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तेल कंपनियों को आकर्षित करने में जुटा भारत


नई दिल्ली, 4 फरवरी 2023 : भारत एक तरफ तो ग्रीन हाइड्रोजन, सोलर, विंड जैसे गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के क्षेत्र में विदेशी कंपनियों को आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन साथ ही कच्चे तेल व गैस के खोज व खनन में भी विदेशी कंपनियों को लुभाने की अपनी कोशिश नहीं छोड़ रहा है।

इस क्रम में सोमवार को पीएम नरेन्द्र मोदी की दुनिया की दिग्गज ऊर्जा कंपनियों (इसमें मुख्य तौर पर तेल व गैस सेक्टर की कंपनियां) के प्रमुखों के साथ एक अहम बैठक करेंगे। बैठक में पीएम एक बार फिर इन कंपनियों के समक्ष भारत के तेल व गैस सेक्टर में निवेश फैसला करने का आग्रह करेंगे।

भारत में तेल व गैस की मांग बढ़ने की उम्मीद

वजह यह है कि भारत में अभी भी अगले दो दशकों तक तेल व गैस की मांग में लगातार वृद्धि होने की संभावना है। पीएम मोदी इन कंपनियों के अधिकारियों से बंगलुरू में इंडिया इनर्जी वीक (आइईडब्लू) के दौरान मुलाकात करेंगे।पीएम मोदी की इस मुलाकात को पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय की तरफ से तेल व गैस खोज के लिए कंपनियों को दी जाने वाली जमीन दोगुनी करने की योजना से जोड़ कर भी देखा जा रहा है।

मंत्रालय ने 2025 तक रखा लक्ष्य

मंत्रालय की योजना है कि वर्ष 2025 तक देश में पांच लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में तेल व गैस की खोज की जाए और वर्ष 2030 तक इसे बढ़ा कर दस लाख वर्ग किलोमीटर किया जाए।भारत की लगातार बढ़ रही ऊर्जा मांग को देखते हुए यह जरूरी है। अभी यह दो लाख वर्ग किलोमीटर में खोज हो रही है।

बता दें कि दुनिया में औसतन सिर्फ एक फीसद की दर से ऊर्जा की खपत बढ़ रही है जबकि भारत में यह दर तीन फीसद की है। वैसे ऊर्जा कंपनियों के प्रमुखों के साथ छह बैठकें पीएम मोदी पहले भी कर चुके हैं। वर्ष 2021 में भी नई दिल्ली में उन्होंने वैश्विक तेल व गैस कंपनियों के प्रमुखों से मुलाकात की थी।

इसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज के अलावा अरामको, रोसनेफ्त जैसी दिग्गज कंपनियों ने हिस्सा लिया था। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप ¨सह पुरी का कहना है कि स्वच्छ ईंधन पर भारत जितना फोकस कर रहा है उतना फोकस दुनिया का कोई देश नहीं कर रहा लेकिन हमें अपनी ऊर्जा सुरक्षा को लेकर भी सतर्क रहना है।

ग्रीन हाइड्रोजन पर भारत की नजर

अभी जब तक ग्रीन हाइड्रोजन, सोलर या दूसरे गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों के उत्पादन व उपयोग में हम काफी कोशिश कर रहे हैं लेकिन पहले से चल रहे ईंधन को लेकर भी प्रैक्टिकल एप्रोच रखना होगा। उनका कहना है कि भारत अभी 50 लाख बैरल कच्चे तेल का उत्पादन रोजाना कर रहा है, जो कुछ वर्षों में 75 लाख बैरल का हो जाएगा। कुछ एजेंसियों ने अनुमान लगाया है कि वर्ष 2040 तक दुनिया में जितना अतिरिक्त तेल व गैस की मांग बढ़ेगी उसमें से एक चौथाई मांग भारत से आएगी।

वैश्विक तेल कंपनियों को लुभाने की कोशिश भारत यह तब करेगा जब आयातित तेल व गैस पर भारत की निर्भरता लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2020 तक आयातित तेल पर निर्भरता में 10 फीसद कमी की बात कही गई थी जबकि हकीकत यह है कि आज अपनी जरूरत का 86 कच्चा तेल भारत आयात कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतों में वृद्धि होने का खामियाजा आज भारत को पहले के मुकाबले ज्यादा उठाना पड़ता है।

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