लखनऊ, 26 अगस्त 2023 : प्रदेश सरकार शहरों के बेहतर प्रबंधन एवं विकास के लिए ट्रिपल सी माडल अपनाने जा रही है। ट्रिपल सी यानी 'कोलैब्रेशन', 'कोआर्डिनेशन' एवं ''कोआपरेशन'। इसके लिए नगर विकास विभाग ने 14 अलग-अलग कार्यक्षेत्र की संस्थाओं को नालेज पार्टनर के रूप में शामिल किया है। इनके साथ विभाग एमओयू कर रहा है। यह संस्थाएं नगर विकास विभाग के अमृत मिशन, स्वच्छ भारत मिशन, स्मार्ट सिटी मिशन आदि के साथ काम करेंगी।
नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने बताया कि शहरों में कूड़ा प्रबंधन एक बड़ी चुनौती है। शहरों को कूड़ा मुक्त करने के लिए नगर विकास विभाग ने 'जीआइजेड' नालेज पार्टनर बनाया है। ये कंपनी स्वच्छ भारत मिशन के तहत कूड़ा प्रबंधन को लेकर लोगों को जागरूक करने के साथ बेहतर कचरा प्रबंधन की सफल स्टोरीज को लोगों को सामने लाएगी। कूड़ा प्रबंधन से जुड़े कर्मचारियों का बेहतर ढंग से प्रशिक्षण, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन और अन्य अपशिष्ट प्रबंधन पर राज्य स्तरीय दिशा-निर्देश तैयार करने आदि का कार्य करेगी।
मधुमिता शुक्ला के भाई का भी दर्द झलका है, उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के पहले रातों रात उन्हें क्यों रिहा किया जा रहा है. इस मामले में उन्होंने राज्यपाल को पत्र को लिखने की भी बात कही है. उनके मुताबिक यदि अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी बाहर आ जाती हैं तो मधुमिता की बहन राजभवन के सामने जीवन समाप्त कर लेगी।
आइटीसी संस्था, कूड़ा प्रबंधन में नगरीय निकायों को शामिल कर उनकी भागीदारी को सुनिश्चित करेगी। निकायों के अधिकारियों, कर्मचारियों, स्वच्छ भारत मिशन निदेशालय, स्वच्छ भारत मिशन समन्वयकों और सलाहकारों व मोहल्ला समितियों को शामिल कर कूड़ा प्रबंधन में जनभागीदारी को बढ़ाने का कार्य करेगी। प्रमुख सचिव ने बताया कि नगरों में स्वच्छ जल एवं पर्यावरण के लिए जिम्मेदारों की जवाबदेही तय होगी।
नगर विकास विभाग ने इसके लिए सीएसई संस्था को नालेज पार्टनर के रूप में शामिल किया है। नदी जल गुणवत्ता निगरानी, भूजल गुणवत्ता परीक्षण, सीवेज उपचार संयंत्रों की निगरानी सहित अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं की क्षमता बढ़ाने में मदद करेगी। शहरों में प्रशासनिक स्तर पर विषयों की निगरानी के लिर रीजनल सेंटर फार अर्बन एंड एनवायरमेंटल स्टडीज (आरसीयूईएस) संस्था के साथ एमओयू किया है।
स्थानीय योजना, डिजाइन, खरीद व प्रबंधन सहित परियोजनाओं की क्षमता वृद्धि बढ़ाने में अपनी भूमिका निभाएगी। इसके अलावा आल इंडिया इस्टीट्यूट आफ लोकल सेल्फ गवर्मेंट (एआइआइएलएसजी), प्रजा, जनाग्रह, टेरी, सीईईडब्ल्यू, एपीएजी, एनआइयूए-एसयूडीएम, सीआइपीएससी संस्था के साथ भी एमओयू किया जा रहा है। सीआइपीएससी संस्था आर्टिफिशियल इंटलीजेंस के माध्यम से सफाई में मदद करेगी। रोबोटिक तकनीक के जरिए प्लास्टिक कचरे का भी पता कर लेगी।
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