अयोध्या, 3 जुलाई 2022 : रामजन्मभूमि भव्य मंदिर के साथ-साथ दुर्लभ वृक्षों से युक्त हो रही है। पांच अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर का भूमि पूजन करते हुए रामलला के ठीक सामने जिस पारिजात के पौधे का रोपण किया था, वह दो साल होते-होते भरे-पूरे वृक्ष का आकार लेता लग रहा है। भूमि पूजन से सवा माह पूर्व ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामजन्मभूमि परिसर में नक्षत्र वाटिका का रोपण किया था। यह वाटिका भी दो साल के सफर में लहलहाने लगी है।
इस वाटिका में 27 नक्षत्रों के प्रतिनिधि पवित्र एवं दुर्लभ पौधे रोपित किए गए थे। नक्षत्रों के हिसाब से रोपित पौधों में कुचिला (अश्विनी), आंवला (भरणी), गूलर (कृतिका), जामुन (रोहिणी), खैर (मृगशिरा), काला तेंदू (आर्द्रा), बांस (पुनर्वसु), पीपल (पुष्य), नागकेसर (अश्लेषा), बरगद (मघा), ढाक (पूर्वाफाल्गुनी ), पाकड़ (उत्तराफाल्गुनी), रीठा (हस्त), बेल (चित्रा), अर्जुन (स्वाति), कटाई (विशाखा), मौलश्री (अनुराधा), चीड़ (ज्येष्ठा), साल (मूल), जलवेतस (पूर्वाषाढ़ा), कटहल (उत्तराषाढ़ा), शमी (धनिष्ठा), कदंब (शतभिषा), मदार (श्रवण), आम (पूर्वाभाद्रपद), नीम (उत्तराभाद्रपद) तथा महुआ (रेवती नक्षत्र) के हिसाब से रोपित किया गया था।
आज विभिन्न नक्षत्रों के प्रतिनिधि पौधे न केवल पूरी मजबूती से रामजन्मभूमि परिसर में जड़ पकड़ चुके हैं, बल्कि इनमें से कई अपनी विशिष्ट प्रजाति के हिसाब से आदमकद हो चले हैं। यह महज संयोग नहीं है, बल्कि पवित्र और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की तरह इन्हें पूरी जिम्मेदारी से संजोया जा रहा है। पर्यावरण प्रेमी एवं ज्योतिर्विद आचार्य शिवेंद्र के अनुसार, ये पौधे रामजन्मभूमि परिसर के साथ पूरी मानवता की शुभता-सौमनस्यता के भी पर्याय हैं और इनमें वृद्धि के साथ यह संभावना भी प्रशस्त होती जाएगी।
रामजन्मभूमि के अपूर्व वैशिष्ट्य से हो रहा न्याय :
रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास के अनुसार, पौराणिक परंपरा तथा औषधीय एवं दैवीय गुणों से युक्त यह पौधे स्वयं में ही रामजन्मभूमि के अपूर्व वैशिष्ट्य से न्याय करने वाले हैं और यशस्वी प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के हाथों से रोपित होने के चलते इसकी आध्यात्मिक-सांस्कृतिक महिमा में राष्ट्रीयता का भी गौरव समाविष्ट है।
मंदिर निर्माण होने तक विभोर करेगी यह वन संपदा :
विहिप के प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा कहते हैं, प्रधानमंत्री द्वारा रोपित पारिजात और मुख्यमंत्री द्वारा रोपित नक्षत्र वाटिका जिस गति से पल्लवित हो रही है, उससे यह विश्वास पुख्ता हो रहा है कि अगले 18 माह में मंदिर निर्माण होने तक रामजन्मभूमि परिसर की यह वन संपदा भरे-पूरे वृक्षों के रूप में श्रद्धालुओं को विभोर करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
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