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ज्ञानवापी-शृंगार गौरी प्रकरण में मुख्य याचिका पर सुनवाई अब 12 जुलाई को


वाराणसी, 4 जुलाई 2022 : कोर्ट में अवकाश समाप्त होने के बाद सोमवार को वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण पर सुनवाई का दौर फिर से प्रारंभ हो गया। कोर्ट में सोमवार को ज्ञानवापी मस्जिद -शृंगार गौरी प्रकरण में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने 51 बिंदुओं पर अपना पक्ष रखा। इसके बाद कोर्ट ने 12 जुलाई को इस केस की सुनवाई की अगली तारीख तय कर दी है।

कोर्ट में ज्ञानवापी मस्जिद -शृंगार गौरी प्रकरण के साथ याचिका सुनने योग्य है या नहीं के मामले की सुनवाई की गई। सुनवाई दिन में दो बजे से प्रारंभ हुई तो जज ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद अगली सुनवाई के लिए 12 जुलाई की तिथि तय की। ज्ञानवापी-शृंगार गौरी प्रकरण में पांच महिलाओं की ओर से दाखिल याचिका पर जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में पोषणीयता (मामला सुनवाई योग्य है या नहीं) पर सुनवाई हुई। पिछली तिथि पर 30 मई को दो घंटे चली सुनवाई में वादी पक्ष की ओर से दाखिल वाद के 52 बिदुओं में से मस्जिद पक्ष के वकील अभयनाथ यादव 36 बिंदु तक ही अपनी बात रख सके थे। इसके बाद अदालत ने मुकदमे की सुनवाई की अगली तारीख (चार जुलाई) तय कर दी थी। सोमवार को मुस्लिम पक्ष ने अपनी बात रखी। 12 जुलाई को मुस्लिम पक्ष अपनी विधिक पक्ष रखेगा जबकि इसके बाद हिंदू पक्ष की सुनवाई होगी। कोर्ट में आज सर्वे रिपोर्ट लीक मामले पर कोई चर्चा नहीं की गई।

ज्ञानवापी परिसर स्थित शृंगार गौरी के दैनिक पूजन-अर्चन की इजाजत देने और अन्य देवी-देवताओं के विग्रह संरक्षित करने को लेकर दायर मुकदमे की सुनवाई 23 मई से जिला जज डा.अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में हो रही है। नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के आदेश-7 नियम 11 के तहत मुकदमा सुनने योग्य है या नहीं इस पर पहले सुनवाई हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने वादी पक्ष के मुकदमे की योग्यता पर सवाल उठाने वाली प्रतिवादी पक्ष की दाखिल अर्जी पर प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई करने का जिला जज को आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 20 मई को उ1त प्रकरण में सुनवाई करते हुए मामले की जटिलता और संवेदनशीलता को देखते हुए इसकी सुनवाई सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत से जिला जज को स्थानांतरित कर दिया था।

गौरतलब है कि 18 अगस्त 2021 को नई दिल्ली की राखी सिंह व वाराणसी की चार महिलाओं लक्ष्मी देवी, रेखा पाठक, मंजू व्यास व सीता साहू ने ज्ञानवापी परिसर स्थित शृंगार गौरी की प्रतिदिन पूजा-अर्चना व परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों को सुरक्षित रखने की मांग करते हुए सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत में मुकदमा दायर किया था। वादी पक्ष की अपील पर सुनवाई करते हुए अदालत ने मौके की वस्तुस्थिति जानने के लिए वकील कमिश्नर नियुक्त करने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ प्रतिवादी (अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद) की ओर से दायर याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था।

हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ प्रतिवादी पक्ष के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया और पूजा स्थल (विशेष प्रविधान) अधिनियम 1991 के उपबंधों का हवाला देते हुए ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पूजा-अर्चना का अधिकार मांगने वाली महिलाओं की याचिका पर सवाल उठाया। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि धार्मिक स्थल के स्वरूप का पता लगाना कानून में प्रतिबंधित नहीं है। पूजा स्थल (विशेष प्रविधान) कानून 1991 किसी धार्मिक स्थल के धार्मिक स्वरूप पता लगाने पर रोक नहीं लगाता। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सबकी निगाहें जिला जज की अदालत में हो रही सुनवाई पर टिकी हैं। अधिवक्ता विष्णु जैन ने बताया कि आज ज्ञानवापी मस्जिद में शृंगार गौरी की पूजा के अधिकार को लेकर दायर वाद में सुनवाई हुई।


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