लखनऊ, 14 मार्च 2022 : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की वापसी हो चुकी है। सूबे में भाजपा को पूर्ण बहुमत हासिल हुआ है। योगी आदित्यनाथ बतौर मुख्यमंत्री दूसरी पारी की शुरुआत करेंगे। इस बार का विधानसभा चुनाव कई मायने में बेहद खास रहा है। इस चुनाव में कई रिकार्ड टूटे हैं। चुनाव में कई अंधविश्वास और मिथक भी टूटे हैं। यहां एक सवाल बेहद अहम है कि योगी आदित्यनाथ की बतौर सीएम दूसरी पारी कैसी रहेगी। 2024 में आम चुनाव के मद्देनजर इस बार योगी की दूसरी पारी इतनी आसान नहीं होगी। उनके समक्ष कई चुनौतियां रहेंगी। आइए जानते हैं उन चुनौतियों के बारे में जो योगी के समक्ष आएंगी
1-आवारा पशुओं से निपटना बड़ी चुनौती
यूपी विधानसभा चुनाव में विपक्ष ने आवारा पशुओं के मुद्दे को जोरशोर से उठाया था। यह मुद्दा किसानों से जुड़ा हुआ है। योगी सरकार को घेरने के लिए आवारा सांड को चुनावी मुद्दा बनाया गया। सूबे में आवारा पशु किसानों के लिए एक बड़ी समस्या है। इस समस्या को योगी सरकार नजरअंदाज नहीं कर सकती है। यूपी में आवारा पशु किसानों को दोतरफा नुकसान पहुंचाते हैं। आवारा पशु खेतों में फसलों को तबाह करते हैं, वहीं दूसरा नुकसान आर्थिक और सुरक्षा के दृष्टिकोण से है। इन आवारा पशुओं से बचाने के लिए किसान को खेतों की तारबंदी करानी पड़ती है। योगी सरकार को इस समस्या पर गंभीरता से विचार करना होगा। ऐसे में योगी के सामने अपने अगले कार्यकाल में इस समस्या से निपटने की चुनौती होगी।
2- रोजगार पैदा करना होगी बड़ी चुनौती
चुनाव के दौरान विपक्ष ने युवा मतदाताओं को लुभाने के लिए बेरोजगारी के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था। विपक्ष का दावा था कि उत्तर प्रदेश का रोजगार दर पिछले पांच वर्षों में नीचे की ओर गई है। योगी के समक्ष दूसरी पारी में उत्तर प्रदेश में रोजगार पैदा करना एक बड़ी चुनौती होगी। सरकारी नौकरी के साथ-साथ कोरोना काल में लोगों के लिए नए मौके और रोजगार के अवसर पैदा करना योगी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा। सेंटर फार मानिटरिंग इंडियन इकानामी (CMIE) के बेरोजगारी के आंकड़ों का विश्लेषण करने से ऐसा सामने आया कि पांच वर्षों में बेरोजगारों की तादाद में इजाफा हुआ है। इस रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में रहने वाले उन लोगों की तादाद में 14 फीसद का इजाफा हुआ है, जिन्हें रोजगार की चाहत है। विपक्ष का दावा था कि यूपी में रोजगार दर पिछले पांच वर्षों में तेजी से गिरी है।
3- किसान विरोधी सरकार का लेबल हटाना बड़ी चुनौती
युपी विधानसभा चुनाव में किसान आंदोलन एक बड़ा मुद्दा बना। चुनाव के ठीक पहले मोदी सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया था। ऐसे में विपक्ष ने भाजपा को किसान विरोधी सरकार बताने का पूरा प्रयास किया। हालांकि, किसान आंदोलन के बाद भी उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को लोगों ने सबसे ज्यादा पसंद किया। ऐसे में सूबे में किसानों के मुद्दों का समाधान करना बेहद जरूरी होगा। खासकर गन्ना किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता से निस्तारण करना होगा। उत्तर प्रदेश में किसानों के लिए बिजली और पानी का मुद्दा भी बड़ा होगा।
4- अपराधियों पर कार्रवाई कर सख्त छवि को बनाए रखना
बीते कुछ वक्त से उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहचान 'बुलडोजर बाबा' के तौर पर की जाने लगी है। योगी राज पार्ट-एक में गुंडों और माफियाओं के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई हुई थी। अतीक अहमद से लेकर आजम खान तक सभी के खिलाफ जोरदार कार्रवाई हुई है। मुख्तार अंसारी के जेहन में तो योगी सरकार का इस कदर खौफ दिखा कि वो उत्तर प्रदेश छोड़कर पंजाब की जेल में शिफ्ट हो गया। मुख्तार को यूपी वापस लाने के लिए यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट के चौखट तक जाना पड़ा था। योगी राज-2 में कानून व्यवस्था को टाइट रखना बड़ी चुनौती है। योगी को अपनी सख्त छवि को आगे भी बनाए रखना होगा।
5- 2024 के आम चुनाव तक भाजपा के ग्राफ को ऊपर ले जाना
देश में सत्ता की चाबी यूपी के पास होगी है। केंद्र का रास्ता यूपी से होकर ही जाता है। वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में हर कोई ये बात बखूबी जानता है कि सारा दारोमदार यूपी पर टिका है। यूपी में जिस पार्टी का जादू चलता है वही सत्ता के सिंहासन तक पहुंचता है। इसलिए योगी के लिए आगामी दो वर्ष बेहद खास होगा। उत्तर प्रदेश में भाजपा के ग्राफ को ऊपर ले जाना उनके लिए एक बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि 2024 के आम चुनाव में पार्टी की इस सूबे से बड़ी उम्मीदें होंगी।
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