश्नरी स्तर पर भी ऐसे आयोजन- योगी

महोत्सव में संगोष्ठियों, प्रगतिशील किसानों के अनुभव साझा करने और बायर्स-सेलर्स मीट का आयोजन किया जाएगा। सीएम योगी ने सुझाव दिया कि कमिश्नरी स्तर पर भी ऐसे आयोजन होने चाहिए, ताकि स्थानीय बागवान अपनी फसलों की प्रदर्शनी और बिक्री कर सकें। उन्होंने बागवानों से हल्दी, अदरक और अन्य औद्यानिक फसलों के साथ फूड प्रोसेसिंग को अपनाने का आह्वान किया, ताकि उनकी आय को और बढ़ाया जा सके। यह महोत्सव बागवानों, किसानों और उत्तर प्रदेश की प्रगति को वैश्विक मंच पर ले जाने का एक शानदार मंच साबित होगा।


सीएम योगी ने प्रगतिशील बागवानों और निर्यातकों को प्रशस्ति पत्र और एक पौधा देकर सम्मानित किया, साथ ही महोत्सव की स्मारिका का विमोचन भी किया। इस अवसर पर कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह, कृषि राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख, मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव बीएल मीणा सहित कई अधिकारी और जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।

यूपी में मक्का की उत्पादकता में वृद्धि और किसानों को जागरूक करने पर योगी सरकार का जोर


कृषि भवन में शुक्रवार (4 जुलाई) को बैठक में होगी चर्चा


भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान लुधियाना पंजाब और अंतरराष्ट्रीय मक्का एवं गेहूं सुधार केन्द्र मैक्सिको के वैज्ञानिक लेंगे हिस्सा


कृषि से जुड़े विश्वविद्यालय और विभागीय अधिकारी भी लेंगे हिस्सा


लखनऊ, 3 जुलाई: योगी सरकार मक्का किसानों के हित के लिए निरंतर कदम उठा रही है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था प्रमुखतया कृषि पर निर्भर है। दो तिहाई जनसंख्या की आय का साधन भी कृषि है। यूपी के किसानों की आय में वृद्धि के साथ ही अर्थव्यवस्था को समृद्ध करने के लिए ऐसी फसल का चुनाव उपयुक्त हो रहा है, जो किसानों के साथ-साथ उद्योग जगत को भी समृद्ध करे।

वर्तमान में मक्का की उपयोगिता खाद्यान्न, पशुचारा, पशु आहार के साथ ही अनुसंधान के परिणामस्वरूप ऊर्जा के उत्पादन में भी प्रयोग किया जाने लगा है। अब किसान अन्नदाता के साथ-साथ ऊर्जादाता भी बन गया है। प्रदेश में मक्का के उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि हेतु प्रजातियों के विकास, पैकेज आफ प्रैक्टिसेज का सुधार, उद्योग आधारित प्रसंस्करण एवं विपणन पर किसानों को जागरूक किया जाना जरूरी है। इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कृषि विभाग के तत्वाधान में कृषि भवन के प्रथम तल पर शुक्रवार (4 जुलाई) को अपराह्न 3 बजे बैठक का आयोजन किया गया है, जिसमें भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान लुधियाना पंजाब के 05 वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अंतरराष्ट्रीय मक्का एवं गेहूं सुधार केन्द्र (ICAR-IIMR & CIMMYT) मैक्सिको के वरिष्ठ वैज्ञानिक उपस्थित रहेंगे।


बैठक की अध्यक्षता प्रमुख सचिव (कृषि) करेंगे। इसमें चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर, आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कुमारगंज अयोध्या, सरदार बल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ, बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, बांदा के कुलपति एवं उनके निदेशक शोध, कृषि विभाग के सभी निदेशकगण एवं समस्त योजनाधिकारी प्रतिभाग करेंगे।


बैठक में मक्का से सम्बन्धित उत्पादन के प्रमुख निवेशों जैसे कम मूल्य पर गुणवत्ता युक्त बीज की उपलब्धता बनाये रखना, फसल उत्पादन की नवीन तकनीक, मक्का को उद्योग के रूप में विकसित करने हेतु आवष्यक कम लागत के मशीनों के माडल का बढ़ावा, उद्योगों से सम्बन्धित उत्पादन एजेंसियों की क्षमता संवर्द्धन तथा ऐथनाल आधारित उद्योगों के विकास पर विचार-विमर्श किया जायेगा।

इस प्रकार के रणनीतिक विचार-विमर्श से प्रदेश की मक्का की उत्पादकता देश के अन्य राज्यों के समान अग्रणी उत्पादक राज्य के रूप में विकसित होने की सम्भावना बढ़ेगी। साथ ही वन ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था की पूर्ति में सहायक होगी।


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किसानों में वितरित किया जाएगा संकर धान बीज

अपर कृषि निदेशक (चावल) द्वारा 4 जुलाई (शुक्रवार) को।दोपहर 12 बजे जनपद लखनऊ के विकासखण्ड मोहनलालगंज में समन्वित धान्य विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत लाभार्थी किसानों में संकर धान बीज का वितरण कराया जायेगा। इसके साथ ही चयनित ग्राम में बायर क्राप साइंस द्वारा धान की संकर प्रजाति की सीधी बुवाई का भी निरीक्षण किया जायेगा।


























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