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पाठ्य पुस्तकों में तिब्बत का इतिहास बदलने की मांग, चीन के खिलाफ भारत तिब्बत संवाद मंच का प्रदर्शन


20 अक्टूबर सन् 1962। इसी दिन चीन ने धोखे से भारत पर हमला किया था। तब से लेकर अब तक चीन ने ना सिर्फ भारत के साथ बल्कि दुनिया के साथ भी धोखा ही किया है। भारत से लगातार चीन का सीमा विवाद चरम पर पहुंच रहा है तो चीन द्वारा दुनिया भर में फैलाया गया कोरोना वायरस कहर बरपा रहा है।


1962 में चीन द्वारा भारत पर किए गये हमले के विरोध मे भाजपा और विभिन्न सामाजिक संगठनो से जुड़े लोगो ने लखनऊ के नावेल्टी सिनेमा तिलक प्रतिमा पर बैठकर अपना विरोध दर्ज कराया। इस अवसर पर पूर्व नेता विधान परिषद विन्ध्यवासिनी कुमार ने कहा कि कांग्रेस की सरकार द्वारा 1962 मे की गयी गलती की सजा आजतक पूरा देश और लाखों की संख्या मे विस्थापित तिब्बती भुगत रहे हैं। यदि उस समय हमारे प्रधानमंत्री समय रहते सही निर्णय लेते तो देश की 62000 वर्ग मीटर जमीन चीन ना कब्जा पाता। अब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं और चीन को उसी की भाषा में जवाब दिया जा रहा है। विन्ध्यवासिनी कुमार ने कहा कि मोदी जी के आह्वाहन पर पूरे देश को एक साथ मिलकर चीनी सामनों का बहिष्कार करना चाहिये। इस कार्य मे जन भागीदारी की आवश्यकता है, तभी हम चीन को पछाड़ सकेंगें।



कार्यक्रम के आयोजक संजय शुक्ला ने कहा की हम सभी को मिलकर इस बात पर जन आवाज और जन समर्थन प्राप्त करना चाहिये जो तिब्बत को आजाद करा सके। जिससे भारत की चीन से सटी 3500 वर्ग किमी भूमि सदैव के लिये विवाद रहित हो जाएगी और सीमा सुरक्षा पर होने वाला खर्च देश के विकास में लगाया जा सकेगा।

भारत तिब्बत संवाद मंच उत्तर प्रदेश के बैनर तले एकजुट हुए लोगों ने राज भवन जाकर महामहिम राज्यपाल के माध्यम देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को ज्ञापन भी प्रेषित किया।जिसमें वर्तमान परिस्थितियों में भारत सरकार का ध्यान निम्न बिंदुओं पर केंद्रित किया गया है -


- केंद्र सरकार तिब्बत नीति घोषित करे और तिब्बत को पूर्ण गणराज्य की मान्यता दे।

- कैलाश मानसरोवर, अक्साई चीन और पीओके को मुक्त कराने के निर्णायक कार्ययोजना लागू करे।

- पूर्व माध्यमिक और माध्यमिक कक्षाओं की पाठ्यपुस्तकों में दक्षिण एशिया व चीन गणराज्य के नक्शे में तिब्बत को स्वतंत्र देश दर्शाने के साथ ही उस पर चीन द्वारा कब्जे के वास्तविक इतिहास से छात्रों को अवगत कराए।

- तिब्बत की आजादी के आंदोलन को पूर्ण समर्थन देने एवं चीनी उत्पादों पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाए।



धरना एवं ज्ञापन देने वालों में में शामिल लोगों पूर्व नेता विधान परिषद एवं लोक आभियान के संयोजक विंध्यवासिनी कुमार, भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय मंत्री व वक्फ़ विकास निगम के निदेशक शफाअत हुसैन, कमल ज्योति के सम्पादक साधक राजकुमार, अ.भा. हिन्दू महासभा के प्रवक्ता शिशिर चतुर्वेदी, फकरुद्दीन अली अहमद कमेटी के सदस्य मोहम्मद दानिश आजाद व मोहम्मद नईम अफजाल, सदस्य मदरसा बोर्ड मो. जिर्गामुद्दिन, स्क्वाड्रन लीडर राखी अग्रवाल, भारत तिब्बत संवाद मंच के पदाधिकारियों में संजय शुक्ला, स्वदेश सिंह, नरेंद्र सिंह देवड़ी, धर्मेंद्र सिंह रैकवार, बुनकर प्रकोष्ठ क्षेत्रीय सह-संयोजक विनोद कुमार, दिनेश प्रताप सिंह,एड. कैलाश कांडपाल, दीपक चक्रवर्ती, प्रो. शिशिर श्रीवास्तव, अनुराग मिश्रा,मोर्चे के महानगर अध्यक्ष जीशान खान, मण्डल अध्यक्ष राकेश सिंह व गुल मोहम्मद, जुलकरनैन एवं जावेद खान प्रमुख थे।


टीम स्टेट टुडे


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