ग्वालियर, 17 सितंबर 2022 : देश ने हालही में आजादीके 75 साल पूरेहोने पर अमृतमहोत्सव मनाया। इसके ठीकएक महीने बादप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 75 साल बाद चीतावापसी के जरिएदेशवासियों को गौरवान्वितकरने का एकऔर मौका दियाहै। प्रधानमंत्री शनिवारको अपने 72वेंजन्मदिन के मौकेपर देश केबीचों-बीच स्थितकूनो नेशनल पार्कमें नामीबिया सेलाए जा रहेचीतों को छोड़ेंगे।
ग्वालियर चंबल अंचलके लिए यहएक बड़ी सौगातहै और यहांके लोग प्रधानमंत्रीके आभारी हैकि उन्होंने इसकेलिए इस स्थान कोचुना। क्योंकि आजभी यह पूराइलाका ऊबड़-खाबड़और डकैतों केनाम से जानाजाता है। चीतेन केवल इसक्षेत्र की पहचानबदल देंगे बल्किआदिवासी बहुल श्योपुरक्षेत्र में रोजगारऔर पर्यटन उद्योगको नई ऊंचाइयांदेंगे।
कैसे हुईचीता शब्दकी उत्पत्ति
चीतों की उत्पत्तिको लेकर विशेषज्ञोंकी अलग-अलगराय है, लेकिनचीता शब्द संस्कृतशब्द चित्रक सेआया है, जिसकामतलब होता हैचित्तीदार। भोपाल और गांधीनगरमें नवपाषाणकालीन गुफाचित्रों में भीचीते देखे जातेहैं। द एंडऑफ ए ट्रेजडीचीता इन इंडियाके अनुसार, बॉम्बेनेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) के पूर्व उपाध्यक्षदिव्य भानु सिंहद्वारा लिखित एक पुस्तक, मुगल सम्राट अकबर, जिन्होंने 1556 से 1605 तक शासनकिया था, केपास 1,000 चीते थे।
इनका उपयोगकाले हिरण औरचिंकारा के शिकारके लिए कियाजाता था। 20वींशताब्दी की शुरुआततक, भारतीय चीतोंकी आबादी सैकड़ोंतक गिर गईथी। 1918 और 1945 के बीचलगभग 200 चीतों का आयातकिया गया था।भारत में चीतोंको आखिरी बार 1947 में देखा गयाथा। देश तबसे उनके वापसआने का इंतजारकर रहा था।
मानव परहमले का अबतक कोई प्रमाणनहीं
यह बिल्लीपरिवार का एकमात्रसदस्य है जोमनुष्यों के लिएघातक नहीं है।जानकारों के मुताबिकअब तक इंसानोंपर चीते केहमले का एकभी मामला सामनेनहीं आया है।यही कारण हैकि ईरान कीखाड़ी देश मेंइसे पालतू जानवरके रूप मेंदेखा जाता है। इन चीतोंके आने सेदेश में बिल्लीप्रजाति के सभीपांच सदस्य भारतमें होंगे। इससेपहले गुजरात एशियाईशेर और मध्यप्रदेश बाघों के लिएजाना जाता था।देश में क्लाउडेडतेंदुआ और बर्फीलेक्षेत्र में पायाजाने वाला तेंदुआपाया जाता है।
पर्यटन को मिलेगाबढ़ावा
कुनो नेशनलपार्क में तेंदुओंके आने केबाद श्योपुर, शिवपुरी और राजस्थानमें रणथंभौर केरूप में नयाटूरिस्ट सर्किट बनकर तैयारहो जाएगा। पर्यटकोंको 253 किमी. सर्किट मेंचीते और बाघनजर आएंगे, जोपर्यटन उद्योग को नईऊंचाइयां देंगे।
चीतों से जुड़ेकुछ तथ्य
दुनिया में 7,100 चीतोंका अनुमान है
एक स्वस्थचीता 120 किमी प्रतिघंटे की रफ्तारसे दौड़ सकताहै
1952 में भारतमें चीतों कोविलुप्त घोषित किया गयाथा
देश में 12,852 तेंदुए हैं जोबिग कैट फैमिलीकी प्रजातियों मेंसबसे ज्यादा हैं।
1972 में, देशमें चीतों कोफिर से बसानेके लिए पहलावन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम बनायागया था।
1985 में, भारतके वन्यजीवों द्वाराईरान से चीतोंको लाने कीकवायद की गई, लेकिन यह परियोजनाठंडे बस्ते मेंचली गई।
चीता परियोजनाको 2008 में पुर्नोत्थानकिया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्टमें चुनौती दीगई थी
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