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Fortis Hospital, Greater Noida started a blood bank

Writer's picture: statetodaytvstatetodaytv


रक्तदान महादान, हर व्यक्ति को करना चाहिए रक्तदान


रक्तदान से बच सकती है हजारों की जान


फोर्टिस हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा ने शुरु किया ब्लड बैंक


ग्रेटर नोएडा, 24 जून, 2024 – एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल रक्त की कम उपलब्धता की वजह से लगभग 12 हजार लोगों की जान चली जाती है। रक्तदान के लिए प्रेरित करने के तमाम प्रयासों के बाद भी इसकी कमी दूर नही हो पा रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा जहां लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित कर रहा है वहीं मानकों के अनुरूप उच्च गुणवत्ता वाला रक्त जरुरतमंदो को उपलब्ध कराने के लिए अपने उन्नत ब्लड बैंक सेंटर की शुरुआत की है। इस ब्लड बैंक से आवश्यकता पड़ने पर बाहर के लोग भी ब्लड ले सकेंगे।



डॉ. सुरभि गर्ग एचओडी – ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन (ब्लड सेंटर)ने कहा, " नया ब्लड सेंटर रोगियों को आसानी से, समय पर और पर्याप्त मात्रा में सुरक्षित रक्त और रक्त उत्पाद उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।  


इसके साथ ही डॉ. गर्ग ने स्वैच्छिक रक्तदान की वकालत की और कहा, "रक्तदान से न केवल दूसरों की जान बच सकती है, बल्कि यह दाता के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है।"


फोर्टिस ग्रुप के सीओओ अनिल विनायक ने फोर्टिस समूह की नीतियों और औषधि और ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के अनुसार कड़े गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों का पालन करने के महत्व को बताया। उन्होंने कहा, "हमारा ब्लड सेंटर अत्याधुनिक तकनीक से लैस है और ब्लड डोनर के चयन से लेकर रक्त प्रसंस्करण तक हर स्तर पर मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन करता है।"


डॉ. प्रवीण कुमार, सीईओ, फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा ने कहा "एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर दिन लगभग 12,000 व्यक्तियों की मृत्यु समय पर रक्त न मिल पाने की वजह से हो जाती है। इसी को ध्यान में रखते हुए , फोर्टिस अस्पताल ग्रेटर नोएडा ने मानकों के अनुरूप रक्त उपलब्ध कराने के लिए अपना ब्लड बैंक यूनिट शुरू किया है, हमें उम्मीद है इससे बीमारी और मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी आएगी और जिन मरीजों को इसकी आवश्यकता है, उनको उच्च गुणवत्ता युक्त रक्त आसानी से उपलब्ध हो सकेगा जिससे उनकी जीवन गुणवत्ता में सुधार होगा।"


आधुनिक तकनीक से रक्त की गुणवत्ता पूरा ध्यान



फोर्टिस ब्लड सेंटर एचआईवी, हेपेटाइटिस बी और सी जैसी बीमारियों का पता लगाने के लिए न्यूक्लिक एसिड टेस्टिंग नामक एक नई तकनीक का इस्तेमाल करता है। इसके अतिरिक्त एक अन्य तकनीक से भी सभी टेस्टिंग जो केमिल्यूमिनेन्स नामक प्रक्रिया पर आधारित है व पुराने तरीकों की तुलना में ज़्यादा सटीक और तेज़ है,की जाती हैं ,इसके अलावा, मलेरिया और सिफलिस जैसी बीमारियों का पता लगाने के लिए भी अब अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल होगा। इससे इन बीमारियों का पता लगाने में लगने वाला समय कम होता है, जिससे मरीजों में रक्त से संक्रमण का ख़तरा काफ़ी कम हो जाता है।


 रक्तदान है आसान,बस रखना है थोड़ा सा ध्यान



ब्लड सेंटर पर रक्तदान करने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए एक डोनर रजिस्ट्रेशन फॉर्म उपलब्ध है, इसमें उनके स्वास्थ्य और बीमारियों का इतिहास पूछा जाएगा। कुछ बीमारियां, जैसे कैंसर या ह्रदय रोग हमेशा के लिए रक्तदान करने से रोक सकती हैं, जबकि कुछ अन्य बीमारियां होने पर आपको थोड़े समय के लिए रक्तदान करने से रोका जा सकता है। पुरुष हर तीन महीने में और महिलाएं हर चार महीने में रक्तदान कर सकती हैं। रक्तदान के बाद, डोनर्स को उनकी सुरक्षा  सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए जाते हैं, जिनका पालन करना आवश्यक होता है।


रक्तदान करने के लिए, व्यक्तियों का स्वास्थ्य अच्छा होना चाहिए, मानसिक रूप से सतर्क और शारीरिक रूप से फिट होना चाहिए। योग्य डोनर्स की आयु 18-65 वर्ष के बीच होनी चाहिए, उनका वजन कम से कम 45 किग्रा होना चाहिए, हीमोग्लोबिन का स्तर कम से कम 12.5 ग्राम होना चाहिए और उनका रक्तचाप सामान्य रहना चाहिए। साथ ही उन्हें संक्रामक रोगों से मुक्त होना चाहिए।



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