गोरखपुर, 10 अगस्त 2022 : उत्तर प्रदेश के मत्स्य पालन मंत्री डॉ. संजय निषाद बुधवार को सीजेएम (मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट) कोर्ट में पेश हुए। सुनवाई के बाद सीजेएम ने वारंट निरस्त कर दिया। मत्स्य मंत्री को तीन दिन के भीतर एमपी-एमएलए कोर्ट नंबर दो भी हाजिर होना है। मंगलवार को आरपीएफ ने उनके आवास पर कोर्ट का समन चस्पा किया था।
कसरवल कांड में आरोपित बनाए गए हैं कैबिनेट मंत्री
कसरवल कांड में आरोपित बनाए गए कैबिनेट मंत्री डा. संजय निषाद के खिलाफ छह अगस्त को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) जगन्नाथ ने गैर जमानती वारंट जारी किया है। कोर्ट ने एसओ शाहपुर को उन्हें 10 अगस्त 2022 को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने के लिए कहा था।वारंट जारी होने की सूचना पर कोर्ट में हाजिर होने के लिए मंगलवार गोरखपुर पहुंच गए। बुधवार की सुबह 10 बजे समर्थकों के साथ वह दीवानी कचहरी पहुंचे। 11.30 बजे अपने अधिवक्ता के साथ सीजेएम कोर्ट में पेश हुए।
सीजेएम ने निरस्त किया गैर जमानती वारंट
मंत्री की तरफ से अधिवक्ता के दिए प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करने के बाद सीजेएम ने गैर जमानती वारंट निरस्त कर दिया। वहीं कसरवल कांड में आरपीएफ के द्वारा दर्ज कराए गए रेलवे एक्ट के दर्ज हुए मुकदमे में डा. संजय निषाद को तीन दिन के भीतर एमपी-एमएलए कोर्ट नंबर दो में हाजिर होना है। बस्ती आरपीएफ के दारोगा ने मंगलवार को पादरी बाजार स्थित उनके आवास पर कोर्ट का समन चस्पा किया।
यह है पूरा मामला
सात जून 2015 को सहजनवां के कसरवल में सरकारी नौकरियों में निषादों को पांच फीसदी आरक्षण देने की मांग को लेकर धरना- प्रदर्शन और रेल रोकने का कार्यक्रम था। कार्यक्रम की घोषणा पहले से थी। दोपहर तक प्रदेश के अलग-अलग जिले से हजारों की संख्या में निषाद कसरवल पहुंच गए। आंदोलनकारी रेलवे ट्रैक पर चारपाई लगाकर बैठे गए थे। पुलिस ने रोकने का प्रयास किया तो किसी ने पत्थर चला दिया जिसके बाद लाठीचार्ज हुआ। आंसू गैस के गोले व रबर बुलेट का इस्तेमाल हुआ। शाम पांच को आंदोलनकारियों ने पुलिस की कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया।
इस दौरान वहां कई राउंड गोली चल गई। जिसकी चपेट में आए इटावा के रहने वाले अखिलेश निषाद की मौत हो गई और कइ लोग घायल हो गए। इस मामले में सहजनवां के तत्कालीन थानेदार श्यामलाल यादव ने डा. संजय निषाद समेत 36 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। रेलवे ट्रैक क्षतिग्रस्त करने और ट्रेनों का आवागमन बाधित करने के आरोप में आरपीएफ बस्ती के तत्कालीन पोस्ट प्रभारी ने आंदोलनकारियों पर रेलवे एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया था।
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