लखनऊ, 3 जुलाई 2022 : उत्तर प्रदेश में लोकसभा के उप चुनाव में दो मजबूत गढ़ गंवाने के बाद समाजवादी पार्टी की अब ओवरहालिंग की जा रही है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष के पद को छोड़कर अन्य सभी संगठन को भंग कर दिया है। माना जा रहा है कि अब उत्तर प्रदेश के सभी संगठन का नए सिरे से गठन किया जाएगा।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के संगठन को लेकर बड़ा एक्शन लिया है। उन्होंने तत्काल प्रभाव से समाजवादी पार्टी प्रदेश अध्यक्ष को छोड़कर समाजवादी पार्टी के सभी युवा संगठनों, महिला सभा एवं अन्य सभी प्रकोष्ठों के राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष, सहित राष्ट्रीय, राज्य कार्यकारिणी को भंग कर दिया है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के संगठन में सिर्फ उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ही अब बचे हैं। अब प्रदेश संगठन का नए सिरे से गठन किया जाएगा।
इस बात की जानकारी खुद समाजवादी पार्टी की तरफ से ट्वीट कर दी गई है।हाल ही में रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे घोषित हुए। और दोनों ही सीटो पर सपा को हार का समना करना पड़ा। जहां आजमगढ़ सीट पर सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव को निरहुआ ने हाराया तो वहीं आजम खां के गढ़ रामपुर से सपा प्रत्याशी आसिम राजा को भी हार का मुंह देखना पड़ा। और उन्हें भाजपा प्रत्याशी घनश्याम लोधी ने 42,192 वोटों से मात दी। इसके बाद से ही पार्टी में उपचुनाव में मिली हार और लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी को लेकर मंथन जारी है।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसका तानाबाना अपने जन्मदिन यानी एक जुलाई से ही प्रारंभ कर दिया था। एक जुलाई को ही समाजवादी पार्टी की सभी जिला इकाइयों को भंग कर दिया गया था। 30 जून को ही लखनऊ के तीन हजार कार्यकर्ताओं की प्रारंभिक और सक्रिय सदस्यता समाप्त हो गई। पांच वर्ष के लिए बने इन प्रारंभिक और सक्रिय सदस्यों की सदस्यता की मियाद 30 जून को पूरी हो गई थी। समाजवादी पार्टी 16 जून से सदस्यता अभियान की शुरुआत करने की तैयारी में थी। माना जा रहा है कि अब नगर व जिला कमेटी को भंग करके नए सिरे से सदस्यता अभियान की शुरुआत होगी।
सपा ने जून 2017 में सदस्यता अभियान चलाया था। पार्टी के संविधान के अनुसार पार्टी में पहले प्रारंभिक सदस्यता लेना अनिवार्य होता है। इसके बाद यह प्रारंभिक सदस्य 20 रुपये की पर्ची काटकर 50 नए सदस्यों को अपने साथ जोड़ता है। तब जाकर प्रारंभिक सदस्य को सक्रिय सदस्य बनाया जाता है। तय समय से पहले नगर व जिला कार्यकारिणी को विधानसभा और वार्डवार सदस्यता अभियान चलाकर नए सिरे से सदस्यों को जोडऩा था।
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