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Virendra Akhara: भारत के भावी पहलवानों की नर्सरी - एनडीएमसी उपाध्यक्ष कुलजीत चहल ने झज्जर के वीरेंद्र अखाड़े में भरा जोश

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'विकसित भारत' और खेल सशक्तिकरण के विजन को आगे बढ़ाते हुए, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (NDMC) के उपाध्यक्ष कुलजीत सिंह चहल ने हरियाणा के झज्जर जिले के छारा गाँव स्थित प्रसिद्ध 'वीरेंद्र अखाड़े'* का दौरा किया। कुश्ती की दुनिया में एक प्रतिष्ठित नाम, यह अखाड़ा भारत के भावी पहलवानों की नर्सरी माना जाता है, जहाँ से निकलकर खिलाड़ी वैश्विक मंच पर देश का तिरंगा लहराते हैं।


*युवाओं के पसीने और अनुशासन को नमन*

अखाड़े में अभ्यास की गूँज और मिट्टी की सौंधी महक के बीच, कुलजीत चहल ने मुख्य कोच और अर्जुन अवार्डी वीरेंद्र दहिया तथा दुष्यंत लाठर के साथ प्रशिक्षण सत्रों का जायजा लिया। उन्होंने वहाँ मौजूद युवा पहलवानों से बात की और उनकी कड़ी तपस्या, रबर जैसी लचीली फुर्ती और अंतरराष्ट्रीय स्तर की तैयारियों को करीब से देखा।


खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए चहल ने कहा, "भारत की खेल प्रगति हमारे युवाओं की अदम्य ऊर्जा और प्रतिभा को निखारने के लिए सरकार के अटूट संकल्प से प्रेरित है।" उन्होंने जोर देकर कहा कि कुश्ती जैसा खेल न केवल शरीर को मजबूत बनाता है, बल्कि एक ऐसा चरित्र भी गढ़ता है जो जीवन की हर चुनौती का सामना कर सके।

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*सफलता का मंत्र: नशा मुक्त जीवन और अनुशासन*

युवाओं के साथ संवाद करते हुए चहल ने उन्हें एक गुरु की तरह सलाह दी। उन्होंने कहा, "बड़ा सपना देखो, उससे भी ज्यादा कड़ी मेहनत करो और समर्पण को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाओ।"


उन्होंने खिलाड़ियों को आगाह किया कि वे नशे जैसी सामाजिक बुराइयों से दूर रहें और अपने जीवन में अनुशासन को सर्वोच्च प्राथमिकता दें। साथ ही, उन्होंने यह भी समझाया कि खेल के साथ-साथ शिक्षा का दामन थामे रखना भी उतना ही जरूरी है, क्योंकि एक चैंपियन का दिमाग उसकी पकड़ (Grip) जितना ही मजबूत होना चाहिए।


*मोदी सरकार की पहल: गाँव से पोडियम तक का सफर*

इस दौरे का एक प्रमुख आकर्षण सरकार की खेल नीतियों पर चर्चा थी। कुलजीत चहल ने *'फिट इंडिया मूवमेंट'* और *'खेलो इंडिया'* जैसी योजनाओं का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि कैसे ये पहल देश के कोने-कोने से छिपी हुई प्रतिभाओं को खोज रही हैं और उन्हें विश्व स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर, एक्सपर्ट कोचिंग और आर्थिक सहायता प्रदान कर रही हैं।


उन्होंने कहा, "ये योजनाएं केवल सरकारी नीतियां नहीं हैं, बल्कि ये गाँवों के सपनों को ओलंपिक पोडियम की हकीकत में बदलने की जीवन रेखाएं हैं।"


*हरियाणा: पदकों की खान*

हरियाणा की समृद्ध खेल विरासत की सराहना करते हुए, चहल ने कहा कि वीरेंद्र अखाड़े जैसे संस्थान इस परंपरा का दिल हैं। उन्होंने याद दिलाया कि इसी मिट्टी से निकले पहलवानों ने एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ और ओलंपिक में पदक जीतकर भारत का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा है।


कार्यक्रम के अंत में, चहल ने अखाड़े के कोचों और स्टाफ के समर्पण के लिए उनका आभार व्यक्त किया और वादा किया कि वे अखाड़े के सुधार और संसाधनों से जुड़े सुझावों को सीधे सरकार तक पहुँचाएंगे ताकि त्वरित कार्रवाई हो सके।


इस दौरे ने वहां मौजूद प्रशिक्षुओं (trainees) में एक नई ऊर्जा का संचार किया। एक युवा पहलवान ने उत्साह के साथ कहा, "सर का यहाँ आना हमारे लिए सिर्फ एक मुलाकात नहीं, बल्कि हमारे हौसलों के लिए ईंधन का काम करेगा।"


यह दौरा इस बात का प्रमाण है कि मोदी सरकार के खाके में हरियाणा के अखाड़े अब केवल परंपरा के

प्रतीक नहीं, बल्कि भारत को एक 'स्पोर्टिंग सुपरपावर' बनाने के लॉन्चपैड हैं।

◆-अविनाश कुमार पांडे

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