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फांसी के फंदे पर लटकेगा आतंकी आरिज खान, अदालत ने माना रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस



बाटला हाउस एनकाउंटर केस में दिल्ली की साकेत कोर्ट का फैसला आ गया। इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकी आरिज खान को अदालत ने मौत की सजा सुनाई है साथ ही 11 लाख रुपए का जुर्माना भी ठोंका है। कोर्ट ने माना कि ये रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस है।


13 साल पहले वर्ष 2008 के बाटला हाउस मुठभेड़ में दोषी आरिज को अदालत ने समाज के लिए खतरा माना। आंतकी आरिज पर सभी सजाएं एक के बाद एक चलेंगी। आरिज के नाम पर कोई संपत्ति नहीं थी इसलिए उस पर सिर्फ 11 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। एडिशनल सेशन जज संदीप यादव ने बाटला हाउस मुठभेड़ मामले में दोषी आरिज खान को ये सजा सुनाई है।


कोर्ट ने आरिज खान को आर्म्स एक्ट और भारतीय दंड संहिता की धारा 302, 307 के तहत दोषी करार दिया है। कोर्ट ने मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की हत्या के साथ ही आपराधिक साजिश, सरकारी कर्मचारी के कामकाज में बाधा पहुंचाने, उस पर जानलेवा हमला करने, हत्या करने के मामले में सजा सुनाई है। 2008 में हुए बाटला हाउस एनकाउंटर केस के बाद से ही आरिज फरार था और 2018 में

नेपाल से गिरफ्तार किया गया।


दिल्ली पुलिस ने की मौत की थी सजा की मांग


दिल्ली पुलिस ने अदालत से आरिज खान को फांसी की सजा दिए जाने का मांग की थी। दिल्ली पुलिस का पक्ष रख रहे सीनियर पब्लिक प्रॉसिक्यूटर एटी अंसारी ने कहा था कि कानून का अनुपालन करवाने वाले अधिकारी जो न्याय का संरक्षक था, उनकी हत्या की गई है। वो अपनी ड्यूटी पर थे। इसलिए मामले में कड़ा कदम उठाने की दरकार है।



सिलसिलेवार बम धमाकों के बाद पुलिस ने चलाया था सर्च ऑपरेशन


13 सितंबर 2008 को करोल बाग, कनॉट प्लेस, इंडिया गेट व ग्रेटर कैलाश में सीरियल बम धमाके हुए थे जिनमें 26 लोग मारे गए थे, जबकि 133 घायल हुए थे। दिल्ली पुलिस ने जांच में पाया था कि बम ब्लास्ट को आतंकी गुट आईएम ने अंजाम दिया है। इसमें लीड मिली गुजरात में हुए ब्लास्ट से। गुजरात में 26 जुलाई 2008 को ब्लास्ट हुआ था। गुजरात पुलिस ने जांच की और उससे जो लीड मिली वे उन्होंने इंटेलिजेंस एजेंसियों के अलावा सभी राज्यों की पुलिस से भी शेयर की थी। जानकारी दिल्ली पुलिस से भी शेयर की गई थी। जब उन लीड्स को डिवेलप किया गया तो उसी के आधार पर बटला हाउस में सर्च ऑपरेशन अंजाम दिया गया था।


आरिज ने ही ग्रेटर कैलाश में रखा था बम


दिल्ली में हुए सीरियल ब्लास्ट में आरिज खान ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ग्रेटर कैलाश के एम ब्लाक मार्केट स्थित पार्क में आरिज ने ही बम रखा था। कर्नाटक के उडुपी से विस्फोटक लेकर आए थे आतंकीआइएम के आतंकी मोहम्मद सैफ व खालिद उर्फ कोडी कर्नाटक के उडुपी से विस्फोटक लेकर दिल्ली आए थे। दिल्ली में उन्हें आरिज ने आतिफ अमीन के साथ रिसीव किया था। आरिज व साजिद ने लाजपत राय मार्केट समेत विभिन्न बाजारों से विस्फोटक सामान खरीदा था। जुनैद का नाम पहली बार तब सामने आया जब बटला हाउस एनकाउंटर में पकड़े गए आतंकी मोहम्मद सैफ और शहजाद अहमद से पूछताछ हुई थी। दिल्ली में हुए विस्फोटों के आरोप में पुलिस ने कुल 14 लोग गिरफ्तार किए थे। ये गिरफ्तारियां दिल्ली और उत्तर प्रदेश से की गई थीं। आरिज घटना के 10 साल तक फरार रहा और उसे 14 फरवरी, 2018 को गिरफ्तार किया जा सका।


तुष्टीकरण की राजनीति


बाटला हाउस एनकाउंटर पर कांग्रेस नेताओं ने मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति का खुला खेल खेला था। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने एनकाउंटर को फर्जी बताकर सवाल उठाए थे। कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने तो यहां तक दावा कर दिया था कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी एनकाउंटर में मारे गए मुस्लिम लड़कों की तस्वीरें देखकर रो पड़ी थीं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि बाटला हाउस एनकाउंटर सही निकला तो वो राजनीति छोड़ देंगी। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी जैसे कई राजनीतिक संगठनों ने बाटला हाउस में काफी समय तक प्रदर्शन करने के अलावा संसद में भी मुठभेड़ की न्यायिक जांच करने की मांग उठाई थी।



क्या हुआ था जामिया नगर के बाटला हाउस में


स्पेशल सेल ने तेजी से जांच करते हुए यह पता लगा लिया था कि इंडियन मुजाहिदीन के जिन आतंकियों ने घटना को अंजाम दिया है वे सभी बाटला हाउस के एल-18 स्थित फ्लैट नंबर 108 में ठहरे हुए हैं। जांबाज इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की टीम ने जब 19 सितंबर की सुबह सादे कपड़ों में सेल्समैन बनकर आतंकियों को दबोचने फ्लैट पर पहुंचे तो दरवाजा खटखटाते ही आतंकियों ने अंदर से पुलिसकर्मियों पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं । मुठभेड़ में दो आतंकी आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद मारे गए, जबकि दो अन्य मोहम्मद सैफ और आरिज खान भागने में सफल हो गए थे। एक आतंकी जीशान को सेल ने दबोच लिया था। मुठभेड़ का नेतृत्व कर रहे एनकाउंटर विशेषज्ञ दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा गोली लगने से शहीद हो गए थे। मुठभेड़ के बाद आतंकियों की मदद करने के शक में स्थानीय लोगों की गिरफ्तारी पर राजनीतिक दलों और जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के शिक्षकों और छात्रों ने विरोध शुरू कर दिया था।


टीम स्टेट टुडे


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