बिहार, 23 नवंबर 2022 : शिवसेना (उद्धव-बाल ठाकरे) की युवा शाखा के अध्यक्ष आदित्य ठाकरे बुधवार को पटना आए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से शिष्टाचार मुलाकात की। यह संदेश भी दे गए कि आने वाले दिनों में भाजपा के विरोध में होने वाली गोलबंदी में उनकी पार्टी शामिल होगी। उनकी यात्रा महाराष्ट्र में रह रहे बिहारियों के स्वजनों को कुछ भूली बिसरी बातें भी याद दिला गईं। इनमें शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के ऐसे कठोर और अपमान करने वाले वचन हैं, जिन्हें सुनकर बिहार के किसी आदमी का सिर शर्म से झुक सकता है। इसका अंदाजा आदित्य को भी हुआ। उन्होंने बिहारियों को सम्मान देने की बात कही और हमले के लिए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता राज ठाकरे को जिम्मवार ठहरा दिया।
एक बिहारी, सौ बीमारी का नारा
बिहार और यूपी के लोगों के प्रति शिवसेना का रुख कभी अच्छा नहीं रहा। 2008 में तो इन दोनों राज्यों के लोगों पर मुंबई में सुनियोजित हमले हुए। पांच मार्च 2008 को शिवसेना के मुखपत्र सामना में बाल ठाकरे ने संपादकीय लिखकर बिहार-यूपी के लोगों को अवांछित करार दिया। बाल ठाकरे इन दोनों राज्यों के लोगों को घुसपैठिये कहते थे। एक बिहारी, सौ बीमारी का नारा भी उन्हीं दिनों का है। बिहार के लोगों को गोबर का कीड़ा भी उन्हीं दिनों कहा गया था। उन्होंने राज्य के बाहर के लोगों के लिए परमिट सिस्टम लागू करने की मांग की थी। मुंबई में इन दोनों राज्यों के लोगों पर जब कभी हमले हुए, लालू प्रसाद और नीतीश कुमार ने जमकर विरोध किया। मार्च 2019 में जब महाराष्ट्र में शिवसेना भाजपा से अलग हुई थी, नीतीश उस समय एनडीए में थे। अलगाव पर उनकी प्रतिक्रिया थी-वे (शिवसेना-भाजपा) जानें। हम कुछ नहीं कह सकते। हालांकि, इस साल नीतीश भाजपा से अलग हुए तो शिवसेना (उद्धव-बाल ठाकरे) गुट ने उनके प्रति सहानूभूति दिखाई।
कभी लालू-नीतीश ने किया था विरोध
2008 में लालू प्रसाद यूपीए सरकार में रेल मंत्री थे। उन्होंने मनसे के साथ शिवसेना पर भी क्षेत्रवाद का जहर फैलाने का आरोप लगाया था। उन्होंने हमले के खिलाफ बिहार के सांसदों से त्याग पत्र की भी अपील की थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी जबरदस्त प्रतिकार किया था। नीतीश ने हमले रोकने के लिए केंद्र सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की थी।
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