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जब राजभवन के सामने पुलिस की मौजूदगी में हो गई थी सपा विधायक की हत्या


लखनऊ, 27 फरवरी 2023 : उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव कुछ समय पहले ही संपन्न हुए थे। हालांकि किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला। राष्ट्रपति शासन लगा था। समाजवादी पार्टी ने सुबह सभी विधायकों, सांसदों और पदाधिकारियों को पार्टी कार्यालय पहुंचने के लिए कहा। तय हुआ कि राजभवन गेट पर प्रदर्शन होगा और राज्यपाल को ज्ञापन दिया जाएगा।

लखनऊ पुलिस ने जगह-जगह बैरीकेडिंग लगा दी। पुलिस विक्रमादित्य मार्ग पर ही सपा नेताओं को रोककर ज्ञापन लेना चाहती थी। हालांकि ऐसा संभव न हो सका और सपा नेता राजभवन के गेट नंबर दो के बाहर धरने पर बैठ गए।

सपा नेता तत्कालीन राज्यपाल विष्णुकांत शास्त्री को ज्ञापन देना चाहते थे। बड़ी संख्या में पुलिस, पीएसी और आरएएफ के जवान वहां मुस्तैद कर दिए गए। तत्कालीन एएसपी सिटी राजेश पांडेय समेत अन्य अधिकारियों ने भी मोर्चा संभाला। पुलिस अफसर आगे की रणनीति तय कर रहे थे। इसी बीच राजभवन के गेट नंबर तीन के पास तेज आवाज हुई। पहले लगा कि किसी साइकिल अथवा बाइक का टायर फटा है। हालांकि धुआं उठता देख पुलिस अफसर हरकत में आए। तत्कालीन एएसपी सिटी राजेश पांडेय बताते हैं कि वह अधिकारियों के साथ वहां पहुंचे तो सफेद कुर्ता पैजामा पहने एक व्यक्ति औंधे मुंह पड़े थे और उनकी पीठ से खून बह रहा था। करीब से देखा गया तो उन्हें गोली मारे जाने की जानकारी हुई। पुलिस अफसर कुछ समझ पाते कि थोड़ी दूरी पर एक युवक भागता हुआ दिखा।

युवक को पकड़ने के लिए घेराबंदी की गई और पुलिस को सफलता भी मिली। युवक के हाथ में एक बैग था, जिसमें तमंचा रखा था। बैग में छेद था, जिससे पता चला कि उसके भीतर से ही गोली चलाई गई थी। थोड़ी देर में जिन्हें गोली लगी थी उनकी पहचान विधायक मंजूर अहमद के रूप में हुई। सपा नेता इस घटना से नाराज हो गए और पुलिस हिरासत से युवक को छीनकर उसकी पिटाई करने की कोशिश की। काफी जद्दोजहद के बाद किसी तरह युवक को बचाया गया और पुलिस उसे लेकर हजरतगंज कोतवाली गई। उधर, सिविल अस्पताल में चिकित्सकों ने विधायक को मृत घोषित कर दिया।

साथियों की हनक देख बन गया सनकी

हिरासत में लिए गए युवक से पूछताछ हुई तो उसने अपना नाम अभिषेक भारद्वाज बताया, जो जौनपुर का रहने वाला था। अभिषेक ने बताया कि उसने बाहुबली विधायक धनंजय सिंह व अभय सिंह के साथ पढ़ाई की है। पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी की तलाश कर रहा था, पर उसे सफलता नहीं मिल रही थी। इस बीच उसके दोनों सहपाठियों की हनक बढ़ती गई और वह उन्हें देखकर परेशान होता गया।

आरोपित ने शार्टकट अपनाकर किसी बड़े नेता की हत्या की साजिश रची। इसके लिए उसने जौनपुर से ढाई हजार रुपये में तमंचा खरीदा था। अभिषेक रेकी करने लगा। विधान सभा चुनाव की मतगणना के दौरान भी उसने एक बड़े नेता को मारने का प्रयास किया था, लेकिन असफल रहा।

रेडियो पर सुना और पहुंच गया राजभवन

अभिषेक ने बताया कि उसने रेडियो पर सुना था कि सपा नेता राजभवन पर धरना देंगे। इसके बाद वह वहां पहुंचा था। कुछ लोगों से उसने धरने में मौजूद नेताओं के बारे में जानकारी ली, लेकिन वह उन तक पहुंच नहीं सका। इस बीच गेट नंबर तीन के पास लगे पानी के टैंकर के पास वह काफी देर तक खड़ा रहा। तभी विधायक मंजूर अहमद वहां पानी पीने पहुंच गए। अभिषेक ने उनसे उनका परिचय पूछा तो उन्होंने बताया कि वे दूसरी बार विधायक चुन कर आए हैं। बस, फिर क्या था। अपराध जगत में पैठ जमाने की कुत्सित मंशा से उसने बैग के भीतर से ही विधायक को गोली मार दी थी। छानबीन में पता चला कि विधायक ने अपने गनर को उपन्यास लेने के लिए अमीनाबाद भेज दिया था।

भाग निकले थे सुरक्षाकर्मी

गोली की आवाज सुनते ही वहां मौजूद विधायक व सांसदों के गनर भाग निकले थे। पीएसी के जवान भी पीडब्ल्यूडी के दफ्तर की ओर भाग गए। पूछताछ में किसी ने घटना के समय वहां मौजूद होने की बात नहीं कही। विधायक के परिवारजन ने सीबीआइ जांच की मांग की। हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ ने जांच की और यह पाया कि अभिषेक ने सनक में बड़ी घटना की थी।

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